देश के वो अनोखे मंदिर जो चमत्कारी रूप से एक रात में ही बनकर हुए थे तैयार।

जैसा सभी जानते हैं कि भारत देश विभिन्न-विभिन्न सभ्यताओं का देश है जहाँ की संस्कृति लगभग आज से हजारों साल पुरानी है, जिसका वर्णन कई पौराणिक ग्रंथों और शास्त्रों में हमे पढ़ने को मिलता है। इन्ही का उदाहरण देते हैं कई प्राचीन एवं पौराणिक मंदिर। जहाँ सभ्यताओं का नमूना आपको कदम-कदम पर दिख जाएगा।

भारत में मौजूद हर मंदिर की कुछ न कुछ धार्मिक मान्यता आवश्यक होती हैं, जिनमें जहाँ कुछ मंदिर बेहद साधारण तो कुछ बेहद भव्य होते हैं। इन मंदिरों के निर्माण को लेकर भी कई तरह के क़िस्से-कहानियाँ सुनने को मिलते हैं। कुछ मंदिर तो आपको ऐसे मिल जाएंगे जिसकी भव्यता के चर्चे न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी बहुत सुनने को मिलते हैं। इन मंदिरों की वास्तुकला को देखकर किसी का भी सिर घूम जाता है और हर कोई इसके निर्माण और उसकी नकाशी को लेकर सोच में पड़ जाता है कि इसे बनाने में कितना समय लगा होगा। 

परन्तु यदि हम आपको ये बताएं कि कुछ ऐसे भी मंदिर आज मौजूद है, जिन्हे बनाने में महज एक दिन का समय लगा था तो शायद आप इस बात पर विश्वास नहीं कर पाएंगे, लेकिन ये सच हैं। दोस्तों आज हम अपने इस लेख में आपको कुछ ऐसे भव्य मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हे बनाने में केवल एक दिन का समय लगा था। साथ ही हम उन मंदिरों से जुड़ी कुछ हैरान करने वाली कहानियाँ भी आपको बताएँगे। 

चलिए आइए जानें एक रात में बनने वाले मनीरों और उनसे जुड़े रहस्य… 

  1. कन्याकुमारी का आदि केशव पेरुमल मंदिर

दक्षिण भारत के प्रसिद्ध कन्याकुमारी में स्थित आदि केशव पेरुमल मंदिर आज से लगभग 4000 साल पुराना बताया जाता है। इस मंदिर में तीन पवित्र नदियों का संगम होता है। इस मंदिर को लेकर कई पौराणिक कथाएँ सुनने को भी  मिल जाती हैं। उन्ही में से एक मान्यता के अनुसार, एक बार भगवान शिव तांडव नृत्य में मग्न थे। भगवान शिव के तांडव को देख वहां मौजूद उनके भूतगण उनपर हँसने लगे। जिसके चलते भगवान शिव इतने क्रोधित हो गए कि उन्होंने तुरंत उन्हें श्राप दे दिया। 

जिसके बाद महादेव के उस श्राप से मुक्ति पाने के लिए सभी भूतगण ब्रह्माजी के पास मदद के लिए पहुंचे। तब ब्रह्माजी ने उन्हें कठोर तपस्या करने के लिए कहा। भूतों की उस तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें दर्शन दिए और इस दौरान उन्होंने तपस्या करने वाले स्थान पर एक सरोवर का निर्माण करवाया, जो आगे चलकर अनंतसर के नाम से विख्यात हुआ। 

भगवान विष्णु द्वारा बनाई गई सरोवर में ही भूतगण ने स्नान करके अपने श्राप से मुक्ति पाई। इस दौरान माना जाता है कि भूतों ने भगवान विष्णुजी का आभार प्रकट करने के लिए एक ही रात में केशव पेरुमल मंदिर का निर्माण किया। इसलिए ही जहाँ ये मंदिर स्थिति है उस नगरी को भूतपुरी भी कहा जाता है क्योंकि यही वो स्थान था जहाँ भूतों ने भगवान विष्णु की तपस्या की थी।

  1. मेरठ का भूतनाथ मंदिर

दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के दतिया गांव में भगवान भूतनाथ का प्राचीन एवं बेहद रहस्यमय मंदिर है, जिसके निर्माण को लेकर ये दावे किये जाते रहे हैं कि भूतों ने स्वयं  इस मंदिर को महज एक ही रात में बनाया था। जिसके बाद भूतों द्वारा निर्मित इस मंदिर का नाम भूतनाथ मंदिर रखा गया। इस मंदिर की अगर बनावट की बात करें तो, जानकार हैरानी होगी कि मंदिर के निर्माण में आपको किसी भी तरह से सिमेंट और गाड़े का प्रयोग नहीं मिलेगा। लेकिन बावजूद इसके ये मंदिर हज़ारों साल पुराना बतया जाता है जो आज तक जस का तस खड़ा हुआ है। 

हालांकि समय के साथ मंदिर के शिखर पर काई लगी हुई है लेकिन उसके अलावा ये प्राचीन मंदिर मज़बूती के साथ खड़ा नज़र आता है। इस मंदिर को लेकर यहाँ के गांववाले बताते हैं कि मंदिर के शिखर को छोड़कर आपको कही भी काई या कोई नुक्सान नज़र नहीं आएगा। क्योंकि मंदिर के शिखर को भूतों ने नहीं बनाया है। मान्यता अनुसार जब भूत एक रात में मंदिर बनाने का कार्य कर रहे थे तो मंदिर का शिखर बनने से पहले ही सूर्योदय हो गया था जिसके चलते भूतों को अपनी दुनिया में लौटना पड़ा था। इसके बाद शिखर बनाने का कार्य मनुष्यों ने किया, जिसके परिणामस्वरूप मंदिर के शिखर पर काई लग गई।

  1. काठियावाड़ का नवलखा मंदिर 

गुजरात के काठियावाड़ में एक नवलखा मंदिर देशभर में अपनी सभ्यता को लेकर प्रसिद्ध है। जो आज से लगभग 250 से 300 साल पुराना बताया जाता है। मान्यता अनुसार इस मंदिर का निर्माण बाबरा नाम के एक भूत ने केवल एक रात में खुद किया था। लेकिन इस मंदिर की भव्यता को देखकर किसी के लिए भी इस बात पर यकीन करना बेहद मुश्किल हो जाएगा कि यह मंदिर किसी भूत ने महज एक रात में बनाया है। काठियावाड़ का नवलखा मंदिर सोमनाथ के ज्योतिलिंग की तरह ही बहुत ऊंचा है। इस शिव मंदिर के चारो ओर आपको नग्न-अद्रनग्न नवलाख प्राचीन मूर्तियों एवं प्रतिमाओं के शिल्प नज़र आ जाएंगे।