हिंदू पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन को बेहद ही शुभ माना जाता है। बहुत से लोग इस दिन व्रत करते हैं और अपने इष्ट देवता की पूजा करते हैं। वार्षिक कैलेंडर के अनुसार नौवें महीने को मार्गशीर्ष माह के नाम से जाना जाता है। इस महीने पड़ने वाली पूर्णिमा को मार्गशीर्ष पूर्णिमा के रूप में जाना और मनाया जाता है। इस पूर्णिमा को बेहद ही शुभ माना गया है क्योंकि मार्गशीर्ष का यह पूरा ही महीना बेहद ही पवित्र और फलदाई होता है।
इस दिन का व्रत रखने वाले लोग सूर्योदय से लेकर चंद्रमा के निकलने तक व्रत का पालन करते हैं। इस दिन सूर्य और चंद्रमा की पूजा की जाती है और उन्हें अर्घ्य (जल) चढ़ाया जाता है। श्रद्धालु इस दिन भगवान विष्णु की पूजा भी करते हैं ताकि उनका आशीर्वाद जीवन में बना रहे। पूर्णिमा तिथि के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व होता है।
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इस दिन को इसलिए भी महत्वपूर्ण और शुभ माना गया है क्योंकि इस दिन भगवान शिव, भगवान विष्णु, और भगवान ब्रह्मा के स्वरूप भगवान दत्तात्रेय की जयंती भी पड़ती है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन प्रदोष काल में भगवान दत्तात्रेय पृथ्वी पर एक अलग रूप में अवतरित हुए थे। इसके बाद से ही मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन उनकी जयंती मनाए जाने की परंपरा की शुरुआत हुई।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन श्रद्धालु जल्दी उठकर स्नान करते हैं। इस दिन स्नान के पानी में तुलसी के पत्ते डालकर उससे स्नान करने का विशेष महत्व बताया जाता है। लोग इस दिन सत्यनारायण की पूजा और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं ताकि हमारे जीवन से सभी प्रकार के संकट दूर हों और भगवान का आशीर्वाद हमारे जीवन में बना रहे। इसके अलावा इस दिन के बारे में ऐसे भी मान्यता है कि इस दिन जो कोई भी कुंवारी लड़की यमुना नदी में स्नान करती है और व्रत का पालन करती है उन्हें मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त होता है।
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इस पूर्णिमा तिथि जिसे बतीसी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, दान में पुण्य करने से व्यक्ति को सामान्य दिन की अपेक्षा में दान पुण्य का 32 गुना फल प्राप्त होता है।
वर्ष 2021 में कब है मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत
19 दिसंबर, 2021 (रविवार)
दिसंबर 18, 2021 को 07:26:35 से पूर्णिमा आरम्भ
दिसंबर 19, 2021 को 10:07:20 पर पूर्णिमा समाप्त
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मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत पूजन विधि
- इस दिन जल्दी उठ कर स्नान आदि करके, घर साफ करके, और पूरे घर में गोमूत्र छिड़ककर घर को पवित्र करने का विधान बताया गया है।
- इस दिन अपने घर के मुख्य द्वार पर बंदरवार लगाएं और घर के सामने रंगोली बनाएं।
- पूजा वाली जगह पर गंगाजल छिडकें और मुमकिन हो तो गाय का गोबर लगाएं।
- तुलसी में जल चढ़ाएं।
- गंगाजल और कच्चा दूध मिलाकर भगवान विष्णु, भगवान गणेश, और मां लक्ष्मी को चढ़ाएं।
- इसके बाद अबीर, गुलाल, चंदन, अक्षत, फूल, मौली, यज्ञोपवित, तुलसी की पत्तियां भगवान को अर्पित करें।
- सत्यनारायण की कथा पढ़ें और पूजा में शामिल सभी बड़े लोगों से आशीर्वाद लें, सबको प्रसाद दें और सब के साथ मिलकर आरती करें।
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मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत में अवश्य ध्यान रखें ये बातें
- इस दिन सुबह जल्दी उठें और सूर्योदय से पहले स्नान कर लें।
- मुमकिन हो तो किसी पवित्र स्थल पर जाकर स्नान करें।
- इस दिन का उपवास बेहद ही श्रद्धा, साफ़ सफाई और निष्ठा के साथ किया जाना चाहिए। साथ ही व्रत फलदाई हो इसके लिए इस बात को सुनिश्चित करें कि अपनी यथाशक्ति के अनुसार इस दिन दान पुण्य अवश्य करें।
- प्याज, लहसुन, मांस, मछली, शराब आदि जैसे खाद्य पदार्थों से दूर रहें।
- उपवास कर रहे हैं तो दोपहर में भूल से भी सोए नहीं।
- पूजा के दौरान भगवान को चूरमा अर्पित करें।
- किसी योग्य ब्राह्मण को भोजन और जरूरी वस्तु दान करें।
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