मिथुन संक्रांति 2024: सूर्य देव संसार को अपनी रोशनी से रोशन करते हैं इसलिए इनके बिना मनुष्य जीवन से लेकर पेड़-पौधों तक की कल्पना नहीं की जा सकती है। हिंदू धर्म में जहां सूर्य देव की पूजा देवता के रूप में की जाती है, तो वहीं ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को “नवग्रहों का राजा” कहा जाता है क्योंकि यह सभी ग्रहों को ऊर्जा प्रदान करते हैं। इस प्रकार, सूर्य ग्रह का गोचर भी महत्वपूर्ण माना जाता है। सामान्य शब्दों में कहें, तो जब यह एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तो उसे गोचर कहते हैं। अब सूर्य महाराज जल्द ही अपनी राशि में परिवर्तन करने जा रहे हैं।
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एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में आपको मिथुन संक्रांति 2024 के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्राप्त होगी जैसे कि तिथि, महत्व आदि। सिर्फ इतना ही नहीं, हम आपको बताएंगे कि मिथुन संक्रांति के दिन कौन से आसान एवं प्रभावी उपायों को करने से मिलेगी भगवान सूर्य की कृपा? तो चलिए बिना देर किये आगे बढ़ते हैं और सबसे पहले जानते हैं मिथुन संक्रांति के बारे में।
मिथुन संक्रांति 2024:तिथि एवं शुभ मुहूर्त
सूर्य ग्रह की बात करें, तो सूर्य को हिंदू धर्म और ज्योतिष में विशेष स्थान प्राप्त है। वैदिक ज्योतिष में नवग्रहों के राजा सूर्य को एक ऐसा ग्रह माना गया हैं जो न ही कभी वक्री होता है और न ही कभी अस्त। हालांकि, सूर्य पर ग्रहण लग सकता है, लेकिन यह अस्त नहीं होता है। इस प्रकार, यह सदैव मार्गी चाल चलते हुए आगे बढ़ते हैं। अब यह मिथुन राशि में प्रवेश करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। वर्ष 2024 में मिथुन संक्रांति का पर्व 15 जून 2024, शनिवार के दिन मनाया जाएगा। अब आगे बढ़ते हैं और आपको रूबरू करवाते हैं मिथुन संक्रांति के पूजा मुहूर्त से।
मिथुन संक्रांति की तिथि एवं पूजा मुहूर्त
मिथुन संक्रांति की तिथि: 15 जून 2024, शनिवार
मिथुन संक्रांति पुण्य काल का मुहूर्त: सुबह 05 बजकर 18 मिनट से दोपहर 12 बजकर 21 मिनट तक।
मिथुन संक्रांति महापुण्य काल का मुहूर्त: सुबह 05 बजकर 18 मिनट से सुबह 07 बजकर 39 मिनट तक
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क्या है मिथुन संक्रांति?
मिथुन संक्रांति के महत्व के बारे में जानने से पहले हम आपको बताना चाहते हैं कि आख़िर क्या होती है संक्रांति? जब सूर्य देव एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तो इस घटना को संक्रांति के नाम से जाना जाता है। बता दें कि सूर्य ग्रह प्रत्येक राशि में एक माह तक रहते हैं और राशि चक्र में 12 राशियां होती हैं और इसके फलस्वरूप, एक वर्ष में कुल 12 संक्रांतियां आती हैं। सूर्य देव एक-एक करके राशि चक्र की सभी राशियों में गोचर करते हैं। ऐसे में, सूर्य देव के वृषभ राशि से मिथुन राशि में प्रवेश करने को “मिथुन संक्रांति” कहा जाता है।
मिथुन संक्रांति का महत्व
मिथुन संक्रांति को हिंदू धर्म के लोग बहुत ही आस्था और श्रद्धाभाव से मनाते हैं। यह पर्व सूर्य भगवान को समर्पित होता है इसलिए इस दिन इनकी पूजा करना विशेष रूप से फलदायी सिद्ध होता है। वर्ष भर में आने वाली सभी 12 संक्रांति तिथि को बहुत शुभ माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह हिंदू वर्ष के तीसरे माह में आती है और इस तिथि पर सूर्य महाराज वृषभ राशि से मिथुन राशि में प्रवेश करते हैं इसलिए यह दिन सभी तरह के शुभ एवं मांगलिक कार्यों को संपन्न करने के लिए श्रेष्ठ रहता है।
इसके अलावा, सूर्य देव जब मिथुन राशि में गोचर करते हैं, तो उस समय संसार में अनेक प्रकार के परिवर्तन नज़र आते हैं जैसे कि सूर्य गोचर के साथ ही वर्षा ऋतु की शुरुआत हो जाती है। मिथुन संक्रांति के अवसर पर सूर्य भगवान के बुध की आधिपत्य वाली राशि मिथुन में प्रवेश के साथ ही सभी 12 राशियों में नक्षत्रों की दिशा बदल जाती है। साथ ही, सूर्य का गोचर मिथुन राशि में होने पर हर राशि पर शुभ-अशुभ प्रभाव डालता है। यही वजह है कि इस दिन सूर्य पूजा को महत्वपूर्ण माना जाता है।
मिथुन संक्रांति 2024: धार्मिक दृष्टिकोण से
धार्मिक दृष्टि से देखें तो, मिथुन संक्रांति पर सूर्य देव की पूजा विधि-विधान से करनी चाहिए। भगवान विष्णु की पूजा के लिए भी यह तिथि श्रेष्ठ है। इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान करने से पुण्य कर्मों की प्राप्ति होती है। इस वजह से मिथुन संक्रांति पर अनेक प्रकार के धार्मिक कार्य करने की परंपरा है। यह संक्रांति “रज संक्रांति” भी कहलाती है और इस तिथि पर किसान अच्छी फसल के लिए सूर्य देव से प्रार्थना करते हैं।
सूर्य देव की कृपा एवं आशीर्वाद पाने के लिए भक्तजन मिथुन संक्रांति पर सच्चे मन से उपवास भी करते हैं। साथ ही, इस अवसर पर तीर्थ स्थानों और पवित्र नदियों में स्नान बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि मिथुन संक्रांति पर सूर्य देव की पूजा एवं व्रत करने से जातक के मान-सम्मान में वृद्धि होती है और उच्च पद की प्राप्ति होती है।
देश के विभिन्न हिस्सों में कैसे मनाई जाती है मिथुन संक्रांति?
भारत को विविधताओं वाला देश कहा जाता है क्योंकि यहाँ कई धर्मों और संस्कृतियों के लोग एक साथ मिलकर रहते हैं। हमारे देश में हर त्योहार को बहुत ही उत्साह एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इसी तरह, देश के अलग-अलग हिस्सों और राज्यों में मिथुन संक्रांति को मनाने के तरीके में अंतर देखने को मिलता है। साथ ही, इस पर्व को अलग-अलग नामों से जाना जाता है।
मिथुन संक्रांति को दक्षिणी भारत में मिथुन संक्रमणम, पूर्वी हिस्से में आषाढ़, केरल में मिथुनम और उड़ीसा में राजा परब कहा जाता है। मिथुन संक्रांति को उड़ीसा में बहुत ही जोश के साथ मनाया जाता है क्योंकि यह वहां का प्रमुख त्योहार है जो कि लगातार चार दिनों तक चलता है। इस त्योहार के अंतर्गत धरती माता की पूजा का विधान है।
राजा परब में कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की कामना को मन में लिए बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं। इस पर्व का पहला दिन पहिली राजा, दूसरा दिन राजा या मिथुन संक्रांति, तीसरा दिन बासी राजा या भू दाहा और चौथा दिन को “वसुमती स्नान ” के नाम से जाना जाता है।
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मिथुन संक्रांति पर कैसे करें सूर्य देव की पूजा?
- सर्वप्रथम प्रातःकाल उठकर स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- चंदन, धूप, दीप एवं लाल फूल अर्पित करें और इसके पश्चात सूर्य देव के निमित्त अपने स्थान पर रहते हुए 7 बार परिक्रमा करें।
- भगवान सूर्य की पूजा के बाद बचे हुए जल को पौधों में डाल दें।
- इसके बाद, भक्त सूर्य चालीसा और आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें।
मिथुन संक्रांति पर इन उपायों से मिलेगी भगवान सूर्य की कृपा
- मिथुन संक्रांति की तिथि पर भगवान सूर्य से संबंधित चीज़ों जैसे कि लाल वस्त्र, गुड़, लाल चंदन व लाल फूल आदि गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें। ऐसा करने से भक्त को सूर्य देव का आशीर्वाद मिलने के साथ-साथ कुंडली से सूर्य दोष भी समाप्त हो जाता है।
- इस अवसर पर हरे रंग की वस्तुओं का दान सर्वश्रेष्ठ रहता है। इस उपाय को करने से भगवान सूर्य प्रसन्न होते हैं।
- मिथुन संक्रांति के दिन हर वस्त्र, पालक और मूंग का दान करना फलदायी होता है।
- जीवन में चल रही समस्याओं का अंत करने के लिए मिथुन संक्रांति के दिन उपवास करें और नमक का सेवन न करें।
मिथुन संक्रांति 2024 का सभी 12 राशियों पर प्रभाव
मेष राशि
मेष राशि के लिए यह समय शुभ रहेगा। आप ख़ूब सफलता हासिल करेंगे और धन लाभ भी प्राप्त होगा।
वृषभ राशि
वृषभ राशि वालों का ज्यादातर समय यात्राओं में बीतेगा। संचार कौशल अच्छा होगा, लेकिन अपनी सेहत का ध्यान रखना होगा।
मिथुन राशि
मिथुन राशि के जातकों को सूर्य के मिथुन में प्रवेश से धन-संपत्ति और वाहन सुख की प्राप्ति के योग बनेंगे, परंतु अपने क्रोध और वाणी पर नियंत्रण रखना होगा।
कर्क राशि
कर्क राशि वालों के साहस और पराक्रम में वृद्धि होगी। आपको अपनी मेहनत का फल मिलेगा, लेकिन आपको स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा।
सिंह राशि
सिंह राशि के जातकों के लिए सूर्य का गोचर आर्थिक लाभ और मान-सम्मान में वृद्धि लाएगा। हालांकि, आपके कार्यक्षेत्र में समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
कन्या राशि
कन्या राशि वालों को बेकार के खर्चों से बचना होगा। इस लोगों को पार्टनरशिप और रिश्ते में शुभ फल प्राप्त होंगे।
तुला राशि
तुला राशि वालों की रुचि सेवा और आध्यात्मिकता के प्रति बढ़ेगी। लेकिन, आपके करियर की रफ़्तार धीमी रह सकती है।
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के जातकों को इस समय वाद-विवाद से बचना होगा। हालांकि, प्रेम और रोमांस के लिए समय अच्छा रहेगा।
धनु राशि
धनु राशि वालों के जीवन में सुख-सुविधाओं और संपत्ति में वृद्धि होगी। इन जातकों को यात्राओं के दौरान सावधानी बरतनी होगी।
मकर राशि
मकर राशि के जातकों को सूर्य गोचर की अवधि में आर्थिक लाभ के साथ-साथ मेहनत का फल भी मिलेगा, लेकिन शत्रुओं से सावधान रहना होगा।
कुंभ राशि
कुंभ राशि वालों का सामाजिक जीवन में मान-सम्मान बढ़ेगा, परंतु आपको गुप्त शत्रुओं से सावधान रहना होगा।
मीन राशि
मीन राशि के जातकों की माता का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। अगर आप घर या वाहन लेना चाहते हैं, तो इसके लिए यह समय अनुकूल रहेगा।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर 1. मान्यताओं के अनुसार, मिथुन संक्रांति पर व्रत करने से सूर्य देव का आशीर्वाद मिलता है। लेकिन व्रत आपकी इच्छा पर निर्भर करता है।
उत्तर 2. मिथुन संक्रांति पर अपने सामर्थ्य अनुसार अनाज, फल या वस्त्र आदि का दान कर सकते हैं।
उत्तर 3. मिथुन संक्रांति के दिन सूर्य भगवान के मंत्रों का जाप करना शुभ रहता है।