फाल्गुन पूर्णिमा का दिन माता लक्ष्मी की जन्म दिन यानी लक्ष्मी जयंती के रूप में मनाया जाता है। माना जाता है कि, इसी दिन समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी की उत्पत्ति हुई थी। लक्ष्मी जयंती का यह त्यौहार मुख्य रूप से दक्षिण भारत में मनाया जाता है। इस दिन के बारे में ऐसी मान्यता है कि, जो कोई भी व्यक्ति लक्ष्मी जयंती के दिन सच्चे मन से मां लक्ष्मी की पूजा, आराधना और व्रत करता है उसके जीवन में सुख संपदा हमेशा बनी रहती है और उसके सुख सुविधाओं में कभी कमी नहीं आती। आइए अब इस दिन के बारे में और जानते हैं। साथ ही जानते हैं इस वर्ष कब मनाया जाएगा लक्ष्मी जयंती का पर्व।
इस वर्ष लक्ष्मी जयंती का पर्व 28 मार्च 2021 रविवार के दिन मनाया जाएगा।
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लक्ष्मी जयंती की पूजा विधि
- लक्ष्मी जयंती के दिन मां लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान विष्णु की पूजा का विधान बताया गया है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ कपड़े धारण करें।
- फिर पूजा वाली जगह पर एक साफ़ चौकी लेकर उसे गंगा जल डालकर पवित्र कर लें।
- अब उस चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं और इस पर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करें।
- इसके बाद भगवान विष्णु को पीले वस्त्र और महालक्ष्मी को लाल रंग के वस्त्र पहनाएं।
- भगवान को फूल, माला इत्यादि अर्पित करें। साथ ही मां लक्ष्मी को श्रृंगार की वस्तुएं भी अर्पित करें।
- इसके बाद भगवान के सामने घी का दीपक जलाकर विधिवत पूजा करें। इस दिन की पूजा में लक्ष्मी जी के जन्म से जुड़ी कथा अवश्य सुनें और दूसरों को सुनाएं।
- इस दिन के भोग में खीर और मिठाई का इस्तेमाल किया जाता है। जिसे पूजा के बाद सभी लोगों में अवश्य वितरित करें।
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लक्ष्मी जी का आशीर्वाद पाने के लिए यह दिन है सबसे खास: जाने इसका महत्व
मां लक्ष्मी का सीधा संबंध संपन्नता से होता है। ऐसे में माना जाता है कि जो कोई भी इंसान लक्ष्मी जयंती के दिन सही ढंग से पूजा-अर्चना करता है उसके लिए जीवन में सफलता का मार्ग अवश्य खुलता है। इसके साथ ही वह मनुष्य हमेशा आर्थिक तरक्की पाता है और उसका जीवन ऐश्वर्य और वैभव से गुजरता है। प्रत्येक सप्ताह में शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी की पूजा के लिए निर्धारित किया गया है लेकिन, शरद पूर्णिमा के दिन अगर कोई भी भक्त मां लक्ष्मी की प्रसन्नता हासिल कर ले तो माना जाता है कि, उस व्यक्ति को जीवन में कभी भी पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं होती है।
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अब जानते हैं लक्ष्मी जयंती के दिन किए जाने वाले कुछ बेहद ही सरल उपाय, जिन्हें करके आप भी अपने जीवन में आर्थिक संपन्नता का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
- लक्ष्मी जयंती के दिन श्री सूक्त का पाठ करना बेहद ही फलदायी बताया जाता है।
- इसके अलावा इस दिन कनकधारा स्त्रोत का भी पाठ किया जा सकता है और साथ ही विष्णु सहस्त्रनाम का जप करना बेहद फलदाई साबित होता है।
- लक्ष्मी जयंती के दिन मां लक्ष्मी को सफेद रंग का कमल का फूल, चाँदी, चमेली का इत्र इत्यादि अर्पित करते हुए पूजा करने चाहिए। इससे मां लक्ष्मी की प्रसन्नता हासिल करने में कामयाबी अवश्य मिलती है।
- इस दिन जब मां लक्ष्मी की पूजा संपन्न हो जाए तो एक कागज़ पर श्रीं और ह्नीं बीज लिख कर इसे आटे में मिलाकर मछलियों को खिला देना चाहिए।
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मां लक्ष्मी के जन्म से जुड़ी पौराणिक कथा
माँ लक्ष्मी के जन्म से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार बताया जाता है कि, एक बार राक्षसों ने स्वर्ग लोक पर अपना अधिकार जमा लिया। तब हैरान-परेशान सभी देवता भगवान विष्णु के पास गए और भगवान विष्णु से सभी देवताओं ने समुद्र मंथन करने का अनुरोध किया। हालांकि इसके लिए उन्हें राक्षसों की भी आवश्यकता पड़ती। तब नारद जी राक्षसों के पास गए और उन्हें अमृत का लालच देकर समुद्र मंथन के लिए राज़ी कर लिया। यह समुद्र मंथन एक कछुए की पीठ और वासुकि नाग के द्वारा किया जा रहा था। जब समुद्र मंथन शुरू हुआ तो एक-एक करके इस मंथन से चौदह रत्न निकले। इन्हीं चौदह रत्नों में से एक थी मां लक्ष्मी।
मां लक्ष्मी के एक हाथ में कलश था और दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। समुद्र मंथन से उत्पन्न होने के बाद मां लक्ष्मी ने पति के रूप में भगवान विष्णु का वरण कर लिया। बताया जाता है कि, जिस दिन समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी की उत्पत्ति हुई थी यह दिन फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा का दिन था और यही वजह है कि प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी के जन्म दिवस यानि की लक्ष्मी जयंती के रुप में मनाए जाने की परंपरा की शुरुआत हुई।
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