ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष का महीना नवंबर या दिसंबर के महीने में पड़ता है और हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व बताया गया है। इस महीने को बेहद ही पावन, पवित्र, और धर्म परायण माना जाता है और लोग इस अमावस्या तिथि के दिन की शुरुआत पवित्र नदियों में स्नान करने से करते हैं। मार्गशीर्ष अमावस्या को अगहन अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है और मान्यता है कि यह अमावस्या कार्तिक अमावस्या जितनी ही पवित्र और फलदाई होती है।
अपने इस विशेष आर्टिकल में जानते हैं मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व, इस दिन का शुभ मुहूर्त, और इस दिन कौन से उपाय करके आप अपने जीवन से तमाम संकटों को दूर कर सकते हैं।
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मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व
मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन लोग माँ लक्ष्मी की पूजा ठीक उसी प्रकार से करते हैं जैसे दिवाली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस दिन गंगा नदी के तट पर कर्मकांड और पवित्र स्नान किया जाता है। इसके अलावा अमावस्या का दिन गरीब और ज़रूरतमंद लोगों को भोजन और जरूरत की सामग्री दान देने के लिए भी बेहद शुभ और उपयुक्त माना जाता है। कहते हैं अमावस्या तिथि के दिन जो कोई भी व्यक्ति अपनी यथाशक्ति के अनुसार दान और पुण्य करता है, धार्मिक गतिविधियों में लिप्त रहता है उसका जीवन सिद्ध हो जाता है।
मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन दान और पुण्य से भी ज्यादा महत्व का पितरों के लिए की जाने वाली पूजा का। बताया गया है कि, इस दिन पितरों का स्मरण किया जाता है और उनकी शांति और मोक्ष के लिए पूजा और कर्मकांड किए जाते हैं। कहा जाता है इस दिन अपने पितरों के लिए पूजा आदि करने से व्यक्ति के जीवन में पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जिससे व्यक्ति सभी दोषों से मुक्त, सुख और समृद्धि जीवन यापन करता है।
मार्गशीर्ष अमावस्या पर क्यों की जाती है पितरों की पूजा?
मार्गशीर्ष का महीना कई कारणों से महत्वपूर्ण माना जाता है। कहा जाता है कि गीता का ज्ञान मार्गशीर्ष माह में ही दिया गया था। यही वजह है कि इस माह में पड़ने वाली अमावस्या तिथि विशेष फलदाई मानी जाती है। ऐसे में जिन व्यक्तियों की कुंडली में पितृ दोष जैसे गंभीर दोष हों, या उनके पूर्वज उनसे नाराज हो, या फिर जिन लोगों के जीवन में संतान हीन का योग बन रहा हो ऐसे जातकों को विशेष तौर पर मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन व्रत उपवास करने की सलाह दी जाती है।
मान्यता है इस अमावस्या तिथि के दिन व्रत करने से ना केवल पितृ प्रसन्न होते हैं बल्कि ब्रह्मा देव, इंद्र देव, रूद्र देव, सूर्य देव, अग्नि देव, पशु पक्षी, भूत, प्रेत, पिशाच आदि भी प्रसन्न होते हैं। यही वजह है कि इस दिन पितरों का तर्पण करना शुभ माना गया है।
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मार्गशीर्ष अमावस्या 2021: शुभ मुहूर्त
4 दिसंबर, 2021 (शनिवार)
दिसंबर 3, 2021 को 16:58:21 से अमावस्या आरम्भ
दिसंबर 4, 2021 को 13:15:21 पर अमावस्या समाप्त
ऊपर दिया गया मुहूर्त दिल्ली के लिए मान्य है। अपने शहर के अनुसार इस दिन का शुभ मुहूर्त जाने के लिए यहां क्लिक कर सकते हैं।
मार्गशीर्ष अमावस्या: धार्मिक मान्यता
मार्गशीर्ष का महीना भक्ति और श्रद्धा से परिपूर्ण एक बेहद ही पवित्र महीना माना जाता है। इस महीने में विभिन्न धार्मिक कार्य करना फलदाई होता है। मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन धार्मिक लोक कथाओं में नए चंद्रमा का विशेष महत्व माना गया है। मार्गशीर्ष के इस पूरे महीने के दौरान पूर्वजों की पूजा और साथ ही भगवान श्री कृष्ण की पूजा अत्यधिक लाभकारी मानी जाती है। जो लोग मोक्ष की कामना करते हैं और विशेष लाभ प्राप्त करना चाहते हैं उनके लिए मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत करना बेहद ही उपयुक्त रहता है।
मार्गशीर्ष अमावस्या: व्रत पूजा
मान्यता के अनुसार मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन व्रत करने और सही विधि से पूजन करने से व्यक्ति के जीवन में शांति प्राप्त होती है और मोक्ष के मार्ग प्रशस्त होते हैं। अमावस्या तिथि के दिन व्रत रखकर पूर्वजों को प्रसन्न करने के साथ-साथ भगवान ब्रह्मा, इंद्र, अग्नि, सूर्य, और कई अन्य देवताओं से भी आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
इस दिन पवित्र नदियों में डुबकी लगाने से भी व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है। मार्गशीर्ष अमावस्या की यही खासियत इस दिन के महत्व को कई गुना बढ़ा देती है।
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मार्गशीर्ष अमावस्या व्रत-पूजा की सही विधि
- मार्गशीर्ष अमावस्या के उपवास के साथ-साथ इस बात का विशेष ध्यान रखें कि इस दिन जल्दी उठकर सही पूजा विधि और गतिविधि में शामिल अवश्य हों।
- इस दिन पवित्र नदी में स्नान करना मुमकिन हो तो इसे अवश्य करें। हालांकि यदि आप पवित्र नदी में स्नान नहीं कर सकते हैं तो इस दिन अपने स्नान के जल में ही कुछ बूँद गंगाजल की मिला लें और फिर उस से स्नान करें।
- इस दिन सत्यनारायण की कथा पढ़नी चाहिए। भगवान श्री कृष्ण की पूजा करनी चाहिए और गीता पढ़ना भी बेहद शुभ होता है।
- इस दिन जो लोग मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत कर रहे हो उन्हें स्नान करने के बाद पीपल के पेड़ में दूध और जल अवश्य अर्पित करना चाहिए।
मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन लग रहा है साल का आखिरी सूर्य ग्रहण
जैसा कि, हमने पहले भी बताया कि मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन स्नान आदि करने के बाद सूर्य देव को जल अर्पित किया जाता है। इसी संदर्भ में हम आपको इस बात की जानकारी भी प्रदान कर दें कि इस वर्ष मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन ही साल का आखिरी और सूर्य का दूसरा ग्रहण लगने जा रहा है। ऐसे में इस दिन सही विधि से सूर्य देव की पूजा अर्चना करने से आप जहां एक तरफ सूर्य देवता का आशीर्वाद अपने जीवन पर प्राप्त कर सकते हैं वहीं दूसरी तरफ सूर्य ग्रहण के दुष्प्रभाव से भी बच सकते हैं।
सूर्य ग्रहण का समय: 10:59 बजे से-15:07 बजे तक
यह सूर्यग्रहण यहां आएगा नजर: अंटार्कटिका, दक्षिण अफ्रीका, अटलांटिक के दक्षिणी भाग, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अमेरिका
इस सूर्य ग्रहण का इन राशि और इन नक्षत्रों पर दिखेगा विशेष प्रभाव: साल के आखिरी सूर्य ग्रहण का सबसे अधिक प्रभाव वृश्चिक राशि और नक्षत्रों में अनुराधा और ज्येष्ठा नक्षत्र पर देखने को मिलेगा।
मार्गशीर्ष अमावस्या में इन बातों का अवश्य रखें ध्यान
- इस दौरान भूल से भी तामसिक भोजन और तामसिक वस्तुओं जैसे शराब, मांस, मछली आदि का सेवन ना करें। केवल सात्विक भोजन ही खाएं।
- इस दिन नमक, लोहे, और तेल से बनी कोई भी वस्तु खरीदने से परहेज करें। कहा जाता है ऐसी वस्तुओं को इस दिन खरीदने से घर में गरीबी आने लगती है।
- इस दिन अपने जीवन साथी के साथ रिश्ते बनाने से बचें क्योंकि मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन रिश्ते बनाने से जन्म लेने वाले बच्चों को कठिनाइयों और चुनौतियों से भरा जीवन यापन करना पड़ता है।
- अमावस्या तिथि के दिन कब्रिस्तान, श्मशान घाट, या किसी भी सुनसान जगह पर ना जाएं क्योंकि इस दिन बुरी ताकतें सक्रिय रहती हैं।
- अमावस्या तिथि के दिन जल्दी उठना चाहिए। अपने स्नान के पानी में काली सौगान डालने की सलाह दी जाती है। स्नान के बाद सूर्य को जल अर्पित करके उचित अनुष्ठान के साथ पूजा करनी चाहिए।
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कुंडली में मौजूद पितृदोष और अन्य दोषों के निवारण के लिए इस दिन करें यह काम
- सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी या तालाब में स्नान करें।
- इसके बाद सूर्य देवता को अर्घ्य दें।
- स्नान करने के बाद बहते हुए जल में तिल प्रवाहित करें और इस दौरान गायत्री मंत्र का जप करें।
- भगवान विष्णु, भगवान शिव की पूजा करें।
- किसी नदी या घाट के तट पर जाकर पितरों के निमित्त अर्पण करें और सच्चे मन से उनकी मोक्ष प्राप्ति की कामना करें।
- मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन व्रत करने वाले लोगों को इस दिन अन्न जल ग्रहण नहीं करना चाहिए।
- पूजा पाठ करने के बाद अपनी यथाशक्ति के अनुसार अपने पितरों के नाम से जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को भोजन कराएं और वस्त्र और जरूरी वस्तुओं का दान करें।
मार्गशीर्ष अमावस्या उपाय जीवन के हर संकट को करेंगे दूर
- इस वर्ष मार्गशीर्ष अमावस्या शनिवार के दिन पड़ रही है और ऐसे में इस दिन शनि देव की पूजा अवश्य करें। शनि देव के दर्शन के लिए मंदिर जाएं और उनके समक्ष सरसों के तेल का दीपक अवश्य जलाएं। इसके अलावा मंदिर में बैठकर शनि चालीसा का पाठ करें।
- अमावस्या को शनिवार के दिन पड़ती है तो इसे शनि अमावस्या कहते हैं। ऐसे में शनि से संबंधित कुंडली दोष दूर करने के लिए इस दिन को बेहद ही उपयुक्त और फलदाई माना जाता है। मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए पीपल के पेड़ की पूजा करें और पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक अवश्य जलाएं।
- शनि मंत्र का जाप करें, शनि चालीसा पढ़ें, जरूरतमंद और गरीबों को खाने-पीने और जरूरत की चीजों का दान करें। ऐसा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और कुंडली में मौजूद शनि दोष दूर होता है।
- पितरों की प्रसन्नता हासिल करने के लिए और पितृ दोष का प्रभाव कम करने के लिए इस दिन पितरों के नाम से जरूरतमंदों और पशु पक्षियों को भोजन अवश्य कराएं। इस दौरान यदि आप अपने पितरों की मनपसंद वस्तुएं भोजन के तौर पर बनवाते हैं तो इससे ज्यादा शुभ माना जाता है।
- घर से नकारात्मकता दूर करने के लिए गाय के बने गोबर के कंडे जलाएं और उसका कुआं पूरे घर में फैलाएं।
- अमावस्या तिथि के दिन खीर बनाना बेहद ही शुभ माना गया है। ऐसे में इस दिन आप खीर बनाएं और उसमें रोटी के छोटे-छोटे टुकड़े डाल दें। इसके बाद रोटी के टुकड़ों को कौवों के खाने के लिए छत पर रख दें। इस उपाय को करने से पितृ देवता आप पर प्रसन्न होंगे और उनका आशीर्वाद आपके जीवन में हमेशा बना रहेगा।
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