एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको महाशिवरात्रि के बारे में बताएंगे और साथ ही, इस बारे में भी चर्चा करेंगे कि इस दिन राशि के अनुसार किस प्रकार भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। महाशिवरात्रि पर इस दिन से जुड़ी व्रत कथा एवं विधान के बारे में भी चर्चा करेंगे। तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और विस्तार से जानते हैं महाशिवरात्रि के पर्व के बारे में।
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हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है लेकिन फाल्गुन माह की चतुर्दशी तिथि की महाशिवरात्रि का विशेष महत्व होता है क्योंकि माना जाता है कि इस दिन महादेव और जगत जननी माता पार्वती के विवाह की शुभ रात्रि होती है। इस पावन दिन देवों के देव महादेव और जगत जननी आदिशक्ति माता पार्वती की पूजा व अर्चना की जाती है। साथ ही, व्रत-उपवास रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से विवाहितों को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वहीं, अविवाहितों की शीघ्र शादी के योग बनने लगते हैं। साथ ही, घर में सुख समृद्धि आती है। इस साल महाशिवरात्रि में तीन बेहद शुभ योग का निर्माण हो रहा है। यह योग भक्तों के जीवन में खुशहाली लेकर आएगा। तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं साल 2024 में कब पड़ रही है महाशिवरात्रि, इस दिन किए जाने वाले उपाय व और भी बहुत कुछ।
महाशिवरात्रि 2024 शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 8 मार्च 2024 शुक्रवार की रात 10 बजे से शुरू होगी और अगले दिन यानी 09 मार्च 2024 शनिवार की शाम 06 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी। प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। अतः 8 मार्च को महाशिवरात्रि मनाई जाएगी। इस साल महाशिवरात्रि में तीन बेहद शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। यह योग शिव, सिद्ध और सर्वार्थ सिद्ध योग है। कहते हैं कि शिव योग साधना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस योग में किए गए सभी मंत्र शुभ फलदायक होते हैं। सिद्ध योग की बात करें तो इस योग में जो भी कार्य किया जाए उसका परिणाम फलदायी होता है। जबकि सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए हर कार्य में सफलता मिलती है और यह योग बेहद शुभ योग होता है।
निशीथ काल पूजा मुहूर्त : 09 मार्च की मध्यरात्रि 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक।
अवधि : 0 घंटे 48 मिनट
महाशिवरात्रि पारण मुहूर्त : 09 मार्च की सुबह 06 बजकर 38 मिनट से दोपहर 03 बजकर 30 मिनट तक।
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पूजा मुहूर्त
महाशिवरात्रि के दिन पूजा का समय संध्याकाल 06 बजकर 25 मिनट से 09 बजकर 28 मिनट तक है। इस समय भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करना शुभ साबित होता है।
महाशिवरात्रि पर 300 वर्षों बाद शुभ योग
इस वर्ष की महा-शिवरात्रि इस वजह से भी खास मानी जा रही है क्योंकि इस वर्ष इस दिन 300 वर्षों के बाद एक अति-दुर्लभ संयोग बन रहा है। दरअसल इस वर्ष महा-शिवरात्रि पर शिव योग रहने वाला है, इसके अलावा इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग भी रहने वाला है। इसके अलावा इस दिन ग्रहों की चाल भी काफी शुभ रहने वाली है। महाशिवरात्रि पर मंगल और चंद्रमा की युति मकर राशि में होगी, शुक्र-शनि-सूर्य का कुम्भ राशि में त्रिग्रही संयोग बनेगा।
यह सभी विशेष स्थिति 2 राशियों के लिए विशेष रूप से खास रहने वाली है। ये राशियाँ हैं मेष और मिथुन। इस दौरान भोले की कृपा से इन दो राशियों के सभी अटके हुये काम पूरे होंगे, जीवन में सफलता मिलेगी, नौकरी और व्यवसाय में शुभ परिणाम प्राप्त होंगे और जीवन में हर एक काम में शुभता मिलने वाली है।
क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि
महाशिवरात्रि मनाने के पीछे कई सारी पौराणिक कथा प्रचलित है, जो इस प्रकार है:
पहली कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को माता पार्वती जी ने भगवान शिव जी को पति रूप में पाने की कामना के लिए नारद जी की आज्ञा से शिव जी की घनघोर तपस्या एवं विशेष पूजा आराधना की थी। इसके बाद महाशिवरात्रि के दिन शिव जी ने प्रसन्न होकर वरदान देकर माता पार्वती से विवाह किया था। यही कारण है कि महाशिवरात्रि को अत्यन्त महत्वपूर्ण और पवित्र माना जाता है। ऐसे में, हर वर्ष फाल्गुन चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की खुशी में महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन शिवभक्त कई स्थानों पर महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की बारात निकालते हैं।
दूसरी कथा
गरुड़ पुराण के अनुसार, इस दिन के महत्व को लेकर एक अन्य कथा कही गई है। कथा में कहा गया है कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी के दिन एक निषादराज अपने कुत्ते के साथ शिकार करने गया था। उस दिन उसे कोई शिकार नहीं मिला। वह थककर भूख-प्यास से परेशान होकर एक तालाब के किनारे बैठ गया। यहां बेल वृक्ष के नीचे शिवलिंग रखा हुआ था। अपने शरीर को आराम देने के लिए उसने कुछ बेल-पत्र तोड़े, जो शिवलिंग पर भी गिर गए। इसके बाद उसने अपने हाथों को साफ करने के लिए तालाब का जल छिड़का। इसकी कुछ बूंदे शिवलिंग पर भी जा गिरीं।
ऐसा करते समय उसके धनुष का एक तीर नीचे गिर गया। इसे उठाने के लिए वह शिवलिंग के सामने मस्तक झुकाए। इस तरह शिवरात्रि के दिन शिव-पूजन की पूरी प्रक्रिया उसने जाने-अनजाने में पूरी कर ली। मृत्यु के बाद जब यमदूत उसे लेने आए, तो शिव के गणों ने उसकी रक्षा की और उन्हें भगा दिया। अज्ञानतावश महाशिवरात्रि के दिन भगवान शंकर की पूजा का इतना अद्भुत फल मिला तो वह समझ गया कि महादेव का पूजन कितना अधिक फलदायी होगा और इसके बाद से शिवरात्रि के पूजन का चलन चल गया।
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तीसरी कथा
फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी यानी महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव ने शिवलिंग के रूप में दिव्य अवतार लिया था और ब्रह्मा जी ने लिंग रूप में शिव जी की पूजा की थी। तभी से महाशिवरात्रि के व्रत का महत्व बढ़ गया और दिन भक्त व्रत रखकर शिवलिंग में जल चढ़ाते हैं।
चौथी कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने पहली बार महाशिवरात्रि के दिन ही प्रदोष तांडव नृत्य किया था। इस वजह से भी महाशिवरात्रि की तिथि महत्वपूर्ण मानी जाती है और इस विधि-विधान से व्रत रखा जाता है।
पांचवीं कथा
महाशिवरात्रि मनाने के पीछे कई सारे मत हैं लेकिन शिव पुराण जैसे ग्रंथों में शिवरात्रि मनाने का महत्व बताया जाता है कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी यानी महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव ने सृष्टि को बचाने के लिए विष को अपने कंठ में उतारकर संपूर्ण सृष्टि की भयंकर विष से रक्षा की थी और पूरे संसार को इस भयंकर विष से मुक्त किया था। विष पीने के बाद भगवान शिव का कंठ एकदम नीला पड़ गया था। विष को धारण करते हुए भगवान शिव ने बीच में सुंदर नृत्य किया था। इस नृत्य को देवताओं ने बहुत महत्व दिया। विष के असर को कम करने के लिए देवी देवताओं ने उन्हें जल अर्पण किया था, इसलिए शिव पूजा में जल का विशेष महत्व है। मान्यता है कि देवी देवताओं ने इस दिन शिवजी की अराधना करनी शुरू कर दी।
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महाशिवरात्रि पर शिव जी की पूजा में ये चीजें जरूर करें शामिल, नोट करें पूजन सामग्री
कहा जाता है कि महादेव बहुत ही भोले हैं। श्रद्धा से मात्र एक लौटा जल ही शिवलिंग पर चढ़ाने से वह प्रसन्न हो जाते हैं लेकिन महाशिवरात्रि के दिन कुछ विशेष सामग्री से महादेव की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है, आइए जानते हैं उन चीज़ों के बारे में।
- भगवान शिव की पूजा में अक्षत का प्रयोग जरूर करना चाहिए। इससे महादेव प्रसन्न होते हैं और कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है।
- महादेव की पूजा में शहद शामिल करने से व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
- भोलेनाथ की पूजा में शुद्ध देसी घी का इस्तेमाल करना चाहिए। माना जाता है कि इससे आरोग्य जीवन की प्राप्ति होती है और सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
- भगवान शिव की पूजा में गन्ने का रस जरूर शामिल करें। माना जाता है कि इससे दरिद्रता दूर होती है और सुख समृद्धि में वृद्धि होती है।
- महादेव को भांग धतूरा और शमी पत्र बेहद ही प्रिय होता है ऐसे में शिवरात्रि की पूजा में इसे शामिल करके आप भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
- इसके अलावा, भस्म, केसर, रुद्राक्ष, मौली, सफेद चंदन, अबीर, गुलाल आदि भी भगवान शिव को अर्पित करना चाहिए।
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महाशिवरात्रि की पूजा के दौरान क्या करें व क्या न करें
महाशिवरात्रि की पूजा पर कुछ विशेष बातों का ख्याल रखना बहुत ज्यादा जरूरी होता है क्योंकि अगर जाने-अनजाने में व्रत के दौरान कुछ गलतियां हो जाए तो व्रत का उचित परिणाम प्राप्त नहीं हो पाता है। एक नज़र डालते हैं इन बातों पर।
क्या करें
- पूजा करते हुए शिवलिंग पर लोटे से जल अर्पित करें।
- इसके बाद शिवलिंग पर भांग,धतूरा,गंगाजल,बेलपत्र,दूध, शहद व दही अर्पित करें।
- शिवलिंग पर बारी-बारी से जल या दूध अर्पित करना चाहिए। एक साथ न करें।
- जल अर्पित करते हुए भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करना चाहिए।
- भगवान शिव का अभिषेक करते वक्त शिव के मंत्रों का जाप अवश्य करें।
क्या न करें
- पूजा वाले दिन तामसिक भोजन के सेवन से दूर रहें।
- शिवरात्रि वाले दिन मदिरापान से भी बचें।
- इस दिन घर में शांति का माहौल बनाए। किसी प्रकार का झगड़ा न करें और न ही निंदा करें।
- शिवलिंग पर जल चढ़ाते वक्त कमल,कनेर,केतकी के फूल भगवान शिव को अर्पित न करें। इसके अलावा, शिवलिंग पर सिंदूर या श्रृंगार का कोई भी चीज न चढ़ाएं।
- यदि आपने व्रत रखा है तो इस दिन में सोने से बचें और शिव का ध्यान करें।
- शिवलिंग पर काले तिल या टूटे चावल भूलकर भी अर्पित न करें।
- इसके अलावा, गलती से भी शिवलिंग पर शंख से जल अर्पित न करें। माना जाता है कि इसके पीछे एक बड़ी वजह है।
इन मंत्रों का करें भगवान शिव की पूजा
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा करते वक्त इन मंत्रों का जाप करना चाहिए। माना जाता है कि इन मंत्रों से भगवान शिव जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं।
- ॐ ह्रीं ह्रौं नमः: शिवाय॥ ॐ पार्वतीपतये नम:॥ ॐ पशुपतये नम:॥ ॐ नम: शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नम: ॐ ॥
- मन्दाकिन्यास्तु यद्वारि सर्वपापहरं शुभम् । तदिदं कल्पितं देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥ श्री भगवते साम्ब शिवाय नमः । स्नानीयं जलं समर्पयामि।
- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
- ऊँ हौं जूं स: ऊँ भूर्भुव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ।।
- ॐ साधो जातये नम:।। ॐ वामदेवाय नम:।। ॐ अघोराय नम:।। ॐ तत्पुरुषाय नम:।। ॐ ईशानाय नम:।। ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।।
- ॐ नमः शिवाय। नमो नीलकण्ठाय। ॐ पार्वतीपतये नमः। ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय। ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा।
- करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं श्रावण वाणंजं वा मानसंवापराधं । विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेव शम्भो ॥
- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।।
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महाशिवरात्रि 2024 : राशि अनुसार शुभ योग में करें महादेव का अभिषेक
मेष राशि
मेष राशि के जातकों को महाशिवरात्रि के दिन जल में गुड़, गंगाजल, बेल पत्र और इत्र मिलाकर महादेव का अभिषेक करना चाहिए।
वृषभ राशि
वृषभ राशि के जातकों को महाशिवरात्रि के दिन गाय का दूध, दही और देसी घी से भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए।
मिथुन राशि
मिथुन राशि के जातक इस दिन गन्ने के रस से भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से सभी रोगों से छुटकारा मिलता है।
कर्क राशि
कर्क राशि के जातक भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद पाने के लिए सावन सोमवार पर शुद्ध देसी घी से महादेव का अभिषेक करें।
सिंह राशि
सिंह राशि के जातक इस दिन जल में लाल पुष्प, गुड़, काले तिल और शहद मिलाकर महादेव का अभिषेक करें।
कन्या राशि
कन्या राशि के जातक महाशिवरात्रि पर गन्ने के रस में शहद मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करें।
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तुला राशि
तुला राशि के जातकों को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए जल में शहद, इत्र और चमेली तेल मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करें।
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के जातक इस दिन दूध, दही, घी, शहद आदि चीजों से भगवान शिव का अभिषेक करें।
धनु राशि
धनु राशि के जातक महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए जल या दूध में हल्दी मिलाकर जलाभिषेक करें।
मकर राशि
मकर राशि के आराध्य भगवान शिव हैं। ऐसे में, मकर राशि के जातकों को नारियल जल से भोलेनाथ का अभिषेक करना चाहिए।
कुंभ राशि
कुंभ राशि के जातक के भी आराध्य महादेव हैं। अतः कुंभ राशि के जातक को गंगाजल में काले तिल, शहद और इत्र मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए।
मीन राशि
मीन राशि के जातक को महाशिवरात्रि पर जल या दूध में केसर मिलाकर देवों के देव महादेव का अभिषेक करना चाहिए।
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