ज्योतिष की दुनिया में ग्रहों का गोचर या किसी ग्रह का वक्री-मार्गी होना बेहद ही महत्वपूर्ण घटना माना जाता है। सरल शब्दों में समझाएं तो गोचर का अर्थ होता है किसी ग्रह का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना वहीं ग्रहों का वक्री-मार्गी होना उनकी स्थिति को दर्शाता है। जहाँ वक्री का अर्थ होता है उलटी गति/स्थिति वहीं मार्गी का मतलब होता है सीधी गति/स्थिति।
ग्रहों का गोचर कभी मार्गी स्थिति में होता है तो कभी कभार यह वक्री स्थिति में भी होने के लिए जाना जाता है। वक्री स्थिति का अर्थ होता है ग्रहों की उलटी दशा। यानि की इस स्थिति में ऐसा प्रतीत होता है कि कोई ग्रह उलटी गति में चल रहा है। हालांकि यह वास्तव में होता नहीं है, ऐसा केवल प्रतीत होता है।
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ग्रहों का गोचर और उनकी वक्री स्थति का मतलब जानने के बाद आइये हम आपको 14 जनवरी 2022 को घटित होने वाली एक महत्वपूर्ण घटना की जानकारी प्रदान करते हैं। दरअसल 14 जनवरी, को मकर राशि में जहाँ एक तरफ सूर्य का गोचर होने वाला है वहीं दूसरी तरफ बुध ग्रह भी इसी राशि में वक्री गति में गोचर कर जायेगा।
स्वाभाविक सी बात है कि दो महत्वपूर्ण ग्रहों का एक ही राशि में और एक ही दिन में यह अहम परिवर्तन अवश्य ही देश, दुनिया और सभी बारह राशियों पर कुछ न कुछ प्रभाव अवश्य डालेगा। तो आइये आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं इस महत्वपूर्ण घटना से आपके जीवन और देश-दुनिया में क्या कुछ बदलाव देखने को मिलेंगे।
सूर्य का मकर राशि में गोचर: तिथि, समय और महत्व
14 जनवरी 2022, को सूर्य मकर राशि में 14:13 (दोपहर 2 बजकर 13 मिनट) पर गोचर कर जायेगा। ज्योतिष में सूर्य को सभी नवग्रहों के राजा का दर्ज़ा प्राप्त है। सूर्य को सरकारी नौकरी, पिता के साथ रिश्ते आदि का करक भी माना गया है। जिन व्यक्तियों की कुंडली में सूर्य मज़बूत और शुभ स्थिति में होता है ऐसे जातक समाज में ऊँचा मान-सम्मान, समृद्धि, और सुख के साथ अपना जीवन यापन करने में सफल होते हैं। इसके अलावा कुंडली में सूर्य की शुभ स्थिति से व्यक्ति अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए उत्साहित और तत्पर रहता है। वहीं दूसरी तरफ जिन व्यक्तियों की कुंडली में सूर्य कमज़ोर या अशुभ स्थिति में होता है ऐसे व्यक्तियों का स्वास्थ्य खराब बना रहता है, बार-बार नौकरी से हाथ धोना पड़ जाता है और पिता के साथ रिश्ते भी कुछ ख़ास अनुकूल नहीं होते हैं।
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सूर्य के बारे में ध्यान रखने योग्य बातें
जहाँ तक पौराणिक मान्यताओं का सवाल है तो सूर्य एक क्षत्रिय ग्रह है, जिसके सिद्धान्त अधिक माना जाता है। सूर्य को विष्णु, शिव, शक्ति और भगवान गणेश के साथ-साथ भगवान का दर्ज़ा दिया गया है और यही वजह है कि देश में सूर्यदेव को समर्पित कई मंदिर भी मौजूद हैं। ध्यान देने वाली बात है कि समाज का केवल सौरा वर्ग ही सूर्य को परम देवता के रूप में पूजता है। सूर्य कई हिंदुओं द्वारा भी पूजित किये जाते हैं और गायत्री मंत्र जो अधिकांश हिंदुओं द्वारा प्रतिदिन बोले जाने वाला मंत्र है वो भी सूर्यदेव को ही समर्पित होता है।
इसके अलावा सप्ताह में रविवार का दिन सूर्यदेव को ही समर्पित माना गया है। ऐसे में सूर्य पूजा करने और सूर्य से संबंधित उपाय करके सूरज देवता की प्रसन्नता हासिल करने के लिए रविवार का दिन उत्तम माना गया है।
इस विशेष ब्लॉग में हम इस महत्वपूर्ण ग्रह के गोचर और एक अन्य महत्वपूर्ण ग्रह के वक्री गोचर का आपकी राशि पर पड़ने वाले प्रभाव की विस्तृत जानकारी आपको प्रदान करने का प्रयत्न कर रहे हैं।
आगे बढ़ते हैं और बात करते हैं उस गोचर की जिसकी कुल अवधि 30 दिनों की होने वाली है। जिसका सरल भाषा में अर्थ हुआ कि सूर्य ग्रह एक राशि में तकरीबन 30 दिनों की अवधि के लिए रहता है और फिर अपना राशि परिवर्तन कर लेता है। सूर्य का यह गोचर सभी 12 राशियों के जीवन पर कोई ना कोई प्रतिकूल और अनुकूल प्रभाव अवश्य डालेगा। ज्योतिष के अनुसार यदि सूर्य ग्रह का गोचर तीसरे, छठे, दसवें, और ग्यारहवें भाव में हो तो इससे व्यक्ति को शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। वहीं इसके विपरीत यदि सूर्य पहले, दूसरे, चौथे, सातवें, आठवें, और दसवें भाव में गोचर करें तो इससे परिणाम प्रतिकूल मिलने की आशंका बढ़ जाती है।
हर एक व्यक्ति के जीवन में लक्ष्य अवश्य होते हैं और इन लक्ष्य को पूरा करने में सूर्य एक बेहद ही सहायक ग्रह साबित होता है। यदि व्यक्ति की कुंडली में सूर्य ग्रह उच्च स्थिति में मौजूद है तो ऐसे व्यक्ति अपने जीवन में हर उपलब्धियां हासिल करने में कामयाब रहते हैं। ऐसे व्यक्तियों के जीवन में सभी कार्य शुभ रहते हैं। वहीं जिन व्यक्तियों की कुंडली में सूर्य ग्रह दुर्बल अवस्था में होता है ऐसे व्यक्तियों का जीवन कठिनाइयों से भरा होता है।
हालांकि यहां पर परेशान होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यदि आपकी कुंडली में भी सूर्य ग्रह दुर्बल अवस्था में है तो ज्योतिष में इसे सही करने के ढेरों उपाय बताए गए हैं। विद्वानों और ज्योतिष के जानकारों द्वारा सुझाये गए इन उपायों को सही ढंग से पूरा करके आप अपनी कुंडली में मौजूद सूर्य ग्रह को मजबूत कर सकते हैं और उसके शुभ परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।
मकर राशि में बुध वक्री समय और महत्व
ज्योतिष में बुध ग्रह का संबंध बुद्धि, संचार, व्यापार और सांख्यिकी से जोड़कर देखा जाता है। आमतौर पर बुध ग्रह को एक शुभ ग्रह माना गया है लेकिन जब यह किसी अशुभ ग्रह के साथ जुड़ जाता है तो इससे व्यक्ति को नकारात्मक परिणाम झेलने पड़ते हैं। ऐसी परिस्थिति में व्यक्ति की अनोखी क्षमता में कमी देखने को मिलती है। अशुभ बुध के प्रभाव से व्यक्ति की वाणी, तंत्रिका तंत्र आदि से संबंधित समस्याएं व्यक्ति को झेलनी पड़ सकती है।
बुध के बारे में ध्यान रखने योग्य बातें
- हिंदू पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार तारा को बुध की माता और चंद्रमा को बुध के पिता का दर्जा प्राप्त है।
- इसके अलावा मान्यता यह भी है कि भगवान नारायण या विष्णु बुध के देवता हैं।
- हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बुध ग्रह को देव का दर्जा दिया गया है। अर्थात एक देवता माना जाता है। बुध ग्रह से संबंधित सप्ताह में बुधवार का दिन होता है इसीलिए इस दिन व्रत रखकर और पूजा अनुष्ठान करने से व्यक्ति कुंडली में मौजूद बुध ग्रह को मजबूत कर सकता है और इसके अशुभ परिणामों को शांत कर सकता है।
बुध ग्रह के गोचर की बात करें तो बुध का गोचर तकरीबन 14 दिनों की अवधि के लिए होता है और उसके बाद यह दूसरी राशि में प्रवेश कर जाता है। यह अवधि उस स्थिति में मान्य होती है जब बुध ग्रह मार्गी अवस्था में होता है। वक्री बुध का मतलब होता है कि यह सीधे चलने के बजाय उल्टी गति में दिखाई देगा। बुध ग्रह के गोचर का अलग-अलग राशियों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है।
हालांकि जब बुध ग्रह आपकी चंद्र राशि से 2, 4, 6, 8, 10 और 11वें घर में जाता है तो यह शुभ परिणाम प्रदान करता है। इसके अलावा बाकी सभी घरों में इसकी स्थिति नकारात्मकता और बुरे भाग्य की वजह बन सकती है।
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मकर राशि में दो ग्रह अलग-अलग स्थितों में करेंगे प्रवेश: जानें इसका देश, दुनिया और सभी राशियों पर प्रभाव
- सूर्य 14 जनवरी, 2022 को मकर राशि के दसवें भाव में प्रवेश करेगा।
- बुध भी इस दिन राशि मकर राशि में वक्री गति में प्रवेश करेगा।
- उपरोक्त दो महत्वपूर्ण घटनाओं का समापन करते हुए हम कह सकते हैं कि बुद्धि और संचार के ग्रह बुध का और अधिकार और दृढ़ निश्चय के ग्रह सूर्य का गोचर एक ही दिन एक ही राशि में होने जा रहा है।
- त्योहारों के सीजन के दौरान इन ग्रहों की चालों का देश के त्योहारों और बाजार की स्थितियों पर काफी असर देखने को अवश्य ही मिलेगा।
- गेहूं, माणिक्य रत्न, दाल आदि के भावों में बढ़ोतरी होगी।
- सरकार, कानून और सैन्य क्षेत्र आदि में विशेष बदलाव किए जाने की संभावना है।
- मीडिया, संचार, और परिवहन क्षेत्रों में मंदी होने की प्रबल आशंका बन रही है।
- मौसम में कुछ बदलाव नजर आ सकते हैं। विश्व स्तर पर गर्मी और शीतलहर दोनों हो सकती है।
- दुनिया भर में ज्यादा बारिश की संभावना हो सकती है।
- इस दौरान कुछ परियोजनाएं और नई खोज की भी प्रबल संभावना है।
- राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ दस्तावेजों और नए समझौतों पर हस्ताक्षर किये जा सकते हैं। हालांकि, कुछ संचार समस्याओं के आसार बन रहे हैं।
- वायरस अलग-अलग नामों के तहत विभिन्न आकार और रूपों में अपने पैर पसार सकता है और नई दवाएं भी मार्केट में उतारी जा सकती है।
किन राशियों के लिए शुभ-अशुभ?
दो ग्रहों का एक राशि में एक ही दिन में प्रवेश करना जहाँ वृश्चिक, सिंह और मीन राशि वालों के लिए शुभ साबित होगा वहीं इस महत्वपूर्ण घटना से वृषभ, मिथुन, कर्क, तुला, मकर और कुंभ राशियों के जातकों में समस्याएं होने की आशंका है। हालांकि इन राशियों के जातक हँसते-हँसते इन चुनौतियों से पार पाने में कामयाब रहेंगे।
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कुंडली में सूर्य ग्रह को मज़बूत करने के उपाय
- जितना मुमकिन हो अपने जीवन में ज्यादा से ज्यादा नारंगी रंग शामिल करें।
- भगवन शिव की पूजा करें।
- आदित्य हृदयम का पाठ करें।
- पिता, बड़े लोगों और पितातुल्य लोगों का सम्मान करें।
- रूबी रत्न धारण करने से भी सूर्य ग्रह के शुभ परिणाम हासिल किये जा सकते हैं। हालांकि कोई भी रत्न किसी विद्वान ज्योतिषी से परामर्श करने के बाद ही धारण करने की सलाह दी जाती है।
कुंडली में बुध ग्रह को मज़बूत करने के उपाय
- जीवन में विकास के लिए ज्यादा से ज्यादा लाल रंग शामिल करें।
- भगवान विष्णु के अवतार भगवान विष्णु और भगवान नरसिंह की पूजा करें।
- श्री विष्णु सहस्त्रनाम का जप करें।
- प्रतिदिन 41 बार “ॐ बुधाय नमः” मंत्र का जाप करें।
- अपनी बड़ी बहन या किसी अन्य लड़की का अनादर न करें।
- पन्ना रत्न पहनने से बुध ग्रह मजबूत हो सकता है, लेकिन इसे धारण करने से पहले विद्वान ज्योतिषियों से परामर्श बेहद आवश्यक है।
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