इस वर्ष कब है मेष संक्रांति? जानें इस दिन का शुभ मुहूर्त और महत्व

मेष संक्रांति इस वर्ष 14 अप्रैल को पड़ने वाली है। सबसे पहली बात संक्रांति का अर्थ क्या होता है? दरअसल जब सूर्य किसी राशि में संक्रमण या प्रवेश करता है तो उसे उस राशि के संक्रांति के नाम से जाना जाता है। ऐसे में इस बार जब सूर्य मेष राशि में परिवर्तन कर रहा है तो इसे मेष संक्रांति कहा जायेगा। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार खरमास की समय अवधि का अंत इसी दिन होता है। ऐसे में इस दिन के बाद से ही सभी तरह के मांगलिक कार्यों को दोबारा शुरू कर दिया जाएगा।

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मेष संक्रान्ति पुण्य काल मुहूर्त

मेष संक्रान्ति बुधवार, अप्रैल 14, 2021 को

मेष संक्रांति पुण्य काल- सुबह 5 बजकर 57 मिनट से दोपहर 12 बजकर 22 मिनट तक

अवधि- 06 घंटे 25 मिनट्स

मेष संक्रान्ति महा पुण्य काल- सुबह 5 बजकर 57 मिनट से सुबह 8 बजकर 5 मिनट तक

अवधि- 02 घण्टे 8 मिनट

मेष संक्रांति का महत्व

हिंदू धर्म में मेष संक्रांति या सूर्य का किसी भी राशि में परिवर्तन अर्थात संक्रांति का विशेष महत्व बताया जाता है। इस दिन सूर्य की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन में सूर्य देवता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसे में इस दिन सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य देने की मान्यता है। साथ ही इस दिन भगवान सूर्य नारायण की कृपा प्राप्त करने के लिए सूर्य पूजा का विधान बताया गया है। जानकारी के लिए बता दें कि, सूर्य की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन में यश, कीर्ति और वैभव की प्राप्ति होती है।

मेष संक्रांति के अलग-अलग नाम 

देशभर में मेष संक्रांति को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जहां पंजाब में मेष संक्रांति को वैशाख बोला जाता है वहीं तमिलनाडु में इसे पुथांदु के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा बिहार में इसे सतुवानी तो पश्चिम बंगाल में पोइला बैसाख के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा इसे उड़ीसा में इसे पना संक्रांति कहा जाता है।

मेष संक्रांति पर अवश्य करें दान पुण्य 

मेष संक्रांति के दिन दान पुण्य, पवित्र नदी में स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। कहा जाता है कि इस दिन दान करने से सूर्य देवता प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा जो लोग इस दिन पवित्र नदियों में स्नान नहीं कर सकते हैं उन्हें घर में स्नान के पानी में ही गंगाजल डालकर स्नान करने की सलाह दी जाती है।  

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