पुराणों में उज्जैन को मंगल की जननी के नाम से जाना जाता है। इसी वजह से कहा जाता है कि ऐसे इंसान जिनकी कुंडली में मंगल भारी होता है उन्हें अपने अनिष्ट ग्रहों की शांति के लिए उज्जैन में स्थित मंगल-नाथ मंदिर में अवश्य आना चाहिए। इस मंदिर में विधि-विधान से पूजा-पाठ करवाने से मंगल दोषों से छुटकारा पाया जा सकता है।
मंगल-दोष
कुंडली में मंगल दोष एक ऐसी स्थिति को कहा जाता है, जो अगर किसी भी जातक की कुंडली में बन जाये तो उसे अपने जीवन काल में बड़ी ही अजीबोगरीब परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। मंगल दोष कुंडली के किसी भी घर में स्थित अशुभ मंगल के द्वारा बनाए जाने वाले दोष को कहते हैं। ये दोष कुंडली में अपनी स्थिति और बल के चलते जातक के जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में ऐसी समस्याएं उत्पन्न कर देते हैं जिनसे छुटकारा पाना बहुत मुश्किल हो जाता है।
किन जातकों को होता है मंगल दोष ?
मंगल दोष के बारे में कहा जाता है कि ये दोष पूरी ही तरह से ग्रहों की स्थिति पर आधारित होता है। वैदिक ज्योतिषियों के अनुसार जिस किसी भी जातक के जन्म चक्र के पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें घर में मंगल हो तो ऐसी स्थिति में पैदा हुआ जातक मांगलिक कहलाता है. जातक की कुंडली की यह स्थिति शादी के लिए अत्यंत अशुभ मानी जाती है. ऐसे जातकों को शादी में काफी दिक्कतें भी आती हैं।
संबंधों में तनाव और बिना वजह की टेंशन, घर में कोई अनहोनी या अप्रिय घटना का घटित होना, किसी भी तरह के काम में बेवजह की बाधा और असुविधा या किसी भी तरह की कोई क्षति या नुक्सान और दंपत्ति की अचानक मृत्यु का कारण कुंडली में मौजूद मांगलिक दोष को ही माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र में माना गया है कि एक मांगलिक इंसान को दूसरे मांगलिक इंसान से ही शादी करनी चाहिए। ऐसा करने से दोनों के मंगल दोष दूर हो जाते हैं।
वैदिक पूजा-प्रक्रिया से मांगलिक दोष को किया जा सकता है नियंत्रित
समस्या है तो उसका समाधान भी अवश्य ही होगा। ऐसी मान्यता है कि मंगल ग्रह की पूजा कर के मंगल देव को प्रसन्न किया जा सकता है। ऐसा करने से मंगल दोष से होने वाले विनाशकारी प्रभावों को शांत और नियंत्रित कर उन्हें सकारात्मक प्रभावों में तब्दील भी किया जा सकता है. ऐसे जातक जिनकी कुंडली में मंगल भारी होता है, वो अपने अनिष्ट ग्रहों की शांति के लिए उज्जैन स्थित मंगल-नाथ मंदिर में पूजा-पाठ करवाने आते हैं, क्योंकि पुराणों में उज्जैन नगरी को मंगल की जननी कहा गया है.
इस मंदिर की इतनी मान्यता है कि देश और दुनिया के लोग दूर-दूर से इस मंदिर में आकर मंगल देव की पूजा आराधना करते हैं। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि जिन जातकों की कुंडली में मंगल भारी होता है वह यहाँ आकर मंगल शांति की कामना करते हुए भात पूजा भी करवाते हैं। इस मंदिर के बारे में लोगों की मान्यता है कि यहां मंगल की उत्पत्ति हुई है इसलिए यहाँ हमेशा मंगल ही होता है। मंगलवार के दिन इस मंदिर में पूजा-पाठ का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन इस मंदिर में दिन भर भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है।