लोकसभा चुनाव 2024 में किसकी बनेगी सरकार? जानें क्या कहती है ग्रहों की स्थिति

लोकसभा चुनाव 2024 में किसकी बनेगी सरकार? जानें क्या कहती है ग्रहों की स्थिति

क्या वाकई होगा अबकी बार चार सौ पार? क्या सच में फिर से बन रही है मोदी सरकार? या फिर ये महज एक नारा है। इस बार लोकसभा चुनाव में कैसे परिणाम प्राप्त होंगे। ये सब जानकारी हम आपको एस्ट्रोसेज के ब्लॉग में देंगे। तो चलिए चर्चा करते हैं इस विषय पर।

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जैसा कि आप सभी जानते हैं कि इस बार भाजपा पार्टी के द्वारा एक नारा दिया गया है-“अबकी बार, चार सौ पार”…क्या वाकई ऐसा हो सकेगा? ज्योतिष क्या कहता है? ग्रह गोचर और दशाओं का क्या संकेत है इस मामले में? आइए जानते हैं।

क्या कहते हैं ग्रह

आज़ाद भारत की कुंडली वृषभ लग्न वाली है। शुक्र की लग्न और बृहस्पति के नवांश में देश को आज़ादी मिलना स्वीकार किया गया था। मीन का नवांश देश के लोगों को भावना प्रधान बनाता है। ऊपर से मन का कारक चंद्रमा भी उस समय अपनी ही राशि कर्क राशि में था। कर्क राशि भावना प्रधान राशि होती है। यही कारण है कि इस देश के चुनाव या निर्णय देश की जरूरतों व विकास से अधिक भावनात्मक मुद्दों पर लड़े जाते हैं या लड़े गए हैं। 

हो सकता है कि शुरुआत में दलों का उद्देश्य विकास ही रहता हो लेकिन विकास के मुद्दों को लेकर जनता के पास जाने पर जनता वोट न देती हों। फलस्वरूप नेतागणों को भावनात्मक मुद्दों वाली स्ट्रेटजी बनानी पड़ती हों। आप खुद गौर करें कि इस देश में आराम से तथ्यपरक बाते नहीं सुनी जातीं। वहीं कोई रो रहा हों या जोर जोर से चिल्ला रहा हो तो लोग उसे जरूर सुनते हैं। इस बात को एक उदाहरण के माध्यम से समझते हैं। आपने गौर किया होगा कि इस देश में रोने धोने वाले सीरियल या फिल्में बहुत चलते हैं। या फिर गाली गलौज और मारपीट वाले शोज भी अच्छी टी.आर.पी. देते हैं। यही कारण है कि ज्ञानवर्धक फिल्म या शोज बनाने वाले लोगों को रियलटी शोज में भी ड्रामा लाना पड़ता है।

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खैर विषयांतर न करके हुए मुद्दे की बात करते हैं और मुद्दे की बात यह है कि इस देश में जो भी लोगों की भावनाओं को छुएगा वहीं राज करेगा। यानी आपकी भावनाओं के तारों को छेेड़ने वाला ही आपके, हमारे या ज्यादातर देशवासियों के दिल और दिमाग के करीब रहेगा। 

बात करें इस बार के चुनाव की तो इस बार भारतवर्ष पर चंद्रमा की महादशा में शुक्र की अंतरदशा प्रभावी हैं। हमने अपने अनुभव में पाया है कि शुक्र की दशा अवधि में होने वाले चुनावों में सत्तारूढ़ दल की ताकत को कम किया है और विपक्ष या विपक्षियों की ताकत के ग्राफ को बढ़ाया है। ये लक्षण इस बात के संकेत कर रहे हैं कि सत्तारूढ़ दल की ताकत बढ़ने की बजाय कम हो सकती है यानी 2019 के मुकाबले इस बार भाजपा व एनडीए की ताकत कम हो सकती है। यानी 2019 के 353 के मुकाबले इस बार एनडीए की सीटें कम हो सकती हैं। ऐसी ही बात हम भाजपा की सीटों के लिए कहना चाहेंगे। यानी भाजपा सीटें 2019 के 303  के मुकाबले इस बार कम हो सकती हैं। ये तो रही दशाओं की बात। अब हम बात करेंगे गोचर की।

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2024 लोकसभा चुनाव में क्या कहती है ग्रहों की स्थिति

इस बार के चुनाव के दौरान देवगुरु बृहस्पति का राशि परिवर्तन बीच चुनाव में हुआ है। यह भी अस्थिरता का संकेत कर रहा है। चुनाव की शुरुआत के समय बृहस्पति का गोचर मेष राशि में था, जो सत्तापक्ष के लिए अनुकूल था लेकिन 1 मई 2024 को गुरु मेष राशि को छोड़कर वृष राशि में चले गए जो सत्तापक्ष के लिए कमजोर स्थिति हुई। कई मूर्धन्य ज्योतिषी तो वृष राशि के बृहस्पति को सत्ता परिवर्तन कराने वाला कहते हैं। अब क्योंकि ज्योतिष में शुभारंभ को अधिक महत्त्व दिया जाता है, अत: यह उम्मीद रख रहे हैं कि शुभारम्भ अनुकूल होने के कारण सम्भवत: सत्ता परिवर्तन नहीं होना चाहिए। बल्कि वर्तमान का सत्तारूढ़ गठबंधन सत्ता में बना रह सकता है लेकिन विरुद्ध हुआ गुरु का गोचर सरकार, सरकार के मुखिया व इनके कार्यों के महत्त्व को कम करवा सकता है। जनता के मन में इनके प्रति भाव कम हो सकते हैं। इन्हीं कारणों से हम सत्तारूढ़ गठबंधन की सीटें कम होने की बात कर रहे हैं।

कहने का मतलब यह कि 1 मई 2024 से पहले हुए मतदान में भाजपा व इनके समर्थक दलों के वोट का प्रतिशत अधिक रहा होगा। वहीं 1 मई 2024 के बाद हुए मतदान में इनका वोट प्रतिशत कम हुआ होगा। आने वाले बाकी के चरणों में इनका वोट पर्सेंटेज कम हो सकता है। फिर भी येन केन प्रकारेण ये सरकार बना सकते हैं। अलबत्ता इन्हें सरकार बनाने के लिए और लोंगों या दलों का सहारा लेना पड़़ सकता है। वर्तमान समर्थकों को रोकने के लिए भी इन्हें नए सिरे से प्रयास करने पड़ सकते हैं। क्योंकि समर्थकों के द्वारा कुछ नई शर्तें व नई मांगे भी रखी जा सकती है। इनकी कमजोर पड़ रही ताकत का फायदा कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों को मिल सकता है। उम्मीद है अब तक आप यह समझ गए होंगे कि “अबकी बार, चार सौ पार” के नारे वाला आकड़ा बीजेपी की पहुंच से दूर नज़र आ रहा है।

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भाजपा की कुंडली

बीजेपी की कुंडली की स्वयं की दशाएं भी चंद्रमा में बुध की हैं जो इनके मन में अज्ञात चिंता या भय देने का काम कर रही हैं। आप समझ सकते हैं कि देश की सशक्त पार्टी कि किस बात को लेकर चिंतित या भयभीत होगी? स्वाभाविक है यह चिंता अपने लक्ष्य तक न पहुंचने की ही हो सकती है। इसका असर केंद्र के नेताओं के बयानों और भाषणों में आप महसूस कर सकते हैं। सम्भवत: इस बार के चुनाव में केंद्र का प्रभाव कम और स्थानीय या प्रादेशिक सरकारों और नेताओं का अधिक रह सकता है। इस बात को इस उदाहरण के माध्यम से समझते है कि उत्तरप्रदेश में भाजपा की सरकार है तो केंद्र की कमजोरी का अधिक प्रभाव उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव लड़ रहे प्रत्यासियों पर नहीं पड़ेगा और वहां पर भाजपा एक सम्मान जनक सीट निकाल सकती है। 

हालांकि यहां यह बात भी स्पष्ट कर दी जाए कि राजनीति में कुछ भी हो सकता है। ऐसे में यदि उत्तर प्रदेश में ही भाजपा का कोई स्थानीय नेता ही भितरघात कर जाए या अपनी पार्टी के प्रत्याशी को जिताने के लिए पूरा दम खम न लगाए तो वहां भाजपा हार भी सकती है। वहीं जहां पर भाजपा की सरकारें नहीं हैं लेकिन स्थानीय नेता पूरी ईमानदारी से अपने प्रत्यासी को जिताने का प्रयास करेंगे तो वहां बीजेपी को फायदा होगा। ध्यान रहे यह एक उदाहरण था, न कि हमने किसी पर आरोप लगाया है। और इसी तरह का प्रभाव हर पार्टी पर रहेगा। बीजेपी का नाम तो हमने सिर्फ़ उदाहरण देने के लिए लिया है। जैसा की नीति और तर्क कहते हैं कि सत्तारूढ़ दल के लोग अति आत्मविश्वासी हो जाते हैं और प्रयास के ग्राफ को कम कर देते हैं। कहने का मतलब यह कि 1 मई 2024 के बाद हुए मतदान या होने वाले मतदान में केन्द्र की लहर से ज्यादा स्थानीय इकाई प्रभावी रहेगी। इसके पहले कमजोर स्थानीय नेता भी केंद्र की लहर में चुनाव जीता है यह बात हर कोई जानता है।

सारांश

चलिए चलते चलते सारी बातों के सारांश की बात कर ली जाए। तो सारांश यह कि मतदान के शुरुआती दौर की अनुकूलता के चलते एनडीए के रिपीट होने की बात कही जा सकती है अन्यथा 1 मई 2024 के बाद का समय सत्ता विरोधी है और 1 मई 2024 के बाद के चरणों में स्थानीय इकाइयों का प्रभाव अधिक रहेगा। सत्तारूढ़ दल की सींटों में कभी देखने को मिल सकती है। यही कारण है कि इन्हें कुछ और साथियों की जरूरत पड़ सकती है। उत्तर भारत में सत्तापक्ष की सीटों में कमी तो वहीं दक्षिण भारत के कुछ राज्यों भाजपा का वोट परसेंट बढ़ भी सकता है और जहां इनकी सीटें नहीं हैं वहां इनका खाता खुल भी सकता है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. क्या ज्योतिष के अनुसार बीजेपी 2024 जीत पाएगी?

उत्तर 1. ज्योतिष के अनुसार, लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा के द्वारा एक बार फिर सरकार बनाने के संभावना में अधिक है।

प्रश्न 2. लोकसभी चुनाव 2024 के नतीजे कब आ रहे हैं?

उत्तर 2. लोकसभा चुनाव के नतीजे 04 जून 2024 को आ रहे हैं।

प्रश्न 3. नरेंद्र मोदी की चंद्र राशि क्या है?

उत्तर 3. मोदी की चंद्र राशि वृश्चिक राशि है।