क्रिस्मस का त्यौहार ईसाई धर्म का का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार माना गया है। हर वर्ष 25 दिसंबर को मेरी क्रिस्मस या क्रिस्मस का यह त्यौहार मनाया जाता है। यह त्यौहार इतना व्यापक है कि दुनिया भर में इसे अन्य धर्म के लोग भी बेहद ही धूमधाम और ख़ुशियों के साथ मनाते हैं।
संयुक्त राष्ट्र संघ के एक आंकड़ों के हिसाब से अगर बात करें तो विश्व के करीब डेढ़ सौ करोड़ लोग ईसाई धर्म के अनुयाई हैं। क्रिस्मस को बहुत सी जगहों पर बड़ा दिन भी कहते हैं। इस त्यौहार की तैयारियाँ बेहद ही धूमधाम के साथ की जाती है।
ईसाई धर्म की मान्यताओं के अनुसार यह वही दिन है जिस दिन यीशु मसीह/ईसा मसीह का जन्म हुआ था। ईसा मसीह ईसाईयों के ईश्वर स्वरूप होते हैं। ऐसे में क्रिस्मस के दिन गिरजाघरों में प्रभु यीशु की जन्म गाथा की झांकियां प्रस्तुत की जाती हैं और गिरजाघरों में लोग प्रार्थना करते हैं।
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इस दिन ईसाई धर्म के लोग इकट्ठा होते हैं और प्रभु यीशु की आराधना करते हैं और गीत-संगीत (क्रिस्मस कैरेल) गाते हैं। इसके बाद लोग एक दूसरे को हैप्पी क्रिस्मस और मेरी क्रिस्मस की बधाइयाँ देते हैं।
क्रिस्मस के त्यौहार से जुड़ा इतिहास
क्रिस्मस से जुड़े इतिहास को लेकर कई इतिहास-कारों में अलग-अलग मत हैं। कुछ इतिहास-कार यह मानते हैं कि यह त्यौहार यीशु के जन्म से पहले से मनाया जा रहा है। क्रिस्मस पर्व रोमन त्यौहार सैंचुनेलिया का ही नया रूप है। मान्यताओं के अनुसार, सैंचुनेलिया रोमन देवता है। बाद में जब ईसाई धर्म की स्थापना हुई तो उसके बाद लोग यीशु को अपना ईश्वर मानकर सैंचुनेलिया पर्व को क्रिस्मस डे के रूप में मनाने लगे।
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कैसे मनाते हैं क्रिस्मस?
क्रिस्मस एक बड़ा पर्व है इसलिए इसकी तैयारियाँ भी भव्य होती है। इस दिन सैंटा क्लॉस, क्रिस्मस ट्री, ग्रीटिंग कार्ड, और दोस्तों और रिश्तेदारों को दिए जाने वाले उपहार इस त्यौहार के मुख्य तत्व माने जाते हैं। क्रिस्मस का त्योहार जैसे-जैसे नज़दीक आता है लोगों में इसे लेकर उत्साह बढ़ता जाता है।
लोग इस दिन अपने मित्रों-परिजनों को कार्ड या कोई गिफ्ट देकर अपनी शुभकामनाएं उन तक पहुँचाते हैं। क्रिस्मस डे के रूप में कार्ड लेने और देने का यह प्रचलन हर साल 9 दिसंबर को मनाया जाता है। इसके अलावा इस दिन खूबसूरत लाइट और झालरों से गिरजा-घरों को सजाया जाता है।
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25 दिसंबर को ही क्यों मनाते हैं क्रिस्मस?
क्रिस्मस का यह पर्व लोग सन 98 से लगातार मनाते आ रहे हैं। सन 137 में रोमन बिशप ने इस पर्व को मनाने की आधिकारिक रूप से घोषणा की थी। हालाँकि तब इस दिन को मनाए जाने की कोई निश्चित तारीख नहीं निर्धारित की गई थी लेकिन सन 350 में रोमन पादरी जूलियस ने 25 दिसंबर को क्रिस्मस डे के रूप में घोषित किया और उसके बाद से यह पर्व 25 दिसंबर को मनाया जाने लगा गया।
इस बारे में प्रचलित एक मान्यता के अनुसार बताया जाता है कि शुरुआत में स्वयं धर्माधिकारी 25 दिसंबर को क्रिस्मस के रूप में मनाने की मान्यता देने के लिए तैयार नहीं थे। 25 तारीख रोमन जाति का एक त्यौहार का दिन होता है जिसमें सूर्य देव की आराधना की जाती है। कहा जाता है कि यह वही दिन है जब सूर्य देव का जन्म हुआ था। ईसाई धर्म का प्रचार प्रसार हुआ तो ऐसा कहा गया कि ईसा मसीह सूर्य देवता के अवतार हैं और फिर उनकी पूजा होने लगी। हालाँकि इसे कभी भी मान्यता नहीं मिल पाई।
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ईसाई धर्म में क्रिस्मस त्योहार का महत्व
ईसाई धर्म के लोगों के लिए क्रिस्मस का यह त्योहार उतना ही भव्य और महत्वपूर्ण है जितना हिंदुओं के लिए दीवाली और मुसलमानों के लिए ईद। इस दिन वह अपने इष्ट देवता यीशु या ईसा मसीह के जन्म दिवस के रूप में मनाते हैं। जाहिर है इस वजह से उनके लिए यह दिन बेहद ही पावन और ख़ास हो जाता है।
यीशु ईसाई धर्म के प्रवर्तक हैं। ईसा मसीह का जन्म हेरोदेस राजा के दिनों में हुआ था क्योंकि हेरोदेस 4 ईसा पूर्व ही मर गया था इसलिए कहा जा सकता है कि उनका जन्म चौथी ईसा पूर्व में हुआ था।
बाइबल यानी ईसाई धर्म की पवित्र ग्रंथ में ईसा मसीह के उपदेशों और उनकी जीवनी को विस्तार पूर्वक बताया गया है। क्रिस्मस के 15 दिन पहले से ही क्रिश्चन समाज के लोग इस दिन की तैयारी में जुट जाते हैं। क्रिस्मस ख़ुशियों की सौगात लेकर आने वाला एक बेहद ही खूबसूरत त्यौहार है।
क्रिसमस डे का संदेश
क्रिस्मस का त्यौहार शांति और सदभावना का प्रतीक माना गया है। क्रिस्मस का त्यौहार शांति का भी संदेश देता है। ऐसा इसलिए क्योंकि बाइबल में यीशु या ईसा मसीह को शांति का दूत बताया गया है। ईसा मसीह हमेशा वक्तव्यों में कहा करते थे कि, ‘शांति तुम्हारे साथ हो। शांति के बिना किसी भी धर्म का अस्तित्व संभव नहीं है। घृणा, संघर्ष, हिंसा एवं युद्ध आदि का धर्म के अंतर्गत कोई स्थान नहीं है।’
ईसा मसीह द्वारा दिए गए इन संदेशों का लोग आज भी पालन करते हैं। यही वजह है कि पूरी दुनिया में मानवता से प्रेम करने वालों के लिए, मानवता को चाहने वालों और मानवता की अलख जगाने वालों के लिये एक बड़ा दिन होता है।
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