वास्तु शास्त्र का मानना है कि आप और हम सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा से घिरे रहते हैं। इन दोनों ऊर्जा का हमारे जीवन पर विशेष प्रभाव पड़ता है। जाहीर है कि सकारात्मक ऊर्जा से शुभ प्रभाव और नकारात्मक ऊर्जा का हमारे जीवन पर अशुभ प्रभाव पड़ता है। ऐसे में ये सवाल उठना जायज है कि ये सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा आती कहाँ से है?
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दरअसल इस सवाल के साथ ही दिशाओं का हमारे जीवन में महत्व बढ़ जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि वास्तु शास्त्र के मुताबिक हम जहां रहते हैं, जहां काम करते हैं या फिर जहां अपना ज़्यादातर समय गुजारते हैं, इन सभी जगहों पर मौजूद वस्तु और इन जगहों के निर्माण से हमारे जीवन में सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। वास्तु शास्त्र के मुताबिक चूंकि प्रत्येक दिशा पर किसी न किसी देवता का आधिपत्य है इसलिए इन दिशाओं में रखी जाने वाली वस्तु या किए जाने वाले निर्माण के नियम भी तय हैं अन्यथा इन दिशाओं के स्वामी आपसे रुष्ट होते हैं जिससे नकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है।
मुख्यतः लोग चार दिशाओं के बारे में ही जानते हैं। लेकिन इनके अलावे इन दिशाओं के बीच की दिशा को भी वास्तु में दिशाओं के तौर पर ही देखा जाता है। इसके अलावा पाताल लोक को भी एक दिशा माना जाता है। इस तरह वास्तु शास्त्र में कुल 09 दिशाएँ हुईं।
आइये अब आपको चार प्रमुख दिशाओं के बारे में जानकारी दे देते हैं।
वास्तु शास्त्र में चार दिशाओं का महत्व
उत्तर दिशा : उत्तर दिशा के स्वामी कुबेर को माना जाता है। यही वजह है कि घर की तिजोरी को उत्तर दिशा में रखने से धन में दिन दोगुनी और रात चौगुनी वृद्धि होती है। इसके अलावा आप उत्तर दिशा में दुकान भी खोल सकते हैं। क्रय-विक्रय से जुड़े कामों के लिए उत्तर दिशा बिल्कुल सही माना जाता है। यदि उत्तर दिशा बंद रहे तो उस घर में धन और शिक्षा की कमी देखि जाती है।
पूर्व दिशा : पूर्व दिशा को देवताओं का दिशा माना जाता है। यह दिशा बेहद ही पवित्र मानी जाती है। यही वजह है कि पूर्व दिशा में ही पूजा-पाठ करने से जातकों के घर में सुख, शांति व समृद्धि का आगमन होता है। शिक्षा हासिल करने के लिए भी यह दिशा सबसे उपयुक्त मानी जाती है।
दक्षिण दिशा : दक्षिण दिशा को मृत्यु के देवता यम की दिशा माना जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में इस दिशा को बंद रखने की सलाह दी जाती है। इस दिशा में किसी भी तरह की खिड़की या दरवाजे घर के सदस्यों को बीमार करते हैं। इस दिशा में कारख़ाना, आग व बिजली से संबन्धित कार्य किए जा सकते हैं।
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पश्चिम दिशा : वास्तु शास्त्र के मुताबिक पश्चिम दिशा पर वरु देवता का आधिपत्य है। ऐसे में यदि किसी घर में पश्चिम दिशा को बंद रखा जाता है तो उस जगह भय का माहौल रहता है। इसके अलावा घर में पश्चिम दिशा के बंद रहने पर अधिक व्यय और मानसिक तनाव जैसी समस्याओं से परिवार के सदस्यों को दो चार होना पड़ता है। इस दिशा में सुपर मार्केट व रसायन से जुड़े कारी किए जाएँ तो शुभ फल प्राप्त होता है।
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