नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी की है एक ही राशि, फिर क्यों है राहुल जीत से पीछे?

नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी की है एक ही राशि, फिर क्यों है राहुल जीत से पीछे?

लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी राजनीतिक दल चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं। वोटिंग खत्म होते ही हर किसी को रिजल्ट का इंतज़ार रहेगा, जो कि 04 जून 2024 को आने वाले हैं। पिछले साल 30 मई 2019 को शपथ ग्रहण कर नरेन्द्र मोदी लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बने और अब उनके समर्थक यह कयास लगा रहे हैं कि लोकसभा चुनाव 2024 में फिर मोदी सरकार अपना परचम लहराएगी। हालांकि, राजनीतिक पार्टियां अपनी-अपनी जीत के कयास लगा रही हैं।

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ऐसे में, ज्योतिष में रुचि रखने वाले लोग ज्योतिषीय नज़र से यह देखने के लिए जरूर उत्साहित होंगे कि आखिर नरेंद्र मोदी की कुंडली में ऐसा क्या ख़ास है कि वह पिछले दो लोकसभा चुनाव में लगातार बाजी मार रहे हैं और राहुल गांधी तमाम कोशिशों के बाद भी टक्कर देने में भी असमर्थ हो रहे हैं। बता दें कि नरेंद्र मोदी व राहुल गांधी की चंद्र राशि एक ही है, इसके बावजूद राहुल गांधी जीत से बहुत पीछे हैं।

नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी की है एक ही राशि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्म रविवार के दिन 17 सितंबर वर्ष 1950 की सुबह 11 बजे हुआ था। वही राहुल गांधी का जन्म दिल्ली में गुरुवार के दिन 18 जून 1970 में हुआ था। इस हिसाब से राजनीतिक सीन में आमने-सामने खड़ीं दो हस्तियों की चंद्र राशि एक ही है यानी वृश्चिक राशि की है। एस्ट्रोसेज के ज्योतिष के अनुसार, प्रधानमंत्री जैसे पद पर पहुंचने की सबसे ज्यादा संभावना वृश्चिक, सिंह और मेष राशि के लोगों की होती है। इसके बावजूद राजनीति में कहीं किसी और की कुंडली का सपोर्ट तो कहीं ग्रहों का योग हावी हो जाता है।

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 नरेंद्र मोदी की जन्म कुंडली

राहुल गांधी की जन्म कुंडली

एक ही राशि होने के बावजूद जीत से क्यों पीछे हैं राहुल?

नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी वृश्चिक राशि के हैं। वृश्चिक और सिंह राशि के लोगों का उच्च पद तक पहुंचने का अच्छा योग होता है। ऐसे में, आप सबके मन में एक सवाल जरूर उठ रहा होगा कि फिर भी राहुल गांधी अब तक राजनीति में अपेक्षित सफलता क्यों नहीं पा सके हैं। यह सवाल मन में उठना लाजमी हैं। तो बता दें कि राहुल गांधी की कुंडली में शनि कमज़ोर स्थिति में विराजमान हैं क्योंकि यह अपनी नीच राशि मेष में हैं। शनि लग्नेश होकर नीच के हैं और लग्नेश की स्थिति मजबूत होना बहुत जरूरी होता है। ज्योतिष के अनुसार, शनिदेव के नीच ग्रह में होने का मतलब यह है कि वे आपकी तरफ पीठ करके बैठे हैं। इसका कारण हमारे नियमित कार्यों में अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाती है। इसी तरह यदि शनि उच्च ग्रह में बैठे हों तो थोड़े से प्रयासों से अधिक सफलता मिल सकती है। इसके अलावा, राहुल गांधी की कुंडली में शत्रुहंता योग भी बनता है। बता दें कि सूर्य और मंगल की युति से शत्रुहंता योग बन रहा है।

कुंडली में छठा भाव शत्रु का होता है और जब इस भाव में मंगल ग्रह या फिर नीच के शनि मौजूद होते हैं या फिर इनकी दृष्टि पड़ती है, तो इस योग का निर्माण होता है। यह योग शुभ योग माना जाता है, लेकिन राहुल गांधी की महादशा कमज़ोर है और इसके परिणामस्वरूप यह पूरी कोशिश करते हैं अपने विरोधियों को हराने की लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पता है। दरअसल देवगुरु बृहस्पति अपनी शत्रु राशि तुला राशि में दसवें भाव में बैठे हैं, जो करियर का भाव है इसलिए शत्रुहंता योग होने के बावजूद इन्हें लाभ नहीं हो पा रहा है। हालांकि 2024 के बाद बहुत बड़ा परिवर्तन आने की संभावना है।  

अब बात नरेंद्र मोदी की कुंडली की करते हैं, तो बता दें कि नरेंद्र मोदी की कुंडली में नीच भंग राजयोग बन रहा है। नीच भंग राजयोग का अर्थ है कि मुश्किलों के बाद जीवन में अपार सफलता प्राप्त होना, जो नरेंद्र मोदी के जीवन में स्पष्ट नजर भी आता है।

बता दें कि जब किसी कुंडली में किसी ग्रह के नीच राशि के स्वामी और उसकी उच्च राशि के स्वामी केंद्र में होते हैं तो नीचभंग राजयोग बनता है। ज्योतिष के अनुसार, यदि किसी जातक की कुंडली में सूर्य के परिणामस्वरूप से नीचभंग राजयोग का निर्माण होता है तो उसे राज्य व राज्य की जनता की तरफ से अत्यधिक लाभ प्राप्त होता है। यही नहीं जातक अपनी नीतियों को लोगों के सहयोगों से सफल बनाने में कामयाब होता है।

इसके अलावा, नरेंद्र मोदी की कुंडली में दसवें भाव के स्वामी सूर्य ग्यारहवें भाव में हैं और ये एक मजबूत और अच्छा योग है। छठे भाव के स्वामी मंगल जो शत्रु का भाव होता है उसका स्वामी मंगल अपनी ही राशि में विराजमान है इसलिए इनकी कुंडली मजबूत कही जा सकती है।

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चंद्रमा की महादशा ने दिलाई थी मोदी को अपार सफलता

नरेंद्र मोदी के जीवन में नीच के चंद्रमा की महादशा नवंबर 2011 में शुरू हुई थी और नवंबर, 2021 तक चली। इसी चंद्रमा की दशा के परिणामस्वरूप मोदी ने 2019 लोकसभा चुनाव में अपने संघर्षों और मेहनत के बलबूते प्रधानमंत्री पद के दावेदार बने और बड़ी जीत भी हासिल की। इसके साथ ही, इसी महादशा अवधि में उनकी गिनती दुनिया के कुछ सबसे शक्तिशाली नेताओं में होने लगी। भारत में ही नहीं विदेशों तक मोदी का जादू छाने लगा इसलिए यह जरूरी नहीं कि कुंडली के नीच के ग्रहों की दशाएं जीवन में सिर्फ संघर्ष और मुश्किलें ही लाए, बल्कि जीवन में ऐसी सफलता भी दिलाती हैं जो बड़े-बड़े राजयोग भी नहीं दिला पाते हैं।

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राहुल गांधी के लिए कैसा होगा आने वाला समय

ज्योतिष के अनुसार, राहुल गांधी की कुंडली के हिसाब से यदि भविष्य की चर्चा करें तो भविष्य में राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनने की उम्मीद कम नज़र आ रही है। चूंकि उनको राजनीति विरासत में मिली है और राजनीति के अलावा उनके पास कोई और विकल्प नहीं है तो ऐसे में, उनका स्वभाव राजनीतिक नहीं होते हुए भी, उनके लिए राजनीति करना एक पारिवारिक दायित्व भी है और एक अहम जिम्मेदारी भी है। बात यदि भविष्य की करें तो 53 वर्ष की अवस्था तक राहुल गांधी राजनीति में चुनौतियों का सामना करते हुए अपने वजूद की लड़ाई लड़ते रहेंगे। साथ ही साथ पार्टी मुख्य रूप से कमान संभाले रहेंगे, लेकिन इस बात की प्रबल संभावना है कि 53 की आयु के बाद राहुल गांधी एक नया रूप लेकर आगे बढ़ेंगे और 55 वर्ष की अवस्था में सफलता की ओर तेजी से कदम बढ़ा सकते हैं।

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क्या कहना है ज्योतिषियों का 

ज्योतिष के जानकारों का मानना है कि राहुल गांधी की ग्रह-दशा पिछले कई सालों से अच्छी नहीं चल रही है, लेकिन राहुल गांधी की जोरदार वापसी होने वाली है। 2024 में राहुल गांधी की मेहनत की वजह से उनकी सीटों की संख्या बढ़ सकती है। ज्योतिष के अनुसार, राहुल गांधी की कुंडली में नवंबर 2014 से जनवरी 2020 तक कोई बहुत अच्छा समय नहीं था। जनवरी 2017 से तो स्थिति और खराब चल रही थी। लेकिन, जनवरी 2020 के बाद से राहुल गांधी शुभ ग्रहों का मजबूत साथ मिल रहा है। जनवरी 2020 के बाद राहुल गांधी की पार्टी में पकड़ मजबूत होने लगी है और कुछ नए सहयोगी भी राहुल गांधी के साथ आगे जुड़ेंगे। शनि के शुभ प्रभाव से 24 जनवरी 2020 के बाद से राहुल गांधी धीरे-धीरे नए बदलाव की ओर आगे बढ़ रहे हैं और जीवन में उन्नति का बहुत अच्छा ग्राफ बनने की संभावना है। आगे जाकर देश के हित के लिए वे काफी बेहतरीन काम कर सकते हैं। यही नहीं राहुल गांधी के राजनीतिक जीवन के साथ-साथ उनके निजी जीवन में भी कई बड़े महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिलेंगे और धीरे-धीरे उनके विचारों से जनता प्रसन्न होंगी। 

जून 2024 के बाद जब इनके शनि की अंतर्दशा चलेगी तब यह मजबूती से ताकतवर नेता के रूप में उभर सकते हैं और हो सकता है कि यह सदन में विपक्ष के नेता का पद ग्रहण करें। वहीं कुछ ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि राहुल गांधी की कुंडली कमज़ोर नहीं है। वो जब तक अपने व्यवहार में परिवर्तन नहीं लाएंगे तब तक उनकी स्थिति इसी तरह बनी रहेगी। साथ ही नरेंद्र मोदी जब तक राजनीति में रहेंगे राहुल गांधी की कुंडली मोदी की कुंडली के सामने कमज़ोर साबित हो सकती है। हालांकि हर किसी ज्योतिष की अपनी-अपनी राय है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. नीचभंग राजयोग क्या होता है?

उत्तर 1.  जब किसी कुंडली में किसी ग्रह के नीच राशि का स्वामी और उसकी उच्च राशि का स्वामी परस्पर केंद्र में हो तो नीचभंग राजयोग का निर्माण होता है।

प्रश्न 2. नरेंद्र मोदी की राशि क्या है?

उत्तर 2. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चंद्र राशि वृश्चिक है।

प्रश्न 3. राहुल गांधी की राशि क्या है?

उत्तर 3. राहुल गांधी की चंद्र राशि वृश्चिक है।