बीते दिनों मोदी सरकार के दूसरे सत्र के पहले बजट को संसद में पेश किया गया। बजट के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ये कहा है कि वित्त मंत्रालय सरकार की पांच ट्रिलियन निवेश के लक्ष्य को पूरा करने के लिए विदेशों से भी धन जुटाने का प्रयास करेगा। बजट पेशी के दौरान मौजूद विपक्षी दलों ने सरकार पर यही सवाल दागा था की आखिर सरकार इतने बड़े लक्ष्य को किस प्रकार से पूरा करेगी। अब वित्त मंत्री ने उन सवालों का जवाब देते हुए धन जुटाने के लिए सरकार की विदेश नीति को जाहिर कर दिया है। इस बाबत सरकार अगले छह महीने में सॉवरेन बांड भी पेश कर सकती है।
क्या है आखिर ये सॉवरेन बांड?
आम जनता को सॉवरेन बांड जैसी किसी टर्म के बारे में शायद ही मालूम हो। आपको बता दें की सॉवरेन बांड एक ऐसी नीति है जिसके जरिये एक निश्चित रिटर्न चुकाने की नीति के साथ सरकार कर्ज लेती है। ये बांड जो खरीदता है वो सरकार या अन्य किसी कंपनी को कर्ज देता है और बदले में उस कर्ज को एक निश्चित समय में निश्चित राशि के साथ चुकाता है। इस सॉवरेन बांड को सरकार के द्वारा दुनिया भर की किसी भी मुद्रा में जारी किया जा सकता है। बहरहाल मोदी सरकार अपने पांच ट्रिलियन निवेश के लक्ष्य को सॉवरेन बांड द्वारा पूरा कर सकती है। इन पैसों को सरकार द्वारा देश के विकास कार्यों में लगाया जाएगा और बाद में उसे सूद सहित वापिस भी किया जाएगा।
साल 2013 में इस संबंध में यूपीए सरकार ने भी की थी कोशिश
बता दें कि मोदी सरकार से पहले साल 2013 में जब देश में यूपीए की सरकार थी तो उस वक़्त भी विकास कार्य के लिए सॉवरेन बांड भारत लाने का प्रयास किया गया था। हालाँकि इसमें उन्हें सफलता नहीं मिली थी क्योंकि उस वक़्त विदेश मुद्रा बाजार खाली हो रहा था और तात्कालिक सरकार ने उसे NRI जमा योजना को तवज्जो देते हुए छोड़ दिया था। इस दौरान वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा की कांग्रेस सरकार द्वारा साल 2013 में सॉवरेन बांड लाने का विचार सही नहीं था क्योंकि विदेशी बाजार में पैसे की उस वक़्त कमी थी। उन्होनें कहा कि “’आज हम काफी स्थिरता की स्थिति में हैं। रुपया स्थिर है, विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर नई रिकॉर्ड ऊंचाइयों पर जा रहा है और बीते कई सालों में जो कमी आई वह वापस पूरी हो गई है। “
बहरहाल मोदी सरकार की ये नीति देश के विकास के लिए कितनी कारगर साबित होगी ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा।