एस्ट्रोसेज के अधिक मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri) के इस विशेष ब्लॉग में आपको अगस्त में पड़ रही मासिक शिवरात्रि की तिथि, पूजन विधि एवं महत्व की जानकारी दी जा रही है। संपूर्ण जानकारी के लिए अधिक मासिक शिवरात्रि ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़ें।
हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने के कृष्ण पक्ष की चर्तुदशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। इसका अर्थ है कि महीने के चौदहवें दिन को मासिक शिवरात्रि पड़ती है। मासिक शिवरात्रि में ‘मासिक’ शब्द का अर्थ होता है ‘महीना’ और ‘शिवरात्रि’ का अर्थ होता है ‘भगवान शिव को समर्पित रात्रि। यह दिन भगवान शिव की आराधना और उपासना के लिए होता है।
साल में एक बार महाशिवरात्रि आती है जबकि हर महीने मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। शिव के भक्तों के लिए इस शिवरात्रि का भी अत्यंत महत्व होता है। मान्यता है कि मनचाहा जीवनसाथी पाने की कामना से भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए मासिक शिवरात्रि पर व्रत रखने का विधान है। शास्त्रों के अनुसार मासिक शिवरात्रि पर व्रत एवं पूजन करने से व्यक्ति अपनी इंद्रियों को नियंत्रण में रख पाता है और इससे गुस्से, जलन, ईर्ष्या, घमंड और लालच जैसी बुरी भावनाएं भी मन से दूर हो जाती हैं।
हिंदू धर्म में मासिक शिवरात्रि का महत्व
भगवान शिव की आराधना के लिए शिवरात्रि का दिन बहुत शुभ माना जाता है। यदि आपकी कोई मनोकामना अधूरी है या आप मनचाहा जीवनसाथी पाना चाहते हैं या अपने वैवाहिक जीवन को सुखी बनाने की कामना रखते हैं, तो हर महीने मासिक शिवरात्रि का व्रत कर सकते हैं। महिलाएं और पुरुष दोनों ही मासिक शिवरात्रि पर व्रत एवं पूजन कर सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि अगर कोई व्यक्ति मासिक शिवरात्रि के पूरे दिन और रात में भी भगवान शिव के मंत्र ‘ॐ नम: शिवाय’ का जाप करता है, तो उसे मोह माया से मुक्ति मिल सकती है।
इसका अर्थ यह है कि शिवरात्रि के दिन शिव मंत्र का जाप करने वाले व्यक्ति के मन से सभी सुखों और सुविधाओं का मोह दूर हो जाता है। यदि कोई व्यक्ति लंबी बीमारी से ग्रस्त है, तो मासिक शिवरात्रि पर भगवान शिव का पूजन एवं व्रत रखने से उसकी स्थिति में जल्दी सुधार आने की संभावना रहती है। इस दिन व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और दुर्भाग्य एवं तनाव से मुक्ति मिल जाती है।
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अगस्त के महीने में कब पड़ रही है (अधिक) मासिक शिवरात्रि?
अगस्त में श्रावण माह है और इस महीने की 14 तारीख को मासिक शिवरात्रि पड़ रही है। यह शिवरात्रि सोमवार के दिन है। चूंकि, श्रावण का महीना भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष माना जाता है और सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है इसलिए अगस्त में पड़ रही मासिक शिवरात्रि का महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है। 14 अगस्त को मासिक शिवरात्रि प्रात: 12 बजकर 4 मिनट पर आरंभ होकर 15 अगस्त को प्रात: 12 बजकर 48 मिनट पर समाप्त होगी।
इस अधिक मासिक शिवरात्रि पर बन रहा है सिद्धि योग
14 अगस्त को 4 बजकर 39 मिनट 27 सेकंड तक सिद्धि योग बन रहा है। ऐसा माना जाता है कि इस योग में किए गए सभी कार्यों का शुभ परिणाम मिलता है। अगर आप किसी नए कार्य की शुरुआत करना चाहते हैं, तो उसके लिए 14 अगस्त का दिन काफी अनुकूल रहेगा। आप नया काम शुरू करने की सोच रहे हैं या नई नौकरी पर जाना है या गृह प्रवेश करना है, तो 14 अगस्त के दिन आप ये काम कर सकते हैं। ऐसी मान्यता है कि सिद्धि योग में किए गए सभी कार्य सफल होते हैं और उनका अच्छा परिणाम मिलता है।
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मासिक शिवरात्रि पूजन विधि
मासिक शिवरात्रि पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए विधि-विधान से पूजा की जाती है। मासिक शिवरात्रि की पूजन विधि इस प्रकार है:
- मासिक शिवरात्रि पर प्रात: काल जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
- इसके बाद मंदिर जाकर गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, सिंदूर, हल्दी, गुलाब जल और बेल के पत्तों से भगवान शिव का अभिषेक करें।
- आप शिवलिंग पर चंदन भी लगा सकते हैं और उस पर सिंदूर छिड़क कर फूल अर्पित कर सकते हैं।
- इसके बाद शंख या घंटी बजाकर शिव जी की आरती या मंत्र का जाप करना चाहिए।
- अब भगवान को घर पर बना प्रसाद अर्पित करें।
- आमतौर पर मासिक शिवरात्रि की यह पूजा रात के समय या अर्ध रात्रि को की जाती है। पूरे दिन उपवास रखने के बाद रात को पूजा होती है और फिर अगली सुबह व्रत का पारण किया जाता है।
- मासिक शिवरात्रि पर भजन-कीर्तन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने के अलावा देवी लक्ष्मी, मां सरस्वती और देवी पार्वती के पूजन का भी अत्यंत महत्व है। इस दिन प्रदोष काल को शुभ माना जाता है।
मासिक शिवरात्रि पर व्रत एवं पूजन करने के लाभ
मासिक शिवरात्रि पर व्रत रखने से बीमारियों से रक्षा मिलती है और परिवार में सुख आता है एवं उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा इस व्रत को करने से व्यक्ति अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में सक्षम होता है और उसे अपने करियर एवं व्यापार में भी सफलता मिलती है। यह व्रत मृत्यु के डर को समाप्त कर मोक्ष के द्वार खोलता है।
मासिक शिवरात्रि और शिवलिंग की पूजा कैसे शुरू हुई
किवदंती है कि एक बार भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा जी के बीच स्वयं को सर्वश्रेष्ठ सिद्ध करने को लेकर बहस छिड़ गई थी। दोनों एक-दूसरे से लड़ ही रहे थे कि अचानक दोनों के सामने एक स्तंभ प्रकट हो गया। इस स्तंभ का ना तो कोई आरंभ नज़र आ रहा था और ना ही इसका कोई अंत दिख रहा था। तब ब्रह्मा जी और विष्णु जी ने तय किया कि जो भी इस स्तंभ की उत्पत्ति और अंत की जानकारी पहले प्राप्त कर लेगा, वही दोनों में सबसे श्रेष्ठ होगा।
ब्रह्मा जी हंस का रूप लेकर स्तंभ के बारे में जानने के लिए निकल पड़े। वहीं भगवान विष्णु ने स्तंभ के अंत की जानकारी लेने के लिए वराह का रूप धारण किया था। स्तंभ की उत्पत्ति जानने के दोनों के प्रयास विफल हो गए और दोनों में से कोई भी इस बात का पता नहीं लगा पाया कि स्तंभ कहां से आया है और इसका अंत या आरंभ कहां है। दोनों ही देवता अपनी हार को स्वीकार नहीं कर पा रहे थे इसलिए ब्रह्मा जी ने झूठ कह दिया कि उन्हें स्तंभ की उत्पत्ति या आरंभ का स्रोत मिल गया है।
तब भगवान शिव क्रोध में आकर प्रकट हुए और तांडव करने लगे। तांडव करने के बाद विष्णु जी एवं ब्रह्मा जी को भगवान शिव ने बताया कि वो स्वयं उस स्तंभ के रूप में प्रकट हुए थे।
स्तंभ की उत्पत्ति का पता लगाने को लेकर ब्रह्मा जी ने जो झूठ बोला था, भगवान शिव उस पर क्रोधित हुए और उन्हें यह श्राप दिया कि धरती पर ब्रह्मा जी की पूजा करने के लिए एक भी मंदिर नहीं होगा। वह शिवरात्रि का दिन था, जब भगवान शिव ने लिंग का रूप लिया था और इसी दिन सबसे पहले भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी ने लिंग के रूप में शिवजी की पूजा की थी।
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मासिक शिवरात्रि की कथा
किवदंती है कि समुद्र मंथन के दौरान सागर से विष का कलश निकलने की वजह से हर जगह विनाश फैला हुआ था और लोगों में त्राहि मची हुई थी। हर किसी के मन में यह डर बैठा हुआ था कि अब पृथ्वी और मानव का विनाश हो जाएगा। ऐसे में सभी भक्त और देवता गण भगवान शिव से सहायता मांगने गए। तब भगवान शिव ने हलाहल नाम के विष का पान किया और संसार का नाश होने से बचाया। शिवजी ने विष को अपने कंठ यानी गले में धारण कर लिया था, जिसकी वजह से उनका गला नीला पड़ गया था। इसलिए इस अवधि में भगवान शिव के लिंग स्वरूप को दूध अर्पित करना बहुत शुभ माना जाता है। भक्त और श्रद्धालु इस समय भगवान शिव की आराधना में लीन रहते हैं।
अधिक मासिक शिवरात्रि के दिन करें ये ज्योतिषीय उपाय
मासिक शिवरात्रि के दिन कुछ ज्योतिषीय उपाय करने से आपकी मनोकामना शीघ्र पूरी हो सकती है :
- मासिक शिवरात्रि महीने की चतुर्दशी तिथि को पड़ रही है जो कि जल तिथि है इसलिए इस दिन भगवान शिव की जंबूकेश्वर के रूप में पूजा की जाती है। मासिक शिवरात्रि पर 108 बार ‘ॐ जंबूकेश्वराय नम:’ का जाप करें। आप ‘ॐ नम: शिवाय’ का जाप भी कर सकते हैं।
- शिव चालीसा का पाठ करें।
- यदि संभव हो, तो मासिक शिवरात्रि के दिन रुद्राभिषेक भी कर सकते हैं। आप शिवलिंग पर पानी और दूध अर्पित कर रुद्राभिषेक कर सकते हैं।
- दान-दक्षिणा के लिए मासिक शिवरात्रि का दिन बहुत शुभ माना जाता है। इसके अलावा क्षमादान के लिए भी यह दिन अनुकूल होता है। यदि आप किसी से नाराज़ हैं या किसी ने आपका दिल दुखाया है, तो उन्हें आज के दिन क्षमा कर दें। ऐसा करने से मन को शांति मिलती है।
- मासिक शिवरात्रि के दिन ‘ॐ नमो भगवते रुद्राय’ का जाप करते रहें।
- यदि आपके वैवाहिक जीवन में कोई समस्या आ रही है या पति-पत्नी के बीच अनबन रहती है, तो आप मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव और देवी पार्वती के विवाह की तस्वीर अपने घर के पूजन स्थल में रखें। रोज इस तस्वीर की पूजा करें और पूजन में 108 बार ‘हे गौरी शंकर अर्धांगिनी यथा त्वं शंकर प्रिया तथा माम कुरू कल्याणी कान्त कान्ता सुदुर्लभम्’ मंत्र का जाप करें।
- कुंवारी कन्याएं मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए मासिक शिवरात्रि पर एक विशेष उपाय कर सकती हैं। मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का व्रत रखें और उनका विधिपूर्वक पूजन करें। इसके बाद रुद्राक्ष की माला से 108 बार ‘ॐ गौरी शंकर नम:’ का जाप करें। अब एक रुद्राक्ष को गंगाजल में डालकर शुद्ध कर लें और फिर इसे लाल धागे में पिरोकर अपने गले में पहन लें। जब तक आपकी मनोकामना पूरी नहीं हो जाती, तब तक आपको इस रुद्राक्ष को पहने रखना है।
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