शक्ति की देवी माँ दुर्गा की उपासना का पर्व “नवरात्रि” 29 सितंबर, 2019 से प्रारम्भ हो रहा है। हिन्दू धर्म में नवरात्रि आनंद, उत्साह व परंपरा के साथ मनाया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि के नौ दिनों तक माँ दुर्गा धरती पर वास करती है। इसलिए लोग पूरी श्रद्धा के साथ इन नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा, उपवास और अनुष्ठान आदि करते हैं। नवरात्र के दौरान पूरा वातावरण भक्तिमय हो जाता है। हर जगह भजन, जागरण आदि होते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन 9 दिनों में व्रत रखने से माता दुर्गा की विशेष कृपा से जीवन में खुशियों का आगमन होता है और सभी परेशानियां दूर हो जाती है। लेकिन क्या आपको पता है कि नवरात्रि में उपवास रखने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी छुपे हैं। अगर नहीं पता तो चलिए आज अपने इस लेख में आपको नवरात्रि उपवास के पीछे का वैज्ञानिक कारण बताते हैं।
डिटॉक्सीफिकेशन (विषहरण)
डिटॉक्सीफिकेशन का मतलब होता है विषहरण। नवरात्रि में व्रत रखने से शरीर से डिटॉक्सीफिकेशन यानी कि विषाक्त बाहर निकल जाते हैं। नवरात्रि का त्यौहार वर्ष में दो बार मनाया जाता है। पहला चैत्र नवरात्रि जो गर्मियों की शुरुआत में आता है और दूसरा शारदीय नवरात्रि जो सर्दियों की शुरुआत में आता है। दोनों ही नवरात्रि मौसम परिवर्तन के समय में होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार इस समय माँस, अनाज, शराब, प्याज़ और लहसुन जैसी चीज़ों को खाने से बचना चाहिए। विज्ञान की माने तो इस मौसम में व्यक्ति के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, और उसके बीमार होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए इस दौरान उपवास रखना मन और आत्मा के साथ ही शरीर को भी मज़बूती प्रदान करता है।
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माइंडफुलनेस (सचेतन)
माइंडफुलनेस का मतलब होता है सचेतन। आजकल के इस भागदौड़ वाले समय में आत्मसुरक्षा बहुत जरूरी होती है, इसलिए नवरात्रि में उपवास रखने से शरीर को बहुत आराम मिलता है। इससे पाचन तंत्र को तो आराम मिलता ही है साथ ही साथ इंसान खुद के भीतर की दिव्यता से भी जुड़ पाता है। उपवास के समय मन में भक्ति का भाव होता है और वह झूठ बोलने, चुगली करने व ईष्या आदि करने से बचता है, जिससे उसके अंदर नेगेटिविटी यानि नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नही होता है।
सेल्फडिसिप्लीन (आत्म अनुशासन)
सेल्फडिसिप्लीन का मतलब होता है आत्म अनुशासन। किसी भी मनुष्य के जीवन में आत्म अनुशासन बहुत ही जरूरी होता है। उपवास के दौरान लोगों की यह धारणा होती है कि हर काम समय पर होना चाहिए। नवरात्रि व्रत के दौरान काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, भय, ईर्ष्या और नफरत जैसी आदतों से लोग बचते हैं, और इस कारण उन्हें छोटी-छोटी बातों का तनाव नहीं होता। मानसिक स्थिति इस समय काफी मजबूत होने की वजह से डिप्रेशन, माइग्रेन, हृदय रोग जैसी बीमारियों के होने की संभावना बेहद कम हो जाती है।
हेल्थ बेनीफिट(स्वास्थ्य लाभ)
हेल्थ बेनीफिट का अर्थ होता है स्वास्थ्य लाभ। नवरात्रि उपवास करने से व्यक्ति को बहुत से हेल्थ बेनीफिट्स होते हैं। लोगों में यह अवधारणा है कि उपवास का मतलब होता है, भूखा रहना जबकि उपवास में सिर्फ तामसी भोजन करना वर्जित होता है। इस दौरान आहार आदि पर काफी कंट्रोल होता है और शरीर में कैलोरी की मात्रा ज्यादा नहीं जाती है, जिससे अपच आदि की शिकायते दूर होती हैं, और व्यक्ति का पांचन तंत्र मजबूत हो जाता है। अच्छे आहार की वजह से नवरात्रि के उपवास के नौ दिनों में शरीर फिट हो जाता है।
तो उम्मीद है कि इस लेख में नवरात्रि उपवास के पीछे जुड़े वैज्ञानिक कारण की दी गयी जानकारी आपकी पसंद आयी होगी। एस्ट्रोसेज से जुड़े रहने के लिए आपका धन्यवाद !
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