आरती कुंज बिहारी की (Aarti Kunj Bihari Ki) भगवान कृष्ण को समर्पित है। इस आरती के पाठ से व्यक्ति के कई दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। आज अपने इस लेख में हम आपको इस आरती के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां देंगे। आइए सबसे पहले पढ़ें कुंज बिहारी जी की संपूर्ण आरती।
आरती कुंज बिहारी की (Aarti Kunj Bihari Ki)
आरती कुंज बिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
आरती कुंज बिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
आरती कुंज बिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
आरती कुंज बिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
गले में बैजंती माला
बजावे मुरली मधुर बाला
श्रवण में कुंडल झलकाला
नन्द के आनंद नन्दलाला
गगन सम अंग कांति काली
राधिका चमक रही आली
लटन में ठाढ़े बनमाली
भ्रमर सो अलक, कस्तूरी तिलक
चन्द्र सी झलक
ललित छवि श्यामा प्यारी की
श्रीगिरीधर कृष्ण मुरारी की
आरती कुंज बिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
आरती कुंज बिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
कनकमय मोर मुकुट बिलसे
देवता दर्शन को तरसे
गगन सो सुमन रासी बरसे
बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग
अतुल रति गोप कुमारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
आरती कुंज बिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
आरती कुंज बिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
जहाँ ते प्रकट भई गंगा
कलुष कलि हरिणी श्री गंगा
स्मरण से होत मोह भंगा
बसी शिव शीष, जटा के बीच
हरे अघ कीच
चरण छवि श्री बनवारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
आरती कुंज बिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
आरती कुंज बिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
चमकती उज्जवल तट रेणु
बज रही वृन्दावन बेणु
चहूँ दिशी गोपी ग्वाल धेनु
हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद, कटक भव फंद
टेर सुन दीन भिखारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
आरती कुंज बिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
आरती कुंज बिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
आरती कुंज बिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की…
हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले और खासकर भगवान कृष्ण के भक्त इस आरती का नित्य पाठ करते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं लगभग हर धार्मिक समारोह में इस आरती को गाया जाता है। कृष्ण भक्तों ने इस आरती को अलग-अलग धुनों में पिरोकर इसका आनंद लिया है।
कुंज बिहारी जी की आरती (Aarti Kunj Bihari Ki) का महत्व
यह आरती कृष्ण भक्तों के लिए अमृत के सागर की तरह है। इसका गायन करने से वातावरण में एक सकारात्मकता आ जाती है। भगवान कृष्ण के रूप का गुणगान करने वाली यह आरती मानसिक शांति भी प्रदान करती है। इस आरती के पाठ से व्यक्ति की दरिद्रता भी खत्म होती है और सामाजिक स्तर भी उसे मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण की इस आरती को गाकर लोग झूम उठते हैं। वहीं कृष्ण मंदिरों में इस आरती का नित्य पाठ किया जाता है।
इस आरती में बिहारी शब्द का इस्तेमाल हुआ है जो भगवान कृष्ण के कई नामों में से एक है। इसका एक अर्थ भ्रमण करने वाला भी होता है। वहीं कुंज का अर्थ हरे भरे वन उपवनों से है। अत: कुंज बिहारी का अर्थ हुआ कि वृंदावन के वन-उपवनों में भ्रमण करने वाले।
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प्रेम और विवाह में सफलता दिलाती है कुंज बिहारी की आरती
जो जातक प्रेम संबंधों में और दिल से अपने संगी को प्रेम करते हैं और अपने प्रेम को शादी के बंधन में बांधना चाहते हैं उन्हें भगवान कृष्ण की आराधना अवश्य करनी चाहिए और कुंज बिहारी जी की आरती का पाठ करना चाहिए। इस आरती के पाठ से वैवाहिक जीवन में भी सकारात्मक बदलाव आते हैं। वहीं गर्भवती महिलाओं के लिए भी यह आरती शुभ मानी गयी है क्योंकि इसके उच्चारण से गर्भ में पल रहे बच्चे के अंदर अच्छे गुण आते हैं।
कैसे करें आरती कुंज बिहारी (Aarti Kunj Bihari Ki) की
भगवान कृष्ण की इस आरती का पाठ सुबह-शाम कभी भी किया जा सकता है। सुबह के समय स्नान ध्यान करने के बात शुद्ध मन से पूजा स्थल पर धूप दीप प्रज्वल्लित करने के बाद इस आरती का पाठ किया जाना चाहिए। यदि आप भगवान की निरंतर पूजा करते हैं तो पूजा स्थल पर एक बांसुरी रखें। पूजा के दौरान भगवान कृष्ण की मूर्ति या प्रतिमा के सामने फूल अर्पित करें।
कुंज बिहारी जी की आरती के लाभ
भगवान कृष्ण का नाम मात्र ही कई दुखों को दूर करने वाला है, ऐसे में अगर शुद्ध अत:करण से उनकी आरती का पाठ किया जाए तो व्यक्ति को कई शुभ लाभ प्राप्त होते हैं।
- इस आरती को सुबह और शाम दोनों समय करने से पारिवारिक जीवन में आ रही परेशानियां दूर होती हैं।
- यह आरती मन को शांत करती है।
- इस आरती का पाठ करने से अन्य देवी-देवता भी प्रसन्न होते हैं।
- आर्थिक संकटों से भी इस आरती का पाठ करने से मुक्ति मिलती है।
- आरती के पाठ से नकारात्मक शक्तियां आपके आस-पास नहीं आती।
- प्रेम जीवन में इस आरती का पाठ करने से सफलता मिलती है।
- इस आरती को आत्मविश्वास बढ़ाने वाला भी माना जाता है।
- इस आरती का गायन करने से सांसारिक उलझनों से भी व्यक्ति को मुक्ति मिलती है।
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