मौनी अमावस्या 2023: 30 साल बाद बन रहा है अद्भुत संयोग; नोट कर लें डेट

मौनी अमावस्या 2023: सनातन धर्म में चंद्रमा की गति और राशियों में इसके गोचर को बहुत ही अहम माना गया है क्योंकि चंद्रमा के चरणों के माध्यम से ही चंद्र मास में तिथि और त्योहारों को निर्धारित किया जाता है। एक चंद्र मास में दो पक्ष होते हैं, एक शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष। शुक्ल पक्ष के दौरान चंद्रमा हर दिन धीरे-धीरे बढ़ता है और शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन पूर्णिमा पर अपने पूरे स्वरूप में होता है। वहीं, कृष्ण पक्ष के दौरान चंद्रमा का आकार कम होने लगता है और धीरे-धीरे अमावस्या की ओर बढ़ने लगता है। कृष्ण पक्ष का अंतिम दिन अमावस्या के रूप में मनाया जाता है।

अमावस्या के दिन दान-पुण्य और पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है। लेकिन इसका महत्व तब और भी बढ़ जाता है जब अमावस्या के साथ कोई महत्वपूर्ण घटना या मान्यता जुड़ जाए। मौनी अमावस्या 2023 का हिंदू धर्म में अपना स्थान है। तो आइए एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में जानते हैं मौनी अमावस्या 2023 की तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व व इससे जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी।

भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके

मौनी अमावस्या 2023: अर्थ और महत्व

आसान शब्दों में कहें तो, मौनी का अर्थ मौन से होता है यानी इस दिन व्रत रखने वाले लोग पूरे दिन मौन धारण करते हैं। इसलिए पूरे दिन मौन रहने के कारण ही इसे मौनी अमावस्या कहा जाता है। इसके अलावा, माघ का महीना तपस्या और आध्यात्मिक कार्यों के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।

ऐसी मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था। इस दिन व्रत करने वाले को पूरे दिन मौन व्रत का पालन करना होता है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, मौनी अमावस्या को भगवान से क्षमा प्रार्थना करने और तपस्या करने के लिए बहुत शुभ माना जाता है। सावधानी बरतें और कोशिश करें कि इस दिन कोई विशेष काम न करें।

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा

मौनी अमावस्या माघ महीने के मध्य में आती है इसलिए इसे माघी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। माघ के पूरे महीने भक्त अपने पापों से मुक्ति पाने और मोक्ष प्राप्त करने के लिए गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं। पवित्र जल में स्नान करने का अनुष्ठान पौष पूर्णिमा से शुरू होता है और माघ पूर्णिमा पर जाकर समाप्त होता है। मौनी अमावस्या के दिन, गंगा नदी का जल अमृत के समान हो जाता है जिसमें स्नान करने से व्यक्ति हर पापों से मुक्ति पा लेता है।

30 साल बाद मौनी अमावस्या पर बन रहा विशेष संयोग

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार मौनी अमावस्या पर 30 साल बाद खप्पर योग बन रहा है। यह योग धार्मिक कार्यों और कुंडली में शनि के शुभ प्रभाव के लिए किए जाने वाले उपायों के लिए विशेष माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में नवग्रहों में सबसे गतिशील, सुंदर और आध्यात्मिक ग्रह शनि ढाई वर्ष में राशि परिवर्तन करते हैं। इन ढाई वर्षों के दौरान शनि की वक्री और मार्गी अवस्था चलती रहती है और इसके बाद शनि एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करते हैं। इस बार मौनी अमावस्या से चार दिन पहले ही शनि राशि परिवर्तन कर लेंगे। 

चूंकि, शनि कुंभ राशि में मौजूद हैं इसलिए मौनी अमावस्या का महापर्व अद्भुत योग में पड़ रहा है। मकर राशि में सूर्य, शुक्र की युति और त्रिकोण की स्थिति खप्पर योग का निर्माण कर रही है। हालांकि यह स्पष्ट है कि जब इस प्रकार की युति बनती है तो अलग-अलग प्रकार के योग संयोग बनते हैं। इस साल शनि पूरे 30 साल बाद कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। इस दृष्टि से, 30 वर्ष बाद मौनी अमावस्या को महापर्व के रूप में मनाया जाएगा। इस दौरान दान, तीर्थ यात्रा, भागवत गीता का श्रवण आदि का विशेष महत्व होता है।

मौनी अमावस्या 2023: तिथि और समय

माघ/मौनी अमावस्या तिथि: 21 जनवरी, 2023 (शनिवार)

प्रारंभ समय: सुबह 06 बजकर 19 मिनट से

समाप्ति समय: 22 जनवरी, 2023 की रात 02 बजकर 25 मिनट तक

नये साल में करियर की कोई भी दुविधा कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट से करें दूर

मौनी अमावस्या 2023: पूजा विधि और मंत्र

मौनी अमावस्या का व्रत रखने से पहले जान लें सही पूजा विधि और मंत्रों के बारे में:

  • इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ-सफाई करें।
  • इसके बाद गंगा नदी में या आसपास किसी नदी में स्नान करें। अगर संभव न हो तो पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
  • पवित्र जल में स्नान करते समय इस मंत्र का जाप करें: –गंगा च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती, नर्मदे सिंधु कावेरी जलेस्मिन संनिधिम कुरु ||’
  • स्नान करने के बाद, श्रीहरि भगवान विष्णु के नाम का ध्यान करें और मौन रहने का संकल्प लें।
  • मौन व्रत के दौरान मन में उपरोक्त मंत्र का जप करें।
  • इस दिन तुलसी के पौधे की 108 बार परिक्रमा करें।
  • पूजा-पाठ के बाद गरीबों और जरूरतमंदों को धन, भोजन और वस्त्रों का दान करें।

मौनी अमावस्या पर पितृ दोष से मुक्ति के उपाय

  • मौनी अमावस्या के दिन अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना और उनका स्मरण करें। इसके बाद सूर्य को अर्घ्य दें।
  • सूर्यदेव को जल चढ़ाते समय उसमें लाल फूल और काले तिल जरूर मिलाएं।
  • पीपल के पेड़ की 108 परिक्रमा करें और सफेद रंग की मिठाई अर्पित करें।
  • इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को कंबल, आंवला, तिल का तेल, तिल के लड्डू आदि का दान करें।

सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर

इसी आशा के साथ कि आपको यह ब्लॉग भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।