भगवान राम के परम भक्त हनुमान जी की प्रसन्नता हासिल करने के लिए मंगलवार के व्रत का नियम बताया गया है। सिर्फ भगवान हनुमान की प्रसन्नता ही नहीं, बल्कि जिन जातकों की कुंडली में मंगल कमज़ोर स्थिति में होता है उन्हें भी मंगलवार का व्रत करने की सलाह दी जाती है। मंगलवार का यह व्रत स्त्री-पुरुष कोई भी कर सकता है। माना जाता है कि, सच्ची श्रद्धा और आस्था से जो कोई भी इस व्रत को करता है उसे संतान प्राप्ति भी होती है और उनकी समस्त मनोकामनाएं भी बजरंगबलि अवश्य पूरी करते हैं।
इसके अलावा यह व्रत मनुष्य के अन्दर साहस और पराक्रम को बढ़ाने वाला माना गया है। जिस किसी भी इंसान को भूत-प्रेत आदि बाधाओं से डर लगता हो उनके लिए भी मंगलवार का व्रत वरदान साबित हो सकता है। तो आइये जानते हैं मंगलवार व्रत का नियम, इस व्रत का महत्व, व्रत की उद्यापन विधि और इस व्रत से मिलने वाले फल की सम्पूर्ण जानकारी।
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मंगलवार व्रत का महत्व
यदि शत्रु आपको परेशान कर रहे हों, आप कर्ज में हों, आप अस्वस्थ हों, आपकी नौकरी ना लग रही हो अथवा किसी भी अन्य समस्या के समाधान के लिए भी आप मंगलवार का व्रत कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त जिन लोगों को नजर लगती हो अथवा ऐसी संभावना हो कि उन पर किसी ने कोई तांत्रिक प्रयोग किया है तो उनके लिए भी हनुमान जी की पूजा और मंगलवार का व्रत सर्वथा उपयोगी है। ज्योतिष शास्त्र में मंगलवार का दिन मंगल ग्रह को समर्पित है। मंगल ग्रह भूमि पुत्र हैं और परम शक्तिशाली हैं इसलिए मंगलवार के व्रत से मंगल देव प्रसन्न होकर व्यक्ति को भूमि का लाभ और कर्ज से मुक्ति देते हैं।
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मंगलवार व्रत की विधि
यह व्रत लगातार 21 मंगलवार को करना चाहिए। इसलिए जो लोग इस व्रत को रखना चाहते हैं उन्हें संकल्प लेकर व्रत का प्रारंभ करना चाहिए। व्रत वाले दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करके लाल वस्त्र पहनें और अपने घर के ईशान कोण में हनुमान जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। श्री हनुमान जी की मूर्ति के समक्ष देसी घी का दीपक जलाएं और भगवान को फूल माला, यज्ञोपवीत, रोली, सिंदूर आदि चढ़ाएं और फल तथा प्रसाद का भोग लगाएं। इस दिन आप हनुमान जी को चोला भी चढ़ा सकते हैं। साथ ही रुई में चमेली का तेल लगाकर भगवान को अर्पित करें। तत्पश्चात श्री मंगलवार व्रत कथा पढ़ें और हनुमान चालीसा का पाठ करें। यदि संभव हो तो सुंदरकांड का पाठ भी करें। उसके बाद अंत में हनुमान जी की आरती करें। दिन में केवल एक समय भोजन करें। इसके अतिरिक्त व्रत के दिन विशेष रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करें। इस दिन मुख्य रूप से हनुमान जी तथा मंगल देव के मंत्र का जाप करें।
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मंगलवार व्रत की पूजा सामग्री
- श्री हनुमान जी की मूर्ति या चित्र
- जल
- धूप
- दीपक
- गंगा जल
- चौकी या लकड़ी का पटरा
- लाल रंग से रंगे हुए अक्षत
- लाल फूल
- इत्र
- लाल चंदन
- लाल मीठा व्यंजन
- बूंदी के लड्डू
- लाल वस्त्र
- रोली
- मौली
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मंगलवार व्रत को करने से क्या लाभ मिलता है?
- मंगलवार के दिन व्रत करने से मंगल ग्रह के शुभ फल प्राप्त होते हैं।
- चूंकि मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित है, इसलिए इस दिन जो कोई भी व्रत रखता है उस इंसान को हनुमान जी की असीम कृपा प्राप्त होने के साथ-साथ जीवन में सम्मान, बल, साहस और पुरुषार्थ की वृद्धि भी होती है।
- मंगलवार का व्रत निसंतान दंपतियों के लिए भी सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। इस व्रत को करने से संतान रत्न की प्राप्ति होती है।
- इसके साथ ही मंगलवार के दिन व्रत करने से इंसान के जीवन से भूत-प्रेत-पिशाच और काली शक्तियों का प्रभाव कम/खत्म किया जा सकता है।
मंगलवार व्रत का उद्यापन
जब आपके 21 व्रत पूरे हो जाएं तो किसी योग्य ब्राह्मण की सहायता से मंगलवार व्रत का उद्यापन करें। यदि संभव हो तो शुक्ल पक्ष में ही उद्यापन कराएं। उद्यापन के अंत में श्री हनुमान जी और मंगल देव का संयुक्त रूप से हवन और पूजन किया जाता है। आप इस हेतु किसी योग्य ब्राह्मण की सहायता ले सकते हैं। उद्यापन करने के बाद यदि आप दोबारा यह व्रत करना चाहते हैं तो कुछ समय बाद पुनः इसी प्रकार व्रत रखना प्रारंभ कर सकते हैं।
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मंगलवार व्रत उद्यापन विधि
- उद्यापन वाले दिन सुबह जल्दी उठे और स्नान कर पवित्र हो जाएँ।
- पूजा स्थल को साफ कर गंगा जल से उसे शुद्ध कर लें।
- सभी पूजन सामग्री एकत्रित कर लें।
- ऊन के लाल आसन पर पूर्व की ओर मुँह करके बैठ जायें।
- चौकी पर लाल वस्त्र बिछायें।
- इसके बाद वेदी बनाकर देवताओं का आह्वान करें और कलश की स्थापना करें।
- मंत्रों द्वारा मुख्य रूप से श्री गणेश जी लक्ष्मी जी, हनुमान जी और मंगल देव आदि का आवाहन करें।
- गंध, पुष्प, धूप, नैवेद्य, फल, दक्षिणा, पान, फूल, आदि देवताओं को अर्पित करें।
- इसके बाद आप शिव जी को स्नान कराएं और हवन आरम्भ करें।
- हवन की समाप्ति पर यथाशक्ति दक्षिणा तथा दान करें।
- दान के रुप में गेहूं, लाल मसूर, गुड़, लाल वस्त्र, तिल और गुड़ के लड्डू आदि का दान करें।
- तत्पश्चात ब्राह्मण को भोजन करा कर विदा करें और स्वयं भोजन करें।
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