मासिक कार्तिगाई : जानें इस व्रत का महत्व और पूजन विधि

मासिक कार्तिगाई दीपम तमिल हिंदुओं के बीच मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्यौहार है। तमिल हिंदुओं द्वारा मनाए जाने वाला यह त्यौहार सबसे पुराने त्योहारों में से एक माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार मासिक कार्तिगाई 8 सितम्बर, 2020, मंगलवार को यह पर्व मनाया जाएगा। दिवाली की तरह इस दिन शाम के समय घरों, गलियों, और आसपास की जगहों पर तेल के दीए जलाए जाते हैं।

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कार्तिगाई दीपम का नाम कार्तिकायी या कार्तिका कृतिका नक्षत्र से लिया गया है। जिस दिन कृतिका नक्षत्र प्रबल होता है उसी दिन मासिक कार्तिगाई का ये त्यौहार मनाया जाता है।

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इस त्यौहार में भगवान शिव की पूजा की जाती है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी को अपनी श्रेष्ठता साबित करने के लिए खुद को एक प्रकाश की अनंत ज्योति में तब्दील कर दिया था।

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मासिक कार्तिगाई पूजन विधि 

  • शाम के समय शिवालय में जाकर शिवलिंग की पूजा करें। 
  • उन्हें इत्र, सिंदूर, धतूरा, लाल फूल, दूध, शहद, घी, शक्कर, गुड़ की मिठाई, यज्ञोपवित, आदि समर्पित करें। 
  • इस दिन सुगंधित तेल के तीन दीपक जलाए जाने का भी प्रावधान होता है। 
  • इसके अलावा चंदन की अगरबत्ती जलाएं। 
  • गुलाबी कनेर का फूल चढ़ाएं। और चावल की खीर का भोग लगाएं।

इस दिन जरूर करें ये काम 

  • मान्यता है कि मासिक कार्तिगाई के दिन अगर शिवलिंग के सामने आटे से बना सुगंधित तेल का छह मुखी दीपक जलाया जाए तो इससे इंसान की सेहत अच्छी रहती है। 
  • इसके अलावा अगर भाग्य चमकाने हो तो इस दिन शिवालय में शुद्ध घी के 9 मुखी दीपक को जलाए जाने की सलाह दी जाती है। 
  • इसके अलावा अगर आपको अपने परिवार में लंबे समय से चल रहा कोई विवाद खत्म करना हो तो इस दिन शिवलिंग पर चाशनी चढ़ाने का विधान बताया गया है। 
  • और अगर घर परिवार के नुकसान से बचने के लिए उपाय करना हो तो इस दिन शिवलिंग पर गुलाबी रंग के फूल चढ़ाएं। 
  • इसके अलावा कार्यक्षेत्र में अपनी किस्मत चमकानी हो तो इस दिन शिवलिंग पर गुलाबी रंग का धागा चढ़ाएं।

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मासिक कार्तिगाई दीपम वर्ष में प्रत्येक माह में मनाया जाता है लेकिन मुख्य मासिक कार्तिगाई दीपम पर्व कार्तिक माह में पड़ता है। तिरुवन्नामलई की पहाड़ी में मासिक कार्तिगाई दीपम का यह त्यौहार बेहद ही प्रसिद्ध है। इस दिन तिरुवन्नामलई की पहाड़ी पर एक विशाल दीप जलाया जाता है। यह दीपक इतना विशाल होता है कि इसे दूर-दूर से देखा जा सकता है। इस दीपक को गढ़ महाद्वीपों के नाम से जाना जाता है। तिरुवन्नामलई की पहाड़ी पर बड़ी तादाद में लोग आते हैं और भगवान आशुतोष भोले की पूजा कर उनसे अपने घर परिवार की सुख-शांति, लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ इत्यादि की कामना करते हैं। 

मासिक कार्तिगाई त्यौहार की कथा 

भगवान शिव भगवान विष्णु भगवान ब्रह्मा के समक्ष एक प्रकाश की अनंत ज्योति के रूप में प्रकट हुए थे। भगवान शिव के अवतार की वजह थी इन दोनों देवों में श्रेष्ठ देव का चयन करना। भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा दोनों में इस बात को लेकर बहस छिड़ गई कि उन दोनों में से अधिक श्रेष्ठ कौन है? ऐसे में भगवान शिव ने दोनों देवों से कहा कि आपको इस अनंत ज्योति का आदि और अंत ढूंढना है। अर्थात भगवान शिव का सिर और उनके चरण ढूंढना है। 

दोनों देवता ये  सुनते ही खोज में निकल गए।  किंतु भगवान विष्णु जल्दी ही वापस लौट आए। आकर उन्होंने भगवान शिव के समक्ष इस बात को मान लिया कि भगवान शिव का ना ही कोई अंत है ना ही कोई आदि। इसके बाद भगवान ब्रह्मा आये और उन्होंने कहा कि उन्हें भगवान शिव का सर देखने को मिला है।  किंतु यह बात पूरी तरह से झूठ निकली। ऐसे में भगवान शिव ने उनसे कहा कि पृथ्वी पर भगवान ब्रह्मा का ना ही कोई मंदिर बनेगा और ना ही किसी तरह की उनकी पूजा की जाएगी।  इस तरह से भगवान विष्णु भगवान ब्रह्मा से श्रेष्ठ साबित हुए। मासिक कार्तिगाई के दिन भगवान शिव की आराधना की जाती है। 

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