कुंडली में ग्रहों का अस्त होना बहुत ही आम बात मानी जाती है। अस्त ग्रहों की घटना सूर्य की वजह से होती है। सूर्य को ज्योतिष में एक राजसी ग्रह माना गया है। कहा जाता है कि जब कोई भी ग्रह सूर्य के बहुत करीब आ जाता है तो वह अपनी शक्तियां खोने लगता है और ज्योतिष में इसे अस्त के नाम से जाना जाता है।
जल्द ही अगस्त के महीने में बुध ग्रह सिंह राशि में अस्त होने जा रहे हैं। हमारा यह खास ब्लॉग इसी विषय के इर्द-गिर्द तैयार किया गया है। अपने इस खास ब्लॉग के माध्यम से जानेंगे 12 अगस्त को सिंह राशि में बुध अस्त की ये ज्योतिषीय घटना सभी 12 राशियों को किस तरह से प्रभावित करेगी, ज्योतिष में अस्त बुध का क्या महत्व होता है, साथ ही जानेंगे अस्त बुध के नकारात्मक प्रभावों से बचने के कुछ बेहद सरल और ज्योतिषीय उपायों की जानकारी।
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सिंह राशि में बुध अस्त 2024- समय
सबसे पहले बात करें समय की तो दरअसल सिंह राशि में बुध 12 अगस्त 2024 को 9:49 पर अस्त हो जाएंगे। इसके अलावा यहां यह भी जानना महत्वपूर्ण हो जाता है कि सूर्य से अस्त ग्रहों की दूरी अलग-अलग निर्धारित की गई है। जैसे बात करें चंद्रमा की तो जब चंद्रमा सूर्य के दोनों तरफ 12 डिग्री के भीतर आ जाता है तो अस्त हो जाता है। वहीं बुध की बात करें तो सूर्य के निकट 5-6 डिग्री के अंदर आने पर सूर्य अस्त हो जाता है। हालांकि अगर बुध वक्री चाल में चल रहा है तो यह 12 डिग्री निकट आने पर अस्त होता है। शुक्र की बात करें तो 5 6 डिग्री के भीतर आने पर अस्त हो जाता है। वहीं अगर शुक्र वक्री गति में है तो यह आठ डिग्री पर अस्त होगा।
इसके अलावा अन्य ग्रहों की बात करें तो,
मंगल: सूर्य के दोनों ओर 7-8 डिग्री के भीतर अस्त होता है।
बृहस्पति: सूर्य के दोनों ओर 9-10 डिग्री के भीतर अस्त होता है।।
शनि: सूर्य के दोनों ओर 9-10 डिग्री के भीतर अस्त होता है।।
राहु और केतु छाया ग्रह हैं और ये अस्त नहीं होते हैं।
इसके अलावा आपकी जानकारी के लिए बता दें कि राहु और केतु को चूंकि छाया ग्रह का दर्जा दिया गया है ऐसे में सूर्य के बहुत करीब आने पर यह अस्त नहीं होते हैं बल्कि यह ग्रहण का कारण बनते हैं।
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ग्रहों के अस्त होने से क्या होता है?
अस्त ग्रह अपनी शक्ति खो देते हैं और कुंडली में अपने शुभ परिणाम व्यक्ति के जीवन में नहीं दे पाते हैं। हालांकि यहां पर भी कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना होता है। जो ग्रह सूर्य की जितना करीब जाता है उसे उतना ही अस्त का सामना करना पड़ता है। ऐसे में अगर बुध सूर्य से 14 डिग्री दूर है तो यह अपने प्रारंभिक दहन या अस्त चरण में प्रवेश कर जाता है लेकिन अगर यह सूर्य से 5 डिग्री दूर है तो यह गंभीर रूप से अस्त माना जाता है।
क्या यह जानते हैं आप? ग्रहों का अस्त होना जलने के समान अलग-अलग श्रेणियां में बांटा गया है: प्रथम डिग्री, 2 डिग्री, 4 डिग्री अस्त होना। कुछ ग्रह दूसरों की तुलना में ज्यादा गंभीर अस्त माने जाते हैं। यहां तक की यह विकृति का कारण भी बनते हैं।
बुध अस्त
बुध और सूर्य आमतौर पर कक्षा में हमेशा एक दूसरे के करीब भी मौजूद होते हैं जिसका अर्थ है कि वह दोनों एक साथ ही यात्रा करते हैं और उन दोनों के बीच की दूरी 25 डिग्री के अंतर से अधिक नहीं होती है। अगर आप ध्यान दें तो बुध सूर्य के सबसे निकटतम ग्रह है और उसके बाद शुक्र है जिसका अर्थ है कि सूर्य से दूर रहने की तुलना में सूर्य के करीब बुध बेहतर परिणाम देगा।
बुध और सूर्य की इस ऊर्जा को कम उम्र में ही अधिकतम 32 वर्ष की आयु तक ही चिंता जनक या परेशानी जनक माना जा सकता है क्योंकि इसमें आक्रामकता, सक्रिय दिमाग, और कभी-कभी चिंतित ऊर्जा प्रकट हो सकती है। हालांकि बुध की तीव्रता धीरे-धीरे खत्म होने लगती है। ज्योतिष के अनुसार बुध सबसे तेज गति से चलने वाले ग्रहों में से एक माना गया है। यही कारण है कि मजबूत बुध कन्या और मिथुन राशि के जातकों को अंदर से बहुत मजबूत बनाता है क्योंकि ऐसे व्यक्ति जानते हैं कि अपना नियंत्रण और भावना को खोये बिना कठिनाई से कैसे निपटना है।
जब बुध सूर्य के पीछे हो (बुध सूर्य से कम डिग्री रखता है)- यह सबसे कम प्रभावित स्थान माना जाता है क्योंकि आम तौर पर यह दर्शाता है कि व्यक्ति के बौद्धिक संचार और विश्लेषण आत्मक कौशल को बढ़ाने और स्थिर होने में समय लगेगा। ऐसे व्यक्ति गणनात्मक, सावधान और अपने जीवन के हर पहलुओं को बारीकी से ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ते हैं। जब भावनात्मक अभिव्यक्ति की बात आती है तो यहां बुध कम प्रभावित नजर आ सकता है क्योंकि ऐसे व्यक्ति कुछ भी कहने से पहले बहुत अधिक सोचते हैं, अपनी भावनाओं और विचारों का ज्यादा विश्लेषण करते हैं। हालांकि बुध 28 से 32 वर्ष की आयु के बीच अधिकतम परिणाम दे सकता है।
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जब बुध सूर्य के सामने हो (बुध सूर्य से अधिक डिग्री धारण करता है)- ऐसी स्थिति में व्यक्ति बेहद भावुक और अभिव्यंजक प्रभाव के होते हैं और कम उम्र से ही कम गुस्सा दिखाते हैं। ऐसे व्यक्तियों का स्वभाव बहादुर और सक्रिय होते हैं और उनका मन हमेशा कुछ नया सीखने की तलाश में लगा रहता है। ऐसे व्यक्ति आसानी से नए कौशल सीख और प्राप्त कर लेते हैं। हालांकि यहां समस्या निरंतर और समर्पण की कमी नजर आ सकती है। यहां व्यक्ति हर चीज और किसी भी चीज को केवल बुनियादी रूप में ही जानता है जब तक की यह उसके पेशे से ना जुड़ी हो। ऐसे व्यक्ति जीवन के शुरुआती चरण में नेतृत्व की स्थिति प्राप्त करते हैं। हालांकि स्वभाव से यह बेहद ही आवेगी और भावुक होते हैं।
सूर्य अन्य ग्रहों को जलाने की क्षमता रखता है। जब सूर्य किसी भी ग्रह को अस्त करता है तो इससे उस ग्रह का महत्व कम होने लगता । उदाहरण के तौर पर बात करें तो अगर बुध अस्त है तो यह व्यक्ति की संचार, बुद्धि और विश्लेषणात्मक क्षमता को प्रभावित करेगा।
अस्त ग्रह के उपाय
- अस्त ग्रह को मजबूत करने के लिए आप रत्न उपचार या उस ग्रह के लिए कोई विशिष्ट मंत्र जाप के माध्यम से उस ग्रह को मजबूत करके उससे मिलने वाले नकारात्मक प्रभाव को कम कर सकते हैं। जैसे कि अस्त ग्रह से संबंधित रत्न किसी विद्वान ज्योतिषी की परामर्श के बाद पहना जा सकता है। ऐसा करके आपको उस संबंधित ग्रह के शुभ परिणाम प्राप्त होंगे।
- इसके अलावा आप चाहें तो अस्त ग्रह से संबंधित देवी देवता की पूजा करें। यह एक बेहद ही सरल, कारगर और बेहद सटीक उपाय है।
- अनुष्ठान और पूजा करें। संबंधित ग्रह की पूजा अनुष्ठान करने से भी अस्त ग्रह से जुड़े नकारात्मक प्रभाव कम होने लगते हैं और व्यक्ति को उस ग्रह की शुभता मिलती है। उदाहरण के लिए बात करें तो मान लीजिए बुध ग्रह अस्त है तो इसके लिए बुधवार को अनुष्ठान करें, बुध से संबंधित चीजों का दान करें, आदि। ज्योतिषियों से मार्गदर्शन प्राप्त करें, समग्र चार्ट के आधार पर व्यक्तिगत उपचार के लिए आप किसी जानकार ज्योतिषी से परामर्श भी कर सकते हैं। वह आपकी जन्म कुंडली और ग्रहों की शक्ति के आधार पर आपको विशिष्ट उपाय बता सकते हैं जिनसे आपको अस्त ग्रह से निकलने वाले अशुभ प्रभावों से छुटकारा मिल सकता है।
- मंत्रों का जाप। ast ग्रह से संबंधित मंत्रों का जप भी एक कारगर उपाय है। मंत्र ग्रह की ऊर्जा को संरक्षित करने और उसके नकारात्मक प्रभाव को कम करने की क्षमता रखते हैं।
- व्रत आदि करें। अस्त ग्रह से जुड़े विशिष्ट दिन पर उपवास भी एक कारगर उपाय माना गया है। इससे अक्सर ऊर्जा के शुद्धिकरण और संतुलन के रूप में देखा जाता है।
चलिए अब आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं की सिंह राशि में बुध अस्त का सभी 12 राशियों को कैसा प्रभाव मिलने वाला है।
चलिए अब आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं की सिंह राशि में बुध अस्त का सभी 12 राशियों को कैसा प्रभाव मिलने वाला है।
सिंह राशि में बुध अस्त- राशि अनुसार प्रभाव और उपाय
मेष राशि
मेष राशि के जातकों के लिए बुध तीसरे और छठे घर का स्वामी है और …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
वृषभ राशि
वृषभ राशि के जातकों के लिए बुध दूसरे और पंचम भाव का स्वामी है और आपके …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
मिथुन राशि
मिथुन राशि के जातकों के लिए बुध पहले और चतुर्थ भाव का स्वामी है और …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
कर्क राशि
कर्क राशि के जातकों के लिए बुध तीसरे और बारहवें घर का स्वामी है और आपके…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
सिंह राशि
सिंह राशि के जातकों के लिए बुध दूसरे और 11वें भाव का स्वामी है और आपके …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
कन्या राशि
कन्या राशि के जातकों के लिए बुध पहले और दशम भाव का स्वामी है और आपके…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
तुला राशि
तुला राशि के जातकों के लिए बुध नवम और 12वें भाव का स्वामी है और…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के जातकों के लिए बुध अष्टम और ग्यारहवें भाव का स्वामी है और आपके…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
धनु राशि
धनु राशि के जातकों के लिए बुध सप्तम और दशम भाव का स्वामी होकर आपके …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
मकर राशि
मकर राशि के जातकों के लिए बुध छठे और नवम भाव का स्वामी है और आपके …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
कुम्भ राशि
कुंभ राशि के जातकों के लिए बुध पंचम और अष्टम भाव का स्वामी है और आपके सातवें…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
मीन राशि
मीन राशि के जातकों के लिए बुध चतुर्थ और सप्तम भाव का स्वामी है और आपके …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
उत्तर: सिंह राशि में बुध 12 अगस्त 2024 को 9:49 पर अस्त हो जाएंगे।
उत्तर: बुध ग्रह हमारे बुद्धि को, हमारे सोचने समझने की क्षमता, विश्लेषणात्मक कौशल, तंत्रिका तंत्र आदि को नियंत्रित करता है। ऐसे में मजबूत बुध इन सभी क्षेत्रों में शुभ परिणाम लेकर आते हैं।
उत्तर: बुध 26 अगस्त 2024 को 18:14 पर उदय होने वाला है।
उत्तर: ज्योतिष के अनुसार जहां एक तरफ सूर्य और शुक्र बुध के मित्र ग्रह माने गए हैं वहीं मंगल और चंद्रमा बुध के शत्रु होते हैं।