मार्च का महीना यूं तो मुख्य रूप से तीज त्योहारों और व्रत आदि के लिए जाना जाता है लेकिन, इसी मार्च के महीने में खरमास भी लगता है। खरमास हिंदू धर्म और मान्यताओं के तर्ज पर काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। खरमास का समय वो समय होता है जब किसी भी तरह का कोई शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है।
इसके अलावा खरमास के इस समय काल का धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्व जोड़कर देखा जाता है। जानकार मानते हैं कि, खरमास की इस समय अवधि के दौरान यदि व्यक्ति पूजा, पाठ इत्यादि में ध्यान लगाए तो उसे सभी परेशानियों और कष्ट से छुटकारा मिल जाता है। तो आइए इस लेख के माध्यम से जानने की कोशिश करते हैं कि एक साल में आखिर कितनी बार और कब-कब खरमास लगता है? इसका क्या अर्थ होता है? और आखिर इस दौरान किसी भी तरह का शुभ और मांगलिक कार्य क्यों वर्जित माना गया है?
इस वर्ष कब शुरू हो रहा है खरमास?
इस सवाल का सीधा जवाब यह है कि, 14 मार्च 2021 रविवार के दिन खरमास प्रारंभ हो रहा है। यह वही दिन है जब सूर्य कुंभ राशि से मीन राशि में गोचर कर जाएगा। इसी दौरान खरमास प्रारंभ हो जाएगा। इसके बाद जब सूर्य मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करेगा यानी कि 1 महीने बाद 14 अप्रैल को तब खरमास समाप्त हो जायेगा।
अब बात करें खरमास एक साल में कितनी बार लगता है? तो इसका जवाब है एक वर्ष में खरमास दो बार लगता है। एक बार तब जब, सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं और दूसरा जब सूर्य मीन राशि में प्रवेश करते हैं।
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खरमास का अर्थ
ज्योतिष के अनुसार सूर्य ग्रह जब धनु और मीन राशि में प्रवेश करते हैं तब खरमास लगता है। इसके पीछे की वजह यह है कि, सूर्य की वजह से बृहस्पति निस्तेज हो जाते हैं और यही वजह है कि, खरमास की अवधि के दौरान कोई भी शुभ कार्य या मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। क्योंकि शुभ और मांगलिक कार्य को करने में बृहस्पति की मौजूदगी बेहद आवश्यक होती है।
शादी विवाह, मुंडन और गृह प्रवेश के अलावा खरमास के दौरान कोई भी नया काम भी करने से लोग अक्सर बचते हैं।
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खरमास के दौरान आखिर क्या करें
जैसा कि, हमने हमने पहले भी बताया कि, खरमास यानी इस एक महीने की अवधि के दौरान किसी भी तरह का शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित होता है। ऐसे में सवाल उठता है कि, इस समय अवधि के दौरान आखिर किया जाए? तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, खरमास के दौरान पूजा-पाठ, दान, पुण्य, बेहद फलदाई माना गया है।
कहा जाता है कि, इस दौरान यदि अपनी यथाशक्ति और श्रद्धा के साथ कोई भी व्यक्ति दान पुण्य और पूजा पाठ करता है तो उससे इसका कई गुना फल प्राप्त होता है। इसके अलावा हर माह की अवधि में सूर्य देवता और भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान बताया गया है। कहा जाता है इन दोनों देवताओं के प्रसन्न होने पर व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि आती है और जीवन में माँ लक्ष्मी का वास होता है।
आप चाहे तो खरमास की अवधि के दौरान जरूरतमंदों को अपनी यथाशक्ति के अनुसार दान पुण्य आदि कर सकते हैं। ऐसा करने से यदि आपकी कुंडली में कोई अशुभ ग्रह मौजूद है तो उसके दुष्प्रभाव कम और खत्म होने लगते हैं। इसके अलावा खरमास के दौरान जप तप आदि करना भी काफी फलदाई साबित होता है। इस दौरान आप अपने इष्ट देवता को प्रसन्न करने के लिए ध्यान पूजा व्रत उपवास मंत्र जाप आदि कर सकते हैं।
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खरमास से जुड़ी पौराणिक कथा
संस्कृत में खर शब्द का अर्थ होता है गधा। पौराणिक कथा के अनुसार बताया जाता है कि, एक बार सूर्य देवता अपने सात घोड़े के रथ पर सवार होकर पूरे ब्रह्मांड के चक्कर काट रहे थे। हालांकि इस दौरान उन्हें कहीं भी रुकने की इजाजत नहीं थी क्योंकि, अगर वह कहीं भी रुक जाते तो पूरा जनजीवन ही ठप हो सकता था। ऐसे में वह अपने घोड़ों के साथ लगातार चल रहे थे। लेकिन कुछ समय बाद ही उनके घोड़े थक गए और भूख प्यास से व्याकुल हो गए।
ऐसे में अपने घोड़ों की ऐसी दुर्दशा देखकर सूर्य देवता उन्हें एक तालाब के किनारे ले गए। तालाब के पास सूर्य देवता को दो गधे यानी खर नज़र आये। इसके बाद सूर्य देवता ने उन दोनों को अपने रथ में जोड़ लिया और अपने घोड़ों को आराम करने के लिए वहीं छोड़ दिया।
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जब रथ में गधों को जोड़ा गया तो रथ की गति काफी धीमी हो गई लेकिन जैसे तैसे करके एक मास का चक्र पूरा हुआ और इस दौरान सूर्य देवता के घोड़ों ने आराम से विश्राम और खाना पानी कर लिया। कहा जाता है कि, एक महीना पूरा होने के बाद सूर्य देव ने दोबारा अपने घोड़ों को रथ में लगा लिया और अब यही क्रम पूरे साल भर चलता रहता है और इसी समय को खरमास कहा जाता है।
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