मंदिर लोगों के लिए आस्था का स्थल होता है। यहां भक्तजन भगवान की पूजा करते हैं, भोग लगाते हैं और आशीर्वाद के तौर पर उनका प्रसाद घर लेकर आते हैं। प्रसाद में लोग अपनी श्रद्धा अनुसार कई तरह के फल और मिष्टान आदि चढ़ाते हैं, और फिर उसे भगवान का आशीर्वाद समझ कर ग्रहण कर लेते हैं। लेकिन क्या आपने कभी प्रसाद के रूप में सोना-चाँदी के गहने और नोट आदि मिलते हुए देखे हैं। जी हां, सुनने में थोड़ा अजीब ज़रूर लगता है, लेकिन ये बात बिलकुल सच है। आपकी जिज्ञासा को खत्म करने के लिए चलिए आज इस लेख में जानते हैं कि आख़िर ये मंदिर कहाँ स्थित है, और बताते हैं आपको इससे जुड़ी तमाम जानकारियाँ –
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रतलाम शहर में है यह मंदिर
सोना-चाँदी के गहने और नोट का प्रसाद मध्यप्रदेश के रतलाम शहर के एक मंदिर में दिया जाता है। यह मंदिर माणक में स्थित है, जहाँ मां महालक्ष्मी की पूजा की जाती है। लोगों की इस मंदिर को लेकर काफ़ी आस्था है। यहाँ भक्तों को प्रसाद के तौर पर पैसे, गहने आदि दिए जाते हैं। लेकिन ये प्रसाद भक्तों को केवल दिवाली के आस-पास के दिनों में ही दिया जाता है। इस मंदिर में साल भर चढ़ाये गए पैसों और गहनों को लोगों में बाँट दिया जाता है।
नोटों से सजता है यह मंदिर
वैसे तो इस मंदिर में साल भर भक्त मां महालक्ष्मी के दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन दिवाली के शुभ अवसर पर यहां धनतेरस से लेकर पांच दिनों तक दीपोत्सव का आयोजन किया जाता है। इस दौरान इस मंदिर को गहनों और रुपयों से सजाया जाता है। मंदिर की देखरेख के लिए चारों ओर सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं।
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इस तरह लगता है कुबेर का दरबार
दिवाली के पांच दिन के इस उत्सव में इस मदिर में कुबेर का दरबार भी लगाया जाता है। साल भर जो भक्तजन यहां आकर करोड़ों रुपये के जेवर और नकदी चढ़ाते हैं। उन्हीं गहनों और रुपयों से मां के मंदिर को सजाया जाता है, और फिर यही गहने प्रसाद के रूप में भक्तों को दे दिए जाते हैं। दिवाली के दिन इस मंदिर के कपाट 24 घंटे के लिए भक्तों के लिए खुले रहते हैं। यहां धनतेरस के दिन महिला श्रद्धालुओं को कुबेर की पोटली दी जाती है। यहां आने वाले कोई भी भक्त कभी खाली हाथ नहीं लौटता।
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बरकत लाते हैं यहाँ से मिले प्रसाद
माना जाता है कि मां महालक्ष्मी के इस मंदिर में नोट रखने से व्यक्ति को साल भर धन की कमी नहीं रहती है। स्थानीय लोगों के अनुसार यहां मिलने वाले प्रसाद को लोग शुभ मानकर हमेशा अपने पास रखते हैं और कभी उसे खर्च नहीं करते। इससे लोगों के घर में बरकत आती है। गहने और रूपये चढ़ाने की यह परंपरा वर्षों से इस मंदिर में चली आ रही है। यहां पर भक्तों द्वारा चढ़ाये गए भेंट को रजिस्टर में नोट करवाया जाता है और फिर दिवाली के बाद रिकॉर्ड के अनुसार भक्तों को उनके गहने और रुपये प्रसाद के रूप में वापस कर दिए जाते हैं। लोगों का मानना है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा उनपर बनी रहती है।
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