अयोध्या में राम जन्मभूमि के अलावा ये तीर्थ स्थल भी हैं बेहद ख़ास

अयोध्या राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद के विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दोनों पक्षकारों की सुनवाई ख़त्म हो चुकी है। अब इंतज़ार है तो बस फैसले का। देश की सर्वोच्च अदालत अगले माह इस विवादित मामले में अपना फैसला सुनाएगी। आज हम इस ख़बर के माध्यम से अयोध्या में स्थित राम जन्मभूमि के अलावा अन्य तीर्थ स्थलों के बारे में जानेंगे, जहाँ पर श्रद्धालुओं की तांता लगा रहता है। 

अयोध्या भगवान राम के जन्म स्थान के रूप में प्रसिद्ध है। यह महत्वपूर्ण तीर्थ केंद्र लखनऊ से लगभग 134 किलोमीटर दूर है। यहाँ सरयू के घाटों पर गहरे आध्यात्मिक अनुभव की प्राप्ति होती है। अयोध्या अवध के नवाब सआदत खान द्वारा स्थापित किया गया था और बाद में नवाब शुजा-उद्दीन-दौला ने इसे अवध की राजधानी बनाया था। अयोध्या में अन्य धार्मिक स्थल कुछ इस प्रकार हैं…

रामकोट

अयोध्या शहर के पश्चिमी हिस्से में स्थित रामकोट, अयोध्या में पूजा का प्रमुख स्थान है। यहां भारत और विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं का साल भर आना-जाना लगा रहता है। हिन्दू माह चैत्र या मार्च-अप्रैल में मनाया जाने वाला रामनवमी पर्व यहां बड़े जोश और धूमधाम से मनाया जाता है।

कनक भवन

हनुमान गढ़ी के निकट स्थित कनक भवन अयोध्या का एक महत्वपूर्ण मंदिर है। यह मंदिर सीता और राम के सोने के मुकुट पहने प्रतिमाओं के लिए लोकप्रिय है। इसी कारण इस मंदिर को सोने का घर भी कहा जाता है। यह मंदिर टीकमगढ़ की रानी ने 1891 में बनवाया था। मुख्य मंदिर आतंरिक क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें रामजी का भव्य मंदिर स्थित है। यहां भगवान राम और उनके तीन भाइयों के साथ देवी सीता की सुंदर मूर्तियां स्थापित हैं। 

हनुमान गढ़ी

नगर के केन्द्र में स्थित इस मंदिर तक 76 कदमों की चाल में पहुंचा जा सकता है। कहा जाता है कि हनुमान यहां एक गुफा में रहते थे और राम जन्मभूमि एवं रामकोट की रक्षा करते थे। मुख्य मंदिर में बाल हनुमान के साथ अंजनि की प्रतिमा है। श्रद्धालुओं का मानना है कि इस मंदिर में आने से उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

जानें हनुमान चालीसा की कैसे हुई थी रचना

मणि पर्वत

यह मंदिर एक किले के रूप में निर्मित है। यह अयोध्या के सबसे लोकप्रिय स्थलों में शामिल है।

65 फीट ऊंचे इस मणि पर्वत के विषय में मान्यता है कि हनुमान भगवान राम के भाई लक्ष्मण के लंका में मूर्छित होने पर इस पर्वत से संजीवनी बूटी लेकर आए थे। कुछ विद्वानों का यह भी मानना है कि यहीं से बौद्ध धर्म का उद्गम हुआ था।

नागेश्वर नाथ मंदिर

कहा जाता है कि नागेश्वर नाथ मंदिर को भगवान राम के पुत्र कुश ने बनवाया था। माना जाता है जब कुश सरयू नदी में नहा रहे थे, तो उनका बाजूबंद खो गया था। बाजूबंद एक नाग कन्या को मिला जिसे कुश से प्रेम हो गया। वह शिवभक्त थी। कुश ने उसके लिए यह मंदिर बनवाया था। कहा जाता है कि यही एकमात्र मंदिर है जो विक्रमादित्य के काल में सुरक्षित रहा, जबकि बाकी शहर खंडहर में तब्दील हो चुका था। शिवरात्रि पर्व यहां बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

तुलसी स्मारक

तुलसी स्मारक भवन महान संत-कवि गोस्वामी तुलसीदास जी को समर्पित है। नियमित रूप से यहां प्रार्थना, भक्ति संगीत और धार्मिक प्रवचन आयोजित होते हैं। परिसर में स्थित अयोध्या शोध संस्थान के पास गोस्वामी तुलसीदास पर साहित्यिक रचनाओं का एक बड़ा भंडार है। संस्थान द्वारा तुलसी स्मारक सभागार में शाम को 6 से 9 बजे तक रामलीला का मंचन प्रमुख आकर्षण है।

राम की पैड़ी

उत्तर प्रदेश की प्रमुख नदियों में से एक, सरयू नदी का उल्लेख हिन्दू ग्रंथों, वेद और रामायण में मिलता है। यह अयोध्या से बहती है और यहां की समस्त अशुद्धियों को नष्ट कर नया जीवन देती है। राम की पैड़ी सरयू नदी के किनारे है, जहां घाट और बगीचों की श्रृंखला भी है। यहां विभिन्न धार्मिक अवसरों पर भक्त पवित्र स्नान करते हैं।