ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की स्थिति का खास महत्व होता है और इसका व्यक्ति के जीवन पर काफ़ी प्रभाव पड़ता है। आपको बता दें कि इस समय मंगल ग्रह वृषभ राशि में स्थित हैं जो अक्टूबर में मिथुन राशि में गोचर करेंगे। 15 दिनों के अंदर मंगल इसी राशि में वक्री भी होंगे। इसके चलते कई राशियों के जीवन में उथल-पुथल की स्थिति रहेगी, तो वहीं कई राशियों को मंगल के मिथुन में आने से खूब लाभ भी मिल सकता है। एस्ट्रोसेज के इस ब्लॉग में जानते हैं उन उपायों व मंत्रों के बारे में जिससे मंगल के प्रतिकूल प्रभाव को कम किया जा सकता है।
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मिथुन राशि में मंगल का होगा गोचर और 14 दिन के अंतराल में होंगे वक्री: तिथि और समय
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, मंगल 16 अक्टूबर 2022 रविवार के दिन दोपहर 12 बजकर 04 मिनट मिथुन राशि में गोचर करेंगे।
इसके बाद, 30 अक्टूबर 2022 को 06 बजकर 19 मिनट पर वक्री हो जाएंगे और इस अवस्था में मंगल ग्रह मिथुन राशि में 13 नवंबर तक रहेंगे।
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इस दौरान कुछ राशि के जातकों को लाभ होगा, तो कुछ राशियों के जातकों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। आइए जानते हैं इस अवधि में किन राशि के जातकों को शुभ फल की प्राप्ति होगी।
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मंगल ग्रह की स्थिति से किन राशियों को होगा लाभ?
मेष- मंगल ग्रह के गोचर के कारण आपके व्यक्तित्व में साहस और धैर्य साफ़ दिखाई देगा जिसके चलते आपके जीवन में सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे और कार्यक्षेत्र में भी आपकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी।
वृषभ- मंगल ग्रह का गोचर आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार लाने वाला होगा। इस दौरान आप किसी भी चीज में निवेश करेंगे तो आपको मुनाफा होगा, लेकिन स्वास्थ्य को लेकर सावधानी बरतें।
सिंह- सिंह राशि के जातकों के लिए बड़े लाभ के योग बन रहे हैं। साथ ही आप धन खर्च भी करेंगे और जीवन में खुशहाली भी रहेगी। इस दौरान आपको आपकी मेहनत का फल मिलेगा। इसके अलावा प्रॉपर्टी या जमीन में निवेश करना भी फायदेमंद साबित होगा।
कुंभ- कुंभ राशि वाले जातकों को भी सकारात्मक परिणाम मिलने वाला है। इन राशि के जातकों की कुंडली में मंगल ग्रह पांचवे भाव में स्थित होगा जो कि संतान, शिक्षा, बुद्धि व प्रेम का भाव है। इस अवधि में आपकी कार्यक्षमता में वृद्धि होगी, लेकिन किसी भी तरह का शॉर्टकट लेने से बचने की कोशिश करें।
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कुंडली के 12 भावों पर कैसा होगा मंगल का प्रभाव?
कुंडली में मंगल के वक्री होने के कारण जातक के स्वभाव में नकारात्मकता, गुस्सा और आक्रामकता देखी जा सकती है। वक्री मंगल जातक में आलस्य को बढ़ावा देता है। इस स्थिति में जातक खुद को नियंत्रित नहीं कर पाते हैं, काम को सही ढंग से संभालने में सक्षम नहीं होते हैं जिसके चलते जातकों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मंगल के मिथुन राशि में वक्री होने का प्रभाव सभी 12 भावों पर किसी न किसी रूप में ज़रूर पड़ेगा। आइए जानते हैं इसका जातकों पर कैसा प्रभाव पड़ेगा।
प्रथम भाव: कुंडली में मंगल के वक्री होने पर व्यक्ति झूठ बोलने लगता है और विपरीत लिंग के प्रति उसका आकर्षण बढ़ता है। जातक में अहंकार पैदा हो जाता है और स्वयं को सब कुछ समझने की भूल करने लगता है।
दूसरा भाव: जब वक्री मंगल द्वितीय भाव में स्थित होता है तो व्यक्ति को गलत काम करने के लिए प्रेरित करने लगता है। ऐसे में वह व्यक्ति विदेशी महिलाओं से संबंध रखने लगता है और भौतिक सुखों में पड़ जाता है। इतना ही नहीं, अपने परिवार के सदस्यों का भी सम्मान नहीं करता है।
तृतीय भाव: तृतीय भाव में बैठे वक्री मंगल के कारण जातक परिवारजनों का सम्मान करना भूल जाता है और उनके साथ बहस करने लगता है। परिजनों से उसके मनमुटाव रहने लगते हैं। ऐसा व्यक्ति अपने आप में घमंडी हो जाता है।
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चतुर्थ भाव: चतुर्थ भाव में मंगल के होने से जातक क्रोधी और ज़िद्दी हो जाता है। माता-पिता से लड़ाई झगड़ा करना उसका स्वभाव बन जाता है। ऐसा व्यक्ति घमंड के चलते अपने दोस्तों से बातचीत नहीं करता क्योंकि वह लोगों को नीचा दिखाने के लिए अग्रसर रहता है।
पंचम भाव: पंचम भाव में, जब मंगल वक्री होता है तो सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है क्योंकि इस स्थिति में मनुष्य का मन गलत कामों में लगने लगता है। ऐसे व्यक्ति जीवन के सबसे बुरे दिनों से गुजरता है और कई बार तो उसकी बनी बनाई मान प्रतिष्ठा खराब हो जाती है।
छठा भाव: षष्टम भाव में वक्री मंगल के कारण मनुष्य की सेहत संबंधित परेशानियां बढ़ने लगती हैं। कई बार इंसान बड़ी बीमारियों से घिर जाता हैं।
सप्तम भाव: जब कुंडली के सप्तम भाव में मंगल वक्री होता है तो मनुष्य को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। साझेदारी में किया गया व्यापार नुकसान देने लगता है। कई बार पार्टनरशिप में भी धोखा मिलता है और आर्थिक नुकसान हो जाता है। जातक कोर्ट कचहरी के चक्कर में फंस जाता है और मुकदमे से बच नहीं पाता है।
अष्टम भाव: अष्टम भाव में स्थित वक्री मंगल जातक को मानसिक रूप से कमजोर करता है। छोटी-छोटी बातों पर जातक परेशान हो जाता है। दुख की स्थिति का सामना करने की भी उसमें क्षमता नहीं रहती। समाज में मान प्रतिष्ठा की कमी हो जाती है। इतना ही नहीं नौकरी और व्यवसाय आदि के कामों में भी मन नहीं लगता है।
नवम भाव: नवम भाव में वक्री मंगल मनुष्य को छल कपट वाला बनाता है, वह साधु बनकर लोगों को ठगना सिखाता है। जातक को उसके लक्ष्य से भटकाने का प्रयास करता है।
दशम भाव: दशम भाव का वक्री मंगल जातक को लक्ष्य से भटकाता है। यदि कोई अपना करियर बनाना चाहे तो भी उसमें रुकावटें खड़ी कर देता है। उसका मन पढ़ाई में नहीं लगता है, साथ ही गुरुजनों से भी वैचारिक मतभेद होने लगता है जिससे उसका करियर बर्बादी की तरफ जाने लगता है।
एकादश भाव: एकादश भाव में वक्री मंगल, जातक की दोस्ती अच्छे लोगों से नहीं करवाता हैं और जिन लोगों से वह दोस्ती करता है उसका वह कभी साथ नहीं देते और बुरा चाहते हैं। ऐसा जातक नए दोस्त बनाना और लोगों से घुलना मिलना पसंद नहीं करता हैं ।
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द्वादश भाव : द्वादश भाव का वक्री मंगल, मनुष्य की जीवनशैली को बिगाड़ देता है। व्यक्ति को क्रोध करने पर मजबूर करता है। ऐसे में लड़ाई झगड़े बढ़ने लगते हैं और इसका प्रभाव उसके स्वास्थ्य पर पड़ता हैं। ऐसा व्यक्ति अपनी मनमानी करने पर उतारू रहता है।
मिथुन राशि में मंगल का गोचर और वक्री अवस्था: उपाय व मंत्र
- भगवान कार्तिकेय और भगवान हनुमान जी की पूजा करें व इनके मंत्रों का जाप भी करें जो इस प्रकार हैं: कार्तिकेय मंत्र – “ओम सर्वनाभवय नमः”। हनुमान मंत्र: “ओम हम हनुमते नमः”।
- साथ ही मंगलवार के दिन श्री कार्तिकेय स्तोत्र या हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- वक्री मंगल के नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति के लिए मंगल के मंत्र ‘ ऊँ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः’ का लगातार 40 दिनों तक 7000 बार जाप करें।
- मंगल स्तोत्र का पाठ करें।
- मंगलवार के दिन लाल मसूर की दाल का दान करें।
- मंगलवार का व्रत करें।
- रुद्राभिषेक या भगवान कार्तिकेय की पूजा करें।
- तीन मुखी रुद्राक्ष माला और मूंगा रत्न धारण करें।
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