लक्ष्मी गणेश मूर्ति: ज्योतिषीय महत्व, स्थापना विधि एवं मंत्र

Ashtdhatu Laxmi Ganesh Idol – अष्टधातु लक्ष्मी गणेश की प्रतिमा

हिन्दू धर्म अनुसार अष्टधातु से बनी लक्ष्मी गणेश जी की मूर्ति बहुत पवित्र होती है। लक्ष्मी गणेश जी की प्रतिमा की आराधना से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और घर में सुख, धन-वैभव और समृद्धि आती है। जहाँ गणपति महाराज अपने भक्तों के दुखों को दूर करते हैं तो वहीं माँ लक्ष्मी जी के आशीर्वाद से जीवन में धन और समृद्धि प्राप्त होती है। माँ लक्ष्मी एवं गणेश जी की अष्टधातु से निर्मित यह मूर्ति प्रगति और शांति का प्रतीक मानी जाती है। इसलिए इसकी पूजा से घर में शांति का वातावरण स्थापित होता है। अष्ट धातु में आठ धातुएँ होती हैं जिसमें सोना, चाँदी, ताँबा, जस्ता, शीशा, टिन, लोहा तथा पारा सम्मिलित हैं। मूर्तियों में इन सभी धातुओं का मिश्रण समानुपात है। अष्टधातु की ये प्रतिमा मानसिक तनाव से भी छुटकारा दिलाती है।

प्रतिमा को स्थापित करने की विधि:

  • प्रतिमा पर सबसे पहले गंगाजल या कच्चे दूध का छिड़काव कर शुद्ध करें।
  • फिर प्रतिमा को घर की धन-संपत्ति दिशा यानी उत्तर दिशा में स्थापित करें।
  • आप इसे धन अथवा बैंक से संबंधित काग़ज़ातों के पास भी रख सकते है।
  • स्थापना से पूर्व मूर्ति के नीचे साफ़ लाल वस्त्र बिछाए।
  • मूर्ति को शुक्रवार के दिन या फिर शुक्रवार की होरा में स्थापित करें।
  • हर शुक्रवार पूरे विधि-विधान से प्रतिमा की आराधना करें।
  • पूजा के दैरान इस मत्र का जाप करें –

दन्ताभये चक्रवरौ दधानं, कराग्रगं स्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

धृताब्जयालिङ्गितमाब्धि पुत्र्या-लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे॥

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Crystal Ganesha – क्रिस्टल गणेश

क्रिस्टल गणेश जी की प्रतिमा की आराधना करने से मनुष्य के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है तथा मनुष्य के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। ये जीवन का अंधकार भी दूर करती है। साथ ही इससे भक्तों को प्रत्येक क्षेत्र में सफलता मिलती है। इसी लिए इस प्रतिमा को घर तथा ऑफिस अथवा कारखाने में स्थापित करना चाहिए। गणेश जी की यह प्रतिमा शुद्ध क्रिस्टल से बनी है। चमत्कारिक प्रकृति के कारण इसकी उपलब्धता दुर्लभ होती है। गणेश जी इस प्रतिमा को विधि-विधान से स्थापित करने अथवा उसकी पूजा करने से भगवान गणेश खुश होते हैं और सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं।

प्रतिमा को स्थापित करने की विधि:

  • प्रतिमा को सबसे पहले गंगाजल या कच्चे दूध से शुद्ध करें।
  • क्रिस्टल गणेश जी की प्रतिमा को घर में ईशान कोण में स्थापित करें।
  • प्रतिमा की स्थापना से पूर्व उस स्थान की साफ-सफाई करें।
  • प्रतिमा को लाल वस्त्र के ऊपर ही रखें।
  • स्थापना के पश्चात् गणेश जी की पंचोपचार के साथ आराधना करते हुए “ॐ गं गणपतये नमः” मन्त्र का 108 बार जाप करें।
  • प्रतिमा को बुधवार के दिन या बुधवार की होरा में स्थापित करें।

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Mahalaxmi Yantra – महालक्ष्मी यंत्र

ज्योतिष शास्त्र में माँ लक्ष्मी की पूजा को बहुत महत्व दिया गया है। माँ लक्ष्मी को भौतिक सुखों को प्रदान करने वाली देवी माना जाता है। धार्मिक मतों के अनुसार महालक्ष्मी यंत्र को घर में स्थापित करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसकी स्थापना करने से धन-धान्य की आवाजाही घर में बनी रहती है। सिर्फ इतना ही नहीं महालक्ष्मी यंत्र की स्थापना कर आप आध्यात्मिक ज्ञान भी प्राप्त कर सकते है। माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए ही महालक्ष्मी यंत्र की स्थापना और पूजा की जाती है।

महालक्ष्मी यंत्र स्थापित करने की विधि:

  • महालक्ष्मी यंत्र की स्थापना से पूर्व पूजा स्थल को साफ़ कर, यंत्र को दूध और गंगाजल से शुद्ध करें।
  • दिया, धूप इत्यादि जलाकर यंत्र की पूजा करें।
  • यंत्र को मंदिर के पास उत्तर अथवा पूर्व की दिशा की ओर स्थापित करें।
  • स्थापना के बाद ‘ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:’ मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • महालक्ष्मी यंत्र को किसी भी दिन स्थापित किया जा सकता है लेकिन कार्तिक अमावस्या के दिन इसे स्थापित करना सबसे अच्छा माना जाता है।

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