18 अक्टूबर सोमवार के दिन 2 ग्रह मार्गी हो रहे हैं। इनमें से जहां एक ग्रह बुध है तो दूसरा ग्रह है बृहस्पति। बृहस्पति ग्रह मकर राशि में मार्गी होने जा रहा है। मार्गी का अर्थ हुआ कि बृहस्पति ग्रह जो अब तक मकर राशि में वक्री स्थिति में था वह अब मकर राशि में ही मार्गी स्थिति अर्थात सीधी स्थिति में होने जा रहा है।
आइए अपने इस विशेष आर्टिकल में जानते हैं कि मार्गी बृहस्पति आपके जीवन को कैसे प्रभावित करने वाला है। साथ ही जानते हैं बृहस्पति मार्गी होने का समय और सभी 12 राशियों पर इसका पड़ने वाला शुभ अशुभ प्रभाव।
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मकर राशि में मार्गी बृहस्पति: समय और महत्व
ज्योतिष के अनुसार जब एक ग्रह वक्री चाल चलता है या वक्री स्थिति में होता है तो अक्सर देखा गया है कि इसका जातकों के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसे में जब बृहस्पति ग्रह वक्री होता है तो जातकों के स्वभाव में अहंकार बढ़ने लगता है और अब जब 18 अक्टूबर 2021 सुबह 11 बज कर 39 मिनट पर बृहस्पति मकर राशि में मार्गी होगा तो संभावना है कि इससे व्यक्ति के जीवन में बृहस्पति ग्रह की सकारात्मकता में वृद्धि होगी।
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ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह (गुरु ग्रह)
वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह को ‘गुरु’ कहा जाता है और यही वजह है कि इसका एक नाम गुरु भी है। बृहस्पति ग्रह की कृपा जिन व्यक्तियों के जीवन पर पड़ती है उन व्यक्तियों के अंदर सात्विक गुणों का विकास होता है साथ ही ऐसे लोग हमेशा सत्य के मार्ग पर चलते हैं।
कुंडली में बलि गुरु के प्रभाव: जिन व्यक्तियों की कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत या शुभ स्थिति में होता है। ऐसे व्यक्ति अपने जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाते हैं। शिक्षा में शानदार होते हैं। जीवन में धन लाभ मिलता है। इसके अलावा गुरु ग्रह के प्रभाव से व्यक्ति धार्मिक और दान पुण्य करने वाले स्वभाव के होते हैं।
कुंडली में पीड़ित गुरु के प्रभाव: वहीं बात करें पीड़ित गुरु की अर्थात जिन व्यक्तियों की कुंडली में गुरु ग्रह कमजोर स्थिति में होता है ऐसे व्यक्तियों को जीवन के अलग क्षेत्रों में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा शिक्षा के क्षेत्र में भी उनके जीवन में तमाम परेशानियां आने लगती हैं। इसके अलावा ऐसे व्यक्तिओं को नौकरी और व्यापार में भी तमाम समस्याओं को उठाना पड़ता है।
कुंडली में गुरु ग्रह को मजबूत बनाने के ज्योतिषीय उपाय
जिन व्यक्तियों की कुंडली में गुरु ग्रह अशुभ स्थिति में होते हैं या पीड़ित अवस्था में होते हैं ऐसे व्यक्तियों को तमाम मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। हालांकि वैदिक ज्योतिष में ऐसे लोगों की समस्या का निदान छुपा है अर्थात, ज्योतिष में ऐसे कई उपाय बताए गए हैं जिन्हें करने से व्यक्ति अपनी कुंडली में मौजूद पीड़ित गुरु को मजबूत कर सकता है और उसके सकारात्मक परिणाम प्राप्त कर सकता है।
- गुरुवार के दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना शुरू कर दें।
- गुरुवार के दिन धन का लेनदेन ना करें। अर्थात ना ही किसी को कर्ज दे और ना ही किसी से उधार लें।
- अपने माथे पर केसर का तिलक लगाएं और मुमकिन हो तो गुरुवार का उपवास करें।
- गुरुवार के दिन यदि आप जरूरतमंदों को पीले रंग की वस्तुओं का दान करते हैं तो भी गुरु ग्रह से संबंधित शुभ और सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।
- इस दिन केले के पेड़ की पूजा करें और बेसन के लड्डू या बेसन से बनी मिठाई का भोग लगाएं।
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मेष राशि
मेष राशि के जातकों के लिए बृहस्पति उनके नौवें और बारहवें भाव का स्वामी है और इस काल के दौरान यह उनके दसवें भाव यानी कि कर्म भाव में मार्गी होगा। पेशेवर दृष्टिकोण….(विस्तार से पढ़ें अपना भविष्यफल)
वृषभ राशि
वृषभ राशि के जातकों के लिए बृहस्पति उनके आठवें और ग्यारहवें भाव का स्वामी है और इस काल के दौरान यह उनके नौवें भाव यानी कि पिता, यात्रा और….(विस्तार से पढ़ें अपना भविष्यफल)
मिथुन राशि
मिथुन राशि के जातकों के लिए बृहस्पति उनके सातवें और दसवें भाव का स्वामी है और इस काल के दौरान यह उनके आठवें भाव यानी कि व्यवहार में कठोरता, ….(विस्तार से पढ़ें अपना भविष्यफल)
कर्क राशि
कर्क राशि के जातकों के लिए बृहस्पति उनके छठे और नौवें भाव का स्वामी है और इस काल के दौरान यह उनके सातवें भाव यानी कि व्यवसाय, विवाह और ….(विस्तार से पढ़ें अपना भविष्यफल)
सिंह राशि
सिंह राशि के जातकों के लिए बृहस्पति उनके पांचवें और आठवें भाव का स्वामी है और इस काल के दौरान यह उनके छठे भाव यानी कि शत्रु, ऋण और रोग के….(विस्तार से पढ़ें अपना भविष्यफल)
कन्या राशि
कन्या राशि के जातकों के लिए बृहस्पति उनके चौथे भाव और सातवें भाव का स्वामी है और इस काल के दौरान यह उनके पांचवें भाव यानी कि संतान, प्रेम और ….(विस्तार से पढ़ें अपना भविष्यफल)
तुला राशि
तुला राशि के जातकों के लिए बृहस्पति उनके तीसरे और छठे भाव का स्वामी है और इस काल के दौरान यह उनके चौथे भाव यानी कि सुख, आराम और माता के….(विस्तार से पढ़ें अपना भविष्यफल)
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के जातकों के लिए बृहस्पति उनके दूसरे भाव और पांचवें भाव का स्वामी है और इस काल के दौरान यह उनके तीसरे भाव यानी कि संवाद, यात्रा, बल और….(विस्तार से पढ़ें अपना भविष्यफल)
धनु राशि
धनु राशि के जातकों के लिए बृहस्पति उनके पहले भाव और चौथे भाव का स्वामी है और इस काल के दौरान यह उनके दूसरे भाव यानी कि परिवार, वाणी और संवाद के ….(विस्तार से पढ़ें अपना भविष्यफल)
मकर राशि
मकर राशि के जातकों के लिए बृहस्पति उनके तीसरे और बारहवें भाव का स्वामी है और इस काल के दौरान यह अपनी स्वराशि में मार्गी होगा। इस दौरान मकर राशि….(विस्तार से पढ़ें अपना भविष्यफल)
कुम्भ राशि
कुंभ राशि के जातकों के लिए बृहस्पति उनके दूसरे भाव और ग्यारहवें भाव का स्वामी है और इस काल के दौरान यह उनके बारहवें भाव यानी कि व्यय, हानि और आध्यात्मिकता….(विस्तार से पढ़ें अपना भविष्यफल)
मीन राशि
मीन राशि के जातकों के लिए बृहस्पति उनके दसवें और पहले भाव का स्वामी है और इस काल के दौरान यह उनके ग्यारहवें भाव यानी कि इच्छा, लाभ और कमाई के भाव में ….(विस्तार से पढ़ें अपना भविष्यफल)
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