22 जून, सोमवार से गुप्त नवरात्रि की शुरुआत हो रही है, और 1 जुलाई 2020, बुधवार को इसकी समाप्ति होगी। इस नवरात्रि में विशेष प्रकार की इच्छापूर्ति और सिद्धि पाने के लिए पूजा एवं अनुष्ठान किए जाते हैं। तो यदि आप इस पूजा को और भी अधिक सफल बनाना चाहते हैं और जीवन में चल रही समस्याओं का समाधान चाहते हैं, तो हमारे अनुभवी ज्योतिषियों से बात करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
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गुप्त नवरात्रि को आख़िर गुप्त क्यों कहा जाता है, इसके पीछे के छिपे कारणों के बारे में बहुत कम ही लोगों को ही पता होगा। तो चलिए इस लेख में आपको देते हैं गुप्त नवरात्रि से जुड़ी हर एक छोटी से बड़ी जानकारी, जैसे क्यों मनाते है गुप्त नवरात्रि?, आम नवरात्रि से कैसे है ये अलग?, इस नवरात्रि में किन देवियों की पूजा की जाती है? क्या होती है इस नवरात्रि की पूजा विधि? कोरोना काल में बढ़ती परेशानियों से निजात पाने के लिए कैसे पाएं माँ दुर्गा का आशीर्वाद! यानि इस लेख को पढ़ने के बाद आपको गुप्त नवरात्रि से जुड़े अपने हर एक सवाल का जवाब आसानी से मिल जायेगा। –
साल में चार बार आती है नवरात्रि
हिन्दू माह के अनुसार पूरे एक साल में आदि शक्ति मां भगवती की पूजा-अर्चना के लिए चार नवरात्रि आती है, जिनमें दो गुप्त और दो उदय नवरात्रि होती हैं। चैत्र और अश्विन माह की नवरात्रि उदय नवरात्रि, बड़ी नवरात्रि या फिर प्रकट नवरात्रि कही जाती है, जबकि आषाढ़ और माघ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि या छोटी नवरात्रि के नाम से जानते हैं। गुप्त नवरात्रि खासतौर पर पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश आदि जगहों में मनाई जाती है। हालाँकि इस साल कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए आपको यह पूजा बेहद सावधानी से करनी होगी।
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क्यों मनाते हैं गुप्त नवरात्रि?
गुप्त नवरात्रि का पर्व तंत्र साधना के लिए महत्वपूर्ण माना गया है। ऐसा माना जाता है कि जब भगवान विष्णु शयनकाल की अवधि के बीच रहते हैं, तब देवताओं की शक्तियां कमजोर पड़ने लगती हैं और पृथ्वी पर वरुण, यम आदि का प्रकोप बढ़ने लग जाता है। इन विपदाओं से बचाने के लिए ही गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा की जाती है। इन दिनों में देवी दुर्गा की पूजा करने से बहुत लाभ भी मिलता है।
साधक चमत्कारी शक्तियों को पाने के लिए गुप्त नवरात्रि के दौरान गुप्त सिद्धियों को अंजाम देते हैं। लोग किसी खास मनोकामना की प्राप्ति के लिए तंत्र साधना और अनेक उपाय करते हुए देवी को प्रसन्न करने कोशिश करते हैं। इस दौरान दुर्गा सप्तशती पाठ, दुर्गा चालीसा और दुर्गा सहस्त्रनाम का पाठ करना काफी फलदायी माना गया है। गुप्त नवरात्रि न केवल चमत्कारी शक्तियों, बल्कि धन, संतान सुख और शत्रु से मुक्ति दिलाने में भी कारगर है।
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किन देवियों की करते हैं पूजा?
गुप्त नवरात्रि में प्रलय व् संहार के देवता कहे जाने वाले महादेव और मां काली की पूजा करने का विधान है। गुप्त नवरात्रि में निम्नलिखित 10 देवियों की पूजा की जाती है।
- माँ काली
- भुनेश्वरी माता
- त्रिपुर सुंदरी
- छिन्न माता
- बगलामुखी देवी
- कमला देवी
- त्रिपुर भैरवी माता
- तारादेवी
- धुमावती माँ
- मातंगी
गुप्त नवरात्रि का महत्व
भागवत पुराण के अनुसार साल में आने वाली 2 गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है। यह नवरात्रि विशेषतौर पर तांत्रिक कियाएं, शक्ति साधनाएं, महाकाल आदि से संबंध रखने वाले लोगों के लिए खास महत्व रखती है। इस नवरात्रि में देवी भगवती के भक्त कठिन नियमों का पालन करते हुए व्रत और साधना करते हैं। लोग इस दौरान लंबी साधना कर के दुर्लभ शक्तियों को प्राप्त करने की कोशिश करते हैं।
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ऐसे करें गुप्त नवरात्रि में देवी की पूजा
अन्य नवरात्रि की तरह ही गुप्त नवरात्रि में भी व्रत, पूजा-पाठ, उपवास किया जाता है। प्रतिपदा से नवमी तक उपवास रखा जाता है और सुबह-शाम पूजा की जाती है।
- गुप्त नवरात्रि में नौ दिनों के लिए आप कलश की स्थापना कर सकते हैं।
- यदि कलशस्थापना की हुई है, तो सुबह और शाम दोनों समय में अच्छे से स्नान करके साफ़ वस्त्र पहन लें।
- अब माता की फल, फूल, धुप, दीप आदि से विधिवत पूजा करें। ध्यान रहे कि माँ के लिए सबसे उत्तम है लाल रंग का फूल।
- भूलकर भी पूजा में मां को आक, मदार, दूब व् तुलसी न चढ़ाएं।
- इसके बाद माता की आरती करें। इस दौरान मंत्र जाप, चालीसा या सप्तशती का पाठ करना काफी फलदायी माना गया है।
- दोनों समय मां को भोग भी लगायें। यदि आप साधारण तरीके से पूजा कर रहे हैं, तो सबसे देवी के लिए उत्तम भोग है लौंग और बताशा।
- देवी के सामने एक बड़ा घी का एकमुखी दीपक हमेशा जलाकर रखें।
- विशेष इच्छापूर्ति के लिए गुप्त नवरात्रि में सुबह और शाम मां के “ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाय विच्चे” मंत्र का 108 बार जाप ज़रूर करें
- पूरे नौ दिन तक अपना खान पान सात्विक रखें।
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क्या अंतर है सामान्य और गुप्त नवरात्रि में?
हम सभी जानते हैं कि नवरात्रि बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाने वाला त्योहार है। सामान्य नवरात्रि में आमतौर पर सात्विक व् तांत्रिक दोनों पूजा की जाती है, लेकिन गुप्त नवरात्रि में ज्यादातर तांत्रिक पूजा ही की जाती है। इस नवरात्रि में ज्यादा प्रचार-प्रसार न कर के अपनी साधना को गोपनीय रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि में पूजा और मनोकामना को जितना ज्यादा गोपनीय रखा जाये, पूजा उतनी सफल उतनी सफल होती है।
गुप्त नवरात्रि की कथा
गुप्त नवरात्रि से जुड़ी एक कथा बेहद प्रामाणिक एवं प्राचीन है। इस कथा के अनुसार एक बार ऋषि श्रृंगी भक्तजनों से मिल कर उनकी पीड़ा सुन रहे और दर्शन दे रहे थे। तभी अचानक भीड़ से एक महिला आई और उसने ऋषि श्रृंगी से कहा कि मेरे पति हमेशा दुर्व्यसनों से घिरे रहते हैं और वे मांसाहारी और जुआरी है, जिसके चलते मैं कोई भी पूजा-पाठ नहीं कर पाती हूँ। लेकिन मैं देवी दुर्गा की पूजा-भक्ति कर अपने और परिवार के जीवन में ख़ुशियाँ लाना चाहती हूं।
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महिला के भक्तिभाव से ऋषि श्रृंगी बेहद प्रभावित हुए और उसे उपाय बताते हुए कहा कि वसंत और शारदीय नवरात्रि के विषय में सभी जानते हैं, लेकिन इसके अलावा 2 नवरात्रि और भी होते हैं, जिन्हें ‘गुप्त नवरात्रि’ कहा जाता है। प्रकट नवरात्रों में देवी के 9 रूपों की उपासना होती है, लेकिन गुप्त नवरात्रों में 10 महाविद्याओं की साधना करते है। यदि कोई भी भक्त गुप्त नवरात्रि में माता दुर्गा की पूजा-साधना करे, तो मां उसके जीवन को सफल बना देती हैं।
ऋषि श्रृंगी ने कहा कि यदि लोभी, मांसाहारी और पूजा-पाठ न कर सकने वाला भी गुप्त नवरात्रों में माँ की आराधना करे, तो उसे जीवन में खुशहाली आती है और विशेष मनोकामना पूरी होती है। लेकिन ध्यान रहे इस दौरान की जाने वाली पूजा का ज़्यादा प्रचार-प्रसार न हो। ऋषि श्रृंगी की बात सुन स्त्री बहुत प्रसन्न हुई और उनके कथन अनुसार पूरी श्रद्धा भाव से गुप्त नवरात्रि की पूजा की।
आशा करते हैं गुप्त नवरात्रि के बारे में हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आयी होगी।
हमारे सभी पाठकों को गुप्त नवरात्रि की ढ़ेर सारी शुभकामनाएं।