छाया ग्रह राहु-केतु कितने खतरनाक? कुंडली में पीड़ित हों राहु-केतु तो जहन्नुम बन सकता है जीवन

विज्ञान की दृष्टि से देखें तो सौर मंडल में राहु और केतु का कोई अस्तित्व नहीं है किन्तु ज्योतिष शास्त्र में राहु-केतु ग्रहों का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। राहु-केतु को जन्म से ही वक्री ग्रह  माना जाता है क्योंकि ये दोनों ही ग्रह एक दूसरे से विपरीत दिशा में समान गति से गोचर करते हैं। शनि ग्रह के बाद राहु-केतु ही दो ऐसे ग्रह हैं जो एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करने के लिए लगभग 18 महीने का लंबा समय लेते हैं और इसलिए इन ग्रहों के गोचर को ज्योतिष शास्त्र में बहुत बड़ी घटना माना जाता है।

राहु-केतु को पापी और छाया ग्रह माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, राहु-केतु दोष के किसी कुंडली में मौजूद होने से जातक का जीवन मुसीबतों से घिरा रहता है। ऐसे में जातकों को जीवन में मुश्किलों और समस्याओं का सामना करना पड़ता है, इसलिए वैदिक ज्योतिष में इन ग्रहों के दुष्प्रभाव को काम करने के लिए उपाय बताए गए हैं। 

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ग्रहों का हमारे जीवन और व्यक्तित्व पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है, एक जातक अपने जीवन में क्या करेगा, कैसे जीवनयापन करेगा, उसे जीवन में किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है या फिर उसका जीवन कितना सकारात्मक-नकारात्मक रहेगा, ये सभी कुछ कुंडली में मौजूद ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है। कुंडली में उपस्थित ये सभी ग्रह अलग-अलग भावों में अपनी उच्च और नीच राशि के अनुसार एक जातक को शुभ-अशुभ दोनों ही प्रकार से प्रभावित करते हैं।

राहु-केतु प्रत्यक्ष ग्रह न होकर भी कुंडली पर बहुत व्यापक रूप से अपना प्रभाव रखते हैं। यदि यह दोनों ग्रह सूर्य अथवा चंद्रमा के साथ किसी जातक की कुंडली में विराजमान हों तो यह कुंडली में सूर्य ग्रहण दोष एवं चंद्र ग्रहण दोष का निर्माण भी करते हैं। हालांकि, मायावी ग्रह राहु-केतु हमेशा कुंडली में नकारात्मक प्रभाव नहीं रखते हैं, कभी-कभी जातकों के जीवन में इन ग्रहों के शुभ परिणाम भी देखे जाते हैं।

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राहु का नकारात्मक प्रभाव

राहु द्वारा बनाये गए दोषों के कारण ही जीवन में अचानक होने वाली घटनाएं घटित होती है, नींद में कमी, डरावने सपने आना, बार बार अचानक किसी भय के कारण नींद से उठ जाना आदि भी राहु के बुरे प्रभाव के कारण ही होता है। यही नहीं शरीर में अचानक अकड़न महसूस होना, आलस के लक्षण या जीवन में अत्याधिक तनाव भी राहु के कुंडली में दुष्प्रभाव के कारण होता है।

राहु का सकारात्मक प्रभाव 

राहु ग्रह को हमेशा नकारात्मकता के साथ जोड़ा जाता है, किंतु कभी कभी कुंडली में बनी ग्रहों की स्थिति के हिसाब से यह ग्रह जातकों के जीवन में शुभ परिणाम भी देता है। कुंडली में अगर राहु अच्छी स्थिति में हो तो व्यक्ति जीवन में अपार धन अर्जित करता है। साथ ही ऐसे लोगों की कल्पना शक्ति बहुत तेज़ होती है, ऐसे जातक अक्सर साहित्यिक, दार्शनिक एवं विज्ञान में रुचि रखने वाले होते हैं। साथ ही राहु योग जातकों की कुंडली में होता है वह प्रशासनिक कार्यों जैसे की पुलिस आदि के क्षेत्र  में कार्यरत होते हैं।

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केतु का नकारात्मक प्रभाव

राहु की ही भांति केतु भी यदि किसी जातक की कुंडली में अशुभ भाव में हो तो नकारात्मक प्रभाव देता है जैसे नींद की समस्या, धनार्जन में समस्या, गृह-क्लेश, संतान से जुड़े कष्ट एवं जोड़ों में दर्द जैसी समस्या। यही नही ख़राब केतु के कारण चर्म रोग, रीढ़ की हड्डी कमज़ोर, घुटनों का दर्द आदि समस्याएं भी जातक के जीवन में बनी रहती है।

केतु का सकारात्मक प्रभाव

केतु एक प्रभाव का ग्रह है, यानी यह किसी भी जातक को स्वयं कोई स्वतंत्र परिणाम नहीं देता है और यह जीवन के सभी क्षेत्रों से जुड़ा हुआ होता है। केतु का शुभ भाव में होना व्यक्ति को पद-प्रतिष्ठा, मान-सम्मान एवं संतान सुख प्रदान करता है। केतु का शुभ प्रभाव आत्मविश्वास बढ़ता है और घर में सदैव समृद्धि बनाए  रखता है।

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बचाव के उपाय

  1. माँ दुर्गा की नियमित पूजा करने से राहु-केतु का दुष्प्रभाव कम होता है।
  2. यदि कोई जातक रोज़ाना माँ दुर्गा की पूजा न कर सके तो रविवार के दिन की गई पूजा जातकों को शुभ परिणाम देती है। 
  3. ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय मन्त्र का रोज़ाना 108 बार जाप करें।
  4. राहु बीज मन्त्र “ॐ रां राहवे नमः” का 108 बार जाप करें।
  5. केतु बीज मन्त्र “ॐ कें केतवे नमः” का 108 बार जाप करें।
  6. राहु और केतु के शुभ परिणाम के लिए काले रंग के वस्त्र धारण करके राहु के तांत्रिक मंत्र “ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:” और केतु की शांति के लिए केतु तांत्रिक मंत्र “ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम:” मंत्र का 18, 11 या 5 माला का जाप करने से जातकों के जीवन से कष्ट दूर होता है। इन दोनों मन्त्रों का जाप संध्याकाळ में किया जाना चाहिए।
  7. संतान सुख के लिए दो रंग वाले कुत्ते को नियमित रूप से रोटी खिलाएं।
  8. शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दिया जलाने से इन दोनों ग्रहों का  दोष कम होता है। 
  9. अगर किसी भी तरीके से आपकी कुंडली में चन्द्रमा राहु-केतु से पीड़ित है तो आप अपनी जेब में चांदी को किसी भी रूप में अपनी जेब में रखें। 
  10. पंचमुखी शिव के सामने रुद्राक्ष की माला से रोजाना ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करने से भी राहु-केतु दोष से मुक्ति मिलती है।

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