सोलह दिनों के महालक्ष्मी व्रत का समापन आज, जानें पूजा विधि !

हिन्दू धर्म के अंतर्गत आने वाले विभिन्न व्रत त्योहारों में से एक महालक्ष्मी व्रत है जिसे खासतौर से सोलह दिनों का महापर्व माना जाता है। आज शनिवार 21 सितंबर को इस महाव्रत का समापन हो रहा है। इस महापर्व की शुरुआत भादो माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था और इसका समापन आज सोलह दिनों के बाद होने जा रहा है। माता लक्ष्मी की कृपा दृष्टि परिवार पर बनाये रखने के लिए लोग इस दौरान व्रत रखते हैं और देवी लक्ष्मी की पूजा अर्चना करते हैं। सुख, समृद्धि और वैभव देने वाली माँ लक्ष्मी के इस व्रत को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। आज हम आपको विशेष रूप से इस व्रत के समापन विधि के बारे में बताने जा रहे हैं।

महालक्ष्मी व्रत का महत्व 

जैसा कि आप सभी जानते हैं की हिन्दू धर्म में मुख्य रूप से लक्ष्मी माता को धन की देवी माना जाता है। महालक्ष्मी माता को लक्ष्मी माँ का ही विशाल रूप माना जाता है। सुख, समृद्धि और धन के लिए लक्ष्मी माता की पूजा अर्चना करना महत्वपूर्ण माना जाता है। जहाँ तक महालक्ष्मी व्रत के महत्व की बात है तो आपको बता दें कि सोलह दिनों के इस व्रत को रखकर विशेष रूप से आप धन की देवी को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पा सकते हैं। महालक्ष्मी व्रत रखने से लक्ष्मी माता के साथ ही साथ विष्णु जी का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। परिवार में धन धान्य की पूर्ति के लिए इस व्रत को रखना अहम माना जाता है। सोलह दिनों के इस महाव्रत की अवधि में यदि आपने किसी भी दिन व्रत नहीं रखा हो तो आज इसकी समाप्ति वाले दिन श्रद्धा भाव से इस व्रत को रखकर आप लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

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महालक्ष्मी व्रत समापन विधि 

बता दें कि जिन लोगों ने सोलह दिनों का महालक्ष्मी व्रत रखा है उन्हें आज निम्न बताये विधि से इस व्रत का समापन करना चाहिए। इसके साथ ही साथ इस विधि से आज वो लोग भी व्रत का समापन कर सकते हैं जिन्होनें केवल आज के दिन ही व्रत रखा है। 

  • आज सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर सबसे पहले स्नान आदि से निवृत होने के बाद लक्ष्मी माता की स्थापित प्रतिमा की विधि पूर्वक पूजा करें। 
  • आज के दिन विशेष रूप से माँ की पूजा के लिए लाल रंग के फूल, अक्षत, धूप, अगरबत्ती, कमल का फूल, सुपारी, चंदन, दूर्वा, नारियल आदि का प्रयोग करें। 
  • सबसे पहले माँ को कमल का फूल चढ़ाएं और धूप अगरबत्ती दिखाते हुए उनसे धन धान्य बनाये रखने की प्रार्थना करें। 
  • प्रसाद के रूप में लक्ष्मी माता को खोये की बर्फी और किशमिश का भोग लगाएं। 
  • इस व्रत का समापन शाम का वक़्त की किया जाता है इसलिए, व्रती शाम के वक़्त भी इसी विधि से माँ की पूजा करें और व्रत का समापन करें। 

व्रत समाप्ति के दौरान माँ के इन बीज मंत्रों का जाप जरूर करें

 श्री लक्ष्मी महामंत्र: “ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी 

महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।”

श्री लक्ष्मी बीज मन्त्र: “ॐ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद

 प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।।”

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