इस श्मशान में विवाह करने से सुखी रहता है वैवाहिक जीवन, यहाँ रोज़ होता है मांगलिक कार्य

यूँ तो आमतौर पर श्मशान का नाम सुनकर बहुत से लोग डर जाते हैं। श्मशान को वैसे तो अशुभ जगह के तौर पर देखा जाता है लेकिन आज हम आपको एक ऐसे श्मशान के बारे में  बताने जा रहे हैं जहाँ के बारे में ये मान्यता है कि यहाँ पर शादी करने से वैवाहिक जीवन हमेशा ख़ुशियों भरा और बिना किसी अड़चन के बीत-ता है। वैसे ये भी बात जानने वाली होती है कि श्मशान में भगवान शिव का वास होता है। भगवान शिव अपने तन पर श्मशान की ही भस्म भी लगाते हैं।

कहाँ है ये अनोखा श्मशान ?

यहाँ हम जिस श्मशान की बात कर रहे हैं वो दरभंगा शहर में मौजूद है। दरभंगा के अवस्थित राज परिवार की इस श्मशान भूमि को लेकर अवधारणा अलग है। बताया जाता है कि इस श्मशान में हर चिता पर चिराग जलाया जाता है और ऐसा गम या शोक मनाने के लिए नहीं किया जाता है बल्कि ऐसा जीवन में मंगल की कामना के लिए किया जाता है।

इस श्मशान में हर रोज़ होता है मंगल काम

वैसे तो श्मशान में कोई भी शुभ काम वर्जित होता है यहाँ तक की अगर कोई इंसान श्मशान से लौटा हो तो उसे भी पवित्र होकर ही किसी भी शुभ काम में हिस्सा लेने को कहा जाता है लेकिन यहाँ हम जिस श्मशान की बात कर रहे हैं वहां हर दिन कोई ना कोई मंगल काम होता ही रहता है। यहाँ तक की इस श्मशान से जुड़ी एक मान्यता ये भी है कि अगर यहाँ पर किसी की शादी की जाए तो उस जोड़े का वैवाहिक जीवन हमेशा ख़ुशियों से भरा रहता है।

यहाँ चिताओं पर बने हैं मंदिर

यहाँ श्मशान परिसर में चार राजा और एक रानी की चिता हुआ करती थी जिस पर ही अब देवी मंदिरों का निर्माण किया गया है। यहाँ मौजूद हर मंदिर का अपना अलग इतिहास बताया जाता है। वर्तमान समय में यहां से धर्म और  जीवन का अलख जग रहा है। इस श्मशान में वाकई ऐसा लगता है कि यहाँ के कण-कण से जीवन का उद्घोष होता है।

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तीर्थस्थल बन चुका है ये श्मशान

इस श्मशान में महाराजा रुद्र सिंह की चिता है जिस पर 17वीं सदी में निर्मित रुद्रेश्वरी काली मंदिर बनाया गया है, इसके बाद महाराजा लक्ष्मीश्वर सिंह की चिता पर लक्ष्मीश्वरी तारा मंदिर बनाया गया है, महाराजा रामेश्वर सिंह की चिता पर रामेश्वरी श्यामा मंदिर बनाया गया है और अंतिम महाराजा कामेश्वर सिंह की चिता पर कामेश्वरी काली मंदिर बनाया गया है। इनके अलावा यहाँ एक महारानी अन्नपूर्णा की चिता भी है जिस पर अन्नपूर्णा व पृथ्वी माता का मंदिर स्थापित है। इसमें श्यामा काली मंदिर तो तीर्थस्थल तक बन चुका है।

यहां नहीं है पंचांग के मायने

इस श्मशान की सबसे बड़ी विशेषता यह मानी जाती है कि यहां किसी भी मांगलिक काम के लिए न तो कोई भी  पंचांग देखा जाता है और न ही शुभ समय का इंतजार किया जाता है। यानी की यहाँ सच्चे मन से जिस दिन परिसर स्थित श्यामा काली मंदिर के दरबार में चाहें, आप अपने जीवन का नया अध्याय लिख सकते हैं। इस श्मशान में वैवाहिक डोर में भी बंध सकते हैं क्योंकि मान्यता के अनुसार इस परिसर में हुई शादी के बाद वैवाहिक जीवन भी सुखी रहता है।

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इस श्मशान भूमि में कभी भी कर सकते हैं मांगलिक काम

भारतीय पंचांग के अनुसार साल भर में कुछ ऐसे महीने होते हैं जिनमें हर तरह के मांगलिक कार्य मना या वर्जित किये जाते हैं, लेकिन इस श्मशान में इस बात का भी कोई मायने नहीं है। आपको शायद जानकर ताज्जुब होगा कि हिन्दू पंचांग में जहाँ चैत्र मास में वैवाहिक कार्य वर्जित हैं, वहीँ इस दौरान भी यहाँ पर तकरीबन 68 शादियाँ हो चुकी हैं और तो और, भाद्रपद जैसे वर्जित मास में भी लोग यहां विवाह करने पहुंचते हैं।

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