दुर्गा अष्टमी विशेष: जानें इस दिन का महत्व और पूजा विधि !

हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हर माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गा अष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस दिन व्रत रखकर दुर्गा माता की पूजा अर्चना कर व्यक्ति अपने सभी दुखों से निजता पा सकता है। बता दें कि जिस प्रकार से शारदीय नवरात्र के दौरान अष्टमी तिथि को विशेष रूप से माता के लिए व्रत रखा जाता है ठीक उसी प्रकार से मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन भी देवी की विशेष पूजा अर्चना का विधान है। आज हम आपको मासिक दुर्गा अष्टमी के महत्व और पूजा विधि के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। आइये जानते हैं आज किस विधि से दुर्गा माता की पूजा कर आप लाभ पा सकते हैं।

दुर्गा अष्टमी का महत्व 

हिन्दू धर्म में दुर्गा अष्टमी व्रत को मुख्य रूप से दुर्गा माता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए रखा जाता है। हमारे धर्मशास्त्रों के अनुसार दुर्गा शब्द का अर्थ है जो कभी हार ना माने और जिसे कोई पराजित ना कर सकें। मान्यता है कि दुर्गा माता ने अष्टमी तिथि को ही महिषासुर का वध किया था इसलिए इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस तिथि को दुर्गा माता ने महिषासुर का वध करने के लिए भद्रकाली का रौद्र रूप धारण किया था। उन्होनें असुरों का नाश कर देवताओं को उसके चंगुल से बचाया था। इसलिए दुर्गा अष्टमी के दिन दुर्गा माता का व्रत रखकर उनकी पूजा अर्चना को विशेष महत्व दिता जाता है। जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में आने वाली मुसीबतों को दूर करने के लिए इस दिन श्रद्धाभाव से माता का व्रत रखा जाता है। 

दुर्गा अष्टमी के दिन इस प्रकार से करें माँ दुर्गा की पूजा 

  • आज यदि आप व्रत रख रहे हैं तो सबसे पहले सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान कर खुद को शुद्ध करें। 
  • इसके बाद पूजा स्थल की पहले सफाई करें और एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर दुर्गा जी की प्रतिमा स्थापित करें। 
  • अब माता को फूल, जल, अक्षत, धूप, दीप, नैवेध आदि के साथ उनकी विधि पूर्वक पूजा करें। 
  • इस दिन विशेष रूप से दुर्गा माता के महागौरी रूप की पूजा की जाती है। इसलिए पूजा में लाल रंग के फूलों का प्रयोग अनिवार्य माना जाता है। 
  • विधिवत पूजा करने के बाद दुर्गा चालीसा का पाठ करें और दुर्गा माता के विभिन्न मंत्रों का जाप करें। 
  • इसके बाद माता की आरती करें और हाथ जोड़कर उनसे सुखी संपन्न जीवन की कामना करें। 
  • दुर्गा अष्टमी के दिन कुंवाड़ी कन्याओं को भोजन करवाना भी शुभ फलदायी माना जाता है। 

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दुर्गा अष्टमी से जुड़े पौराणिक कथा की बात करें तो, इस दिन आदिशक्ति माता दुर्गा ने महिषासुर नाम के असुर का नाश कर देवताओं की रक्षा की थी। महिषासुर काफी अभिमानी असुर था जिसने स्वर्ग लोक पर हमला कर सभी देवताओं को अपना बंदी बना लिया था। यहाँ तक की देवराज इंद्र भी उसके बंदी थे। इस दुःख की घड़ी से निकलने के लिए देवताओं ने त्रिदेव का आहवान किया और उसके बाद ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने मिलकर आदिशक्ति का निर्माण किया जिन्हें दुर्गा माता के नाम से जानते हैं। चूँकि उन्होनें महिषासुर का संहार अष्टमी तिथि को किया था इसलिए इस दिन को दुर्गा अष्टमी के नाम से जानते हैं।