मीन संक्रांति 2024 हिन्दुओं का प्रमुख और लोकप्रिय त्योहार है जो भगवान सूर्य को समर्पित होता है। वैदिक ज्योतिष में सूर्य को सभी नौ ग्रहों के राजा कहा गया है और यह हर महीने अपनी राशि परिवर्तन करते हैं। सूर्य के इस परिवर्तन को गोचर कहा जाता है और इस प्रकार, एक साल में कुल 12 संक्रांति तिथि आती है। एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में आपको मीन संक्रांति 2024 के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्राप्त होगी जैसे कि तिथि, मुहूर्त आदि। इसके अलावा, क्या है मीन संक्रांति का महत्व और क्यों मनाया जाता है यह पर्व? इस दिन क्या करें और क्या नहीं, यह भी हम आपको बताएंगे। लेकिन, इसके लिए आपको लेख अंत तक पढ़ना जारी रखना होगा।
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सबसे पहले हम आपको अवगत करवाएंगे कि क्या होती है संक्रांति। ज्योतिष और सनातन धर्म में सूर्य देव को विशेष स्थान प्राप्त है जो संसार को अपनी रोशनी से रोशन करते हैं। यह एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनके दर्शन मनुष्य साक्षात कर सकता है। आपको बता दें कि जब सूर्य देव एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तो इस गोचर को संक्रांति के नाम से जाना जाता है और इस घटना को बहुत ही शुभ माना जाता है। इस प्रकार, वर्ष भर में सूर्य सभी 12 राशियों में एक माह तक बारी-बारी से रहते हैं और ऐसे में, इन्हें राशि चक्र को पूरा करने में एक साल का समय लगता है। अब सूर्य देव जल्द ही अपना राशि चक्र पूरा करते हुए मीन राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं।
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मीन संक्रांति 2024: तिथि और मुहूर्त
यह हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि एक साल में सूर्य महाराज 12 बार अपनी राशि में परिवर्तन करते हैं और ऐसे में, एक वर्ष में 12 संक्रांति आती है। मेष से लेकर मीन तक सूर्य जिस राशि में प्रवेश करते हैं उस संक्रांति का नाम उसी राशि के नाम पर पड़ता है जैसे कि भगवान सूर्य अब मीन राशि में गोचर करने जा रहे हैं इसलिए इसे मीन संक्रांति कहा जाएगा। वर्ष 2024 में मीन संक्रांति का पर्व 14 मार्च 2024, गुरुवार को मनाया जाएगा और इस दिन दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर सूर्य मीन राशि में गोचर कर जाएंगे। मीन संक्रांति को छोड़कर सूर्य भगवान के गोचरकाल को किसी भी प्रकार का शुभ कार्य करने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।
मीन संक्रांति पूजा मुहूर्त
मीन संक्रांति पर पुण्य काल का आरंभ: दोपहर 12 बजकर 46 मिनट से शाम 06 बजकर 28 मिनट तक
मीन संक्रांति पर महापुण्य काल का आरंभ: दोपहर 12 बजकर 46 मिनट से दोपहर 02 बजकर 46 मिनट तक
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मीन संक्रांति 2024 का धार्मिक एवं ज्योतिषीय महत्व
धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से, मीन संक्रांति को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस अवधि में सूर्य राशि चक्र की बारहवीं और आख़िरी राशि मीन में प्रवेश कर जाते हैं। साथ ही, यह संक्रांति हिंदू वर्ष के अंतिम महीने में आने की वजह से साल की अंतिम संक्रांति होती है और यह दिन भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना के लिए बेहद शुभ मानी जाती है। हालांकि, देश के विभिन्न हिस्सों में मीन संक्रांति को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। इस क्रम में, मीन संक्रांति को दक्षिण भारत में ‘मीन संक्रमण’ के नाम से जाना जाता है।
भारत के कुछ राज्यों विशेषकर पंजाब, केरल और तमिलनाडु आदि में हर माह की शुरुआत में मीन संक्रांति का पर्व मनाया जाता है जबकि आंध्र प्रदेश में प्रत्येक महीने के उत्तरार्द्ध में इस त्योहार को मनाने का रिवाज़ है। साल भर में आने वाली सभी संक्रांतियों के समान ही इस संक्रांति पर भी स्नान और दान करने का महत्व होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मीन संक्रांति के अवसर पर भूमि का दान करने से मनुष्य के जीवन में खुशहाली का आगमन होता है और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन सूर्य देव मीन राशि में गोचर करते हैं जिसके शुभ-अशुभ प्रभाव सभी राशियों के जातकों पर पड़ते हैं। ज्योतिष में सूर्य को मान-सम्मान, तेज और भाग्य का कारक ग्रह माना गया है। ऐसे में, मीन संक्रांति के दिन सूर्य उपासना फलदायी सिद्ध होती है और इस संक्रांति पर इनके पूजन से भाग्य आपका साथ देने लगता है। साथ ही, व्यक्ति के तेज में वृद्धि होती है। जातक को सूर्य पूजन के दौरान आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है।
मीन संक्रांति पर आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से आप शत्रुओं को परास्त करने में सक्षम होते हैं और आपके जीवन से हर प्रकार की नकारात्मकता दूर रहती है। इस तिथि पर सूर्य पूजन से मनुष्य को आंतरिक और बाहरी दोष से मुक्ति मिलती है जिससे आत्मा और मन दोनों की शुद्धि होती है। ब्रह्म पुराण में वर्णित है कि स्वयं भगवान कृष्ण ने कहा है कि जो भक्त सूर्य की पूजा करते हैं उन्हें अपने जीवन में ज्ञान और मान-सम्मान प्राप्त होता है, पिता का सहयोग मिलता है और धन व प्रतिष्ठा में भी वृद्धि होती है। हालांकि, प्रतिदिन सूर्य पूजा करना लाभकारी होता है, परंतु संक्रांति के दिन यह विशेष रूप से करनी चाहिए।
मीन संक्रांति से एक माह तक शुभ कार्यों पर लग जाएगी रोक
मीन संक्रांति पर सूर्य के मीन राशि में गोचर के साथ ही मलमास की शुरुआत हो जाएगी इसलिए इस अवधि के दौरान ज्यादा से ज्यादा पूजा-पाठ करना चाहिए। इसके अलावा, प्रत्येक शुभ कार्य को करने से पहले कुंडली में सूर्य और गुरु की स्थिति का विश्लेषण किया जाता है और जब सूर्य देव गुरु ग्रह के अधिपत्य वाली राशि मीन में होते हैं, उस समय उनका तेज कम हो जाता है। साथ ही, सूर्य ग्रह के तेज की वजह से गुरु देव भी कमज़ोर हो जाते हैं। ऐसे में, इस अवधि में किसी भी तरह के मांगलिक और शुभ कार्यों जैसे कि मुंडन, गृह प्रवेश, विवाह आदि को करने से बचना चाहिए। बता दें कि मीन संक्रांति से लेकर अगले पूरे महीने तक कोई भी शुभ काम को न करें ।
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मीन संक्रांति पर किये जाने वाले रीति-रिवाज़
- मीन संक्रांति पर पवित्र नदियों जैसे गंगा, यमुना और सरस्वती आदि के जल में स्नान करना चाहिए। ऐसा करने से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं।
- वैदिक मंत्रों का जाप करते हुए दान-पुण्य करें जो कि बेहद शुभ माना जाता है।
- इस संक्रांति पर प्रातःकाल सूर्योदय के समय उठें और किसी पवित्र नदी में स्नान करें। यदि ऐसा करना संभव न हो, तो नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर नहाएं।
- इस दिन भक्त को मंदिर जाकर भगवान के दर्शन करने चाहिए या फिर घर पर ही प्रभु की धूप, दीप, फल, फूल, मिष्ठान आदि से पूजा-अर्चना करें।
- ऐसा करने के बाद ज़रूरतमंदों और ब्राह्मणों को अन्न, वस्त्र आदि का अपने सामर्थ्य अनुसार दान करें। मीन संक्रांति पर भूमि का दान करना शुभ होता है।
- इस तिथि पर किये गए दान-पुण्य और अन्य धार्मिक कार्यों से व्यक्ति को अपने पूर्वजन्म के पापों से मुक्ति मिलती है।
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मीन संक्रांति पर जरूर करें उपाय
- मीन संक्रांति 2024 पर जातक सूर्य उपासना करने के बाद केले का दान करें।
- इस तिथि पर अपने इष्ट देव को पीले रंग के वस्त्र पहनाएं और स्वयं भी पीले कपड़े धारण करें।
- मीन संक्रांति के दिन आपको सूर्य मंत्रों का जाप या फिर सूर्य चालीसा का पाठ करना चाहिए।
- इस दिन भगवान सूर्य के 12 नामों का 108 बार माला जाप करें।
- आप चाहे तो मीन संक्रांति के दिन लाल रंग के वस्त्र भी गरीब एवं जरूरतमंद को दान कर सकते हैं।
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