सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व माना गया है। मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष को आने वाली पूर्णिमा को मार्गशीर्ष पूर्णिमा कहा जाता है। इसे बत्तीसी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन जातक पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान करते हैं। इस दिन व्रत करने वाले जातक दिनभर फलाहार करने के बाद रात्रि के समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत पारण करते हैं। हिंदू धर्म के अनुसार, यह महीना दान-पुण्य करने, धार्मिक कार्यों और देवी-देवताओं के पूजन के लिए विशेष महत्व रखता है।
कहते हैं इस दिन चंद्रमा का पूजन करने से व्यक्ति को मानसिक कष्टों से छुटकारा मिलता है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। मान्यता है कि इसी महीने से सतयुग का भी आरंभ हुआ था। ख़ास बात यह है कि इस दिन विशेष योग का निर्माण हो रहा है। तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2024 की तिथि, पूजा मुहूर्त, महत्व, प्रचलित पौराणिक कथा और आसान ज्योतिषीय उपाय के बारे में।
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मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2024: तिथि और शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 14 दिसंबर 2024 की शाम 05 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 15 दिसंबर 2024 की 02 बजकर 33 मिनट तक।
उदया तिथि के अनुसार, साल 2024 में मार्गशीर्ष पूर्णिमा 15 दिसंबर को मनाई जाएगी।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर बन रहा है शुभ योग
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन बेहद शुभ योग साध्य और सिद्ध योग का निर्माण हो रहा है। यह योग बेहद शुभ योगों में एक है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, साध्य योग में किए गए कार्य पूर्ण होते हैं और सफलता की प्राप्ति होती है। यह योग विद्या सीखने के लिए अति उत्तम है। वहीं सिद्ध योग को सर्वार्थ सिद्धि योग भी कहा जाता है। नए कार्य की शुरुआत के लिए यह समय अत्यंत शुभ माना गया है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व
मार्गशीर्ष पूर्णिमा हिंदू धर्म में विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है। मार्गशीर्ष माह, जो आमतौर पर नवंबर-दिसंबर के महीने में आता है। इस दिन का धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। इस दिन गंगा स्नान और दान करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा को भगवान दत्तात्रेय की जयंती भी मनाई जाती है, जिन्हें त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) के संयुक्त अवतार के रूप में पूजा जाता है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा कई जगहों पर सांस्कृतिक उत्सवों और मेलों के रूप में भी मनाई जाती है। लोग भजन-कीर्तन, सत्संग और दान-पुण्य में हिस्सा लेते हैं।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपने पूर्ण रूप में होता है और इसका ज्योतिषीय महत्व भी माना जाता है। इस दिन चंद्र दर्शन करना शुभ माना जाता है। अन्य महीनों में आने वाली पूर्णिमा की तुलना में मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर दान करने से उसका हजार गुना अधिक लाभ प्राप्त होता है। इस शुभ अवसर पर भगवान सत्यनारायण की पूजा एवं सत्यनारायण कथा का पाठ भी किया जाता है।
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मार्गशीर्ष पूर्णिमा की पूजा विधि
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन पूजा-विधि का विशेष महत्व होता है। आइए जानते हैं इस दिन किए जाने वाली पूजा विधि के बारे में।
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। अगर संभव हो तो गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करें। यदि ऐसा न हो पाए तो घर पर ही स्नान करते समय पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण करें और मन को शुद्ध करें।
- इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत रखने का संकल्प लें।
- यह व्रत केवल जल या फलाहार पर रखा जा सकता है, इसे निर्जला या फलाहारी दोनों रूपों में किया जा सकता है।
- फिर घर में एक साफ स्थान पर विष्णु भगवान की प्रतिमा या तस्वीर रखें।
- सबसे पहले आचमन करें। इसके बाद भगवान विष्णु को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और चीनी का मिश्रण) से स्नान कराएं।
- फिर भगवान को फूल, चंदन, धूप, दीप, और नैवेद्य (भोग) अर्पित करें।
- विष्णु सहस्रनाम या “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें। साथ ही, विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करें। ऐसा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- यदि संभव हो तो शाम को गंगा नदी में दीपदान करें। इसे अत्यंत पुण्य फलदायी माना जाता है।
- गंगा स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर भगवान शिव की पूजा का महत्व
हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष पूर्णिमा अत्यधिक महत्व रखती है, विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा के लिए। यह दिन मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो कि हिंदू पंचांग के अनुसार एक पवित्र माह माना जाता है। इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से भक्तों को कई लाभ प्राप्त होते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा से व्यक्ति के जीवन में आध्यात्मिक शुद्धि आती है। यह दिन ध्यान और साधना के लिए उपयुक्त होता है, जिससे आत्मा को शांति और मानसिक स्थिरता प्राप्त होती है। मान्यता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, और दूध अर्पित करने से जीवन के सभी पाप नष्ट होते हैं।
भगवान शिव को ‘महाकाल’ कहा जाता है, जो समय और मृत्यु के अधिपति हैं। इस दिन शिव की पूजा करने से व्यक्ति के बुरे कर्मों का प्रभाव कम होता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से जीवन में धन, समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा करते हैं, उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर भगवान शिव की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही, व्यक्ति सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर अंतिम मुक्ति को प्राप्त करता है।
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मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर पढ़ें ये कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, महर्षि अत्रि और उनकी पत्नी अनुसूया महान तपस्वी और धर्मपरायण थे। महर्षि अत्रि अपने तप और योग बल के कारण अत्यंत सम्मानित थे और उनकी पत्नी अनुसूया अपनी पतिव्रता और सतीत्व के लिए प्रसिद्ध थीं। उनकी महान तपस्या और सद्गुणों से प्रभावित होकर त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) ने उनकी परीक्षा लेने का निर्णय लिया।
त्रिदेव भिक्षुकों के रूप में अनुसूया के आश्रम में पहुंचे और उनसे भोजन की याचना की। लेकिन उन्होंने एक शर्त रखी कि अनुसूया को निर्वस्त्र होकर उन्हें भोजन कराना होगा। यह सुनकर अनुसूया को कुछ देर के लिए चिंता हुई, लेकिन फिर उन्होंने अपने सतीत्व और तपबल से उन तीनों को छोटे-छोटे बच्चों में बदल दिया और फिर उन्हें निर्वस्त्र होकर भोजन कराया।
जब महर्षि अत्रि लौटे, तो उन्होंने देखा कि तीन छोटे बच्चे अनुसूया के पास खेल रहे हैं। अनुसूया ने सारी घटना महर्षि को बताई। महर्षि अत्रि ने अपने योगबल से पहचान लिया कि ये त्रिदेव ही हैं, जो बच्चों के रूप में खेल रहे हैं। महर्षि अत्रि और अनुसूया की भक्ति और तप से प्रसन्न होकर त्रिदेव अपने वास्तविक रूप में आ गए और उन्हें वरदान दिया। त्रिदेव ने उनके यहां एक पुत्र के रूप में जन्म लिया, जो भगवान दत्तात्रेय के रूप में प्रसिद्ध हुए।
इसलिए मार्गशीर्ष पूर्णिमा में भगवान दत्तात्रेय की पूजा का विशेष महत्व है, लेकिन यह भगवान शिव की आराधना के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है। भगवान शिव को त्रिदेवों में से एक होने के कारण उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए मार्गशीर्ष पूर्णिमा को विशेष रूप से शिव पूजा की जाती है। इस दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक और व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
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मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन किए जाने वाले आसान उपाय
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर कुछ विशेष उपाय किए जाते हैं जो व्यक्ति की समस्याओं का समाधान करने और जीवन में सुख-समृद्धि लाने के लिए लाभकारी माने जाते हैं। आइए जानते है इन उपायों के बारे में:
बाधाओं को दूर करने के लिए
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन शिवलिंग पर गंगा जल, दूध, शहद, दही और घी से अभिषेक करें। अभिषेक के दौरान “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें। यह उपाय सभी बाधाओं को दूर करता है और भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
मानसिक शांति के लिए
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद भगवान शिव की पूजा करें और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें। इससे मानसिक शांति प्राप्त होती है और सभी कष्ट दूर होते हैं।
आर्थिक तंगी से मुक्ति के लिए
अगर धन संबंधी समस्या हो तो इस दिन किसी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन, वस्त्र और दक्षिणा दान करें। ऐसा करने से धन की वृद्धि होती है और आर्थिक तंगी से मुक्ति मिलती है।
विवाह के लिए उपाय
जिन लोगों के विवाह में बाधा आ रही हो और बार-बार शादी विवाह की बात टलती जा रही है, तो इस दिन शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर हल्दी और केसर मिश्रित जल अर्पित करें। इसके साथ ही भगवान शिव और माता पार्वती की साथ में पूजा करें। इससे विवाह में आ रही रुकावटें दूर होती हैं।
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चंद्रमा दोष से मुक्ति पाने के लिए
अगर चंद्र दोष की वजह से आपके जीवन में रुकावटें आ रही हैं, तो इस दिन पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की पूजा करें। दूध और चावल अर्पित करें और चंद्र देव से मानसिक शांति और सुख-समृद्धि की कामना करें।
कर्ज से मुक्ति के लिए
कर्ज से परेशान व्यक्ति मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन शिवलिंग पर एक चुटकी लाल चंदन और गुड़ चढ़ाएं। इससे कर्ज से मुक्ति मिलती है।
स्वस्थ जीवन के लिए
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन सुबह सूर्योदय के समय तांबे के पात्र में जल लेकर उसमें लाल फूल डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। इस उपाय को करने से आपको स्वस्थ जीवनशैली की प्राप्ति होगी।
सुख-शांति के लिए
तुलसी का पौधा अत्यंत पवित्र माना जाता है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाकर उसकी पूजा करें। इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
पापों से मुक्ति पाने के लिए
इस दिन पवित्र नदी या किसी जलाशय में स्नान करने का विशेष महत्व है। यदि संभव न हो तो घर में ही स्नान करते समय पानी में गंगाजल मिलाएं। इसके बाद गरीबों, ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और दक्षिणा का दान करें। ऐसा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
इस साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत 14 दिसंबर 2024 को रखा जाएगा।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा हिंदू कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण दिन है, जिसे भारत के कई हिस्सों में बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है ।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा हिंदू धर्म में विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन का धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व है।
मार्गशीर्ष माह, आमतौर पर नवंबर-दिसंबर के महीने में आती है।