एक ऐसा मंदिर जहां के जल से खत्म होते हैं रोग और पूरी होती है हर एक मनोकामना

13 अप्रैल से चैत्र नवरात्र प्रारंभ हो चुके हैं। ऐसे में कोरोना वायरस के बीच भी मां दुर्गा के भक्तों का उत्साह देखने लायक है। लोग घरों में ही मां के स्वागत के लिए हर मुमकिन कोशिश में जुटे हुए हैं। नवरात्रि के यह 9 दिन बेहद ही खास और महत्वपूर्ण माने जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि, इस दौरान जो कोई भी व्यक्ति सच्ची श्रद्धा के साथ मां की प्रसन्नता के लिए उनकी पूजा पाठ करता है मां ऐसे भक्तों के जीवन पर अपना आशीर्वाद हमेशा बनाए रखती हैं।

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बड़ी काली मंदिर: लखनऊ

कोरोना संकट की वजह से जहां हर कोई घर में दोबारा कैद होने को मजबूर है ऐसे में आइए आज हम घर बैठे ही मां काली के एक ऐसे मंदिर के दर्शन करते हैं जिसके बारे में मान्यता है कि, यहां जो कोई भी भक्त लगातार 40 दिनों तक आकर मां के दर्शन करता है उसकी हर एक मनोकामना अवश्य पूरी होती है। लखनऊ के चौक में स्थित बड़ी काली मां का यह मंदिर तकरीबन 2400 वर्ष पुराना बताया जाता है।

यहां मनोकामना पूर्ति की है अनोखी परंपरा

इस मंदिर से जुड़ी एक अनोखी मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि, जो कोई भी व्यक्ति लगातार 40 दिनों तक बड़ी काली मंदिर आता है उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। मंदिर से जुड़े लोग बताते हैं कि, इस मंदिर में देवी देवताओं की अष्टधातु की मूर्तियां स्थापित हैं और अष्टधातु की मूर्ति के सामने जब भी मन्नत मांगी जाती है तो वह मन्नत अवश्य पूरी होती है। 

इस मंदिर में स्थित मूर्तियां साल में केवल 4 बार ही भक्तों के दर्शन के लिए बाहर निकाली जाती है। मुख्य रूप से नवरात्रि के अष्टमी और नवमी के दिन इन मूर्तियों को भक्तों के बीच बाहर निकाला जाता है और इसी के चलते नवरात्र के अष्टमी और नवमी तिथि पर यहां भारी संख्या में भीड़ उमड़ती है। इसके बाद दोबारा देवी-देवताओं की मूर्तियां मंदिर के गर्भगृह में रख दी जाती हैं।

इस मंदिर के जल से दूर होते हैं बड़े-बड़े रोग और परेशानियाँ  

इस मंदिर में स्थित बड़ी काली मां की मूर्ति को जल से स्नान कराया जाता है और फिर यह जल एकत्र होकर मंदिर में बने एक कुंड में जमा होता है। कहा जाता है इस जल के प्रयोग मात्र से व्यक्ति के बड़े से बड़े दुख और रोग दूर होते हैं। यही वजह है कि यहां आने वाले भक्त माता काली के दर्शन के बाद इस जल को ग्रहण करते हैं और इसे अपनी आंखों पर भी लगाते हैं। इसके अलावा कहा जाता है कि इस जल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से व्यक्ति का शरीर हमेशा हमेशा के लिए निरोगी बना रहता है।

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