कष्टभंजन हनुमान मंदिर : जहां हनुमान जी के चरणों में शनि स्त्री रूप में विराजमान हैं

कष्टभंजक का अर्थ होता है कष्टों यानी कि दुख, पीड़ा इत्यादि का नाश करने वाला। इस नाम को असल रूप में चरितार्थ करता है कष्टभंजन हनुमान मंदिर। इस मंदिर में भगवान हनुमान किसी राजा-महाराजा की तरह विराजमान हैं और इस मंदिर की भव्यता किसी राजमहल से कम नहीं है। ऐसे में आज हम आपको इस लेख में कष्टभंजन हनुमान मंदिर के बारे में सारी जानकारी देंगे और बताएंगे कि इस मंदिर में क्या खास है।

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कष्टभंजन हनुमान मंदिर

गुजरात के अहमदाबाद से जब आप भावनगर के लिए जाएंगे तब लगभग 175 किलोमीटर का रास्ता तय करने पर आपको मिलेगा कष्टभंजन हनुमान मंदिर। इस मंदिर में भगवान हनुमान बेहद ही दिव्य और भव्य रूप में विराजमान हैं। उनके सिर पर महंगे हीरे जवाहरात जड़ित मुकुट है। बगल में ही सोने का गदा है और पीछे वानरों की सेना खड़ी है। हनुमान जी यहां जिस सिंहासन पर विराजमान हैं वह 45 किलो स्वर्ण और 95 किलो चांदी से निर्मित है। ये सिंहासन अपने आप में ही इस मंदिर की भव्यता को बताने के लिए काफी है।

कष्टभंजन हनुमान मंदिर में मौजूद भगवान हनुमान की प्रतिमा स्वयंभू और अत्यंत प्राचीन बताई जाती है। मान्यता है कि इस मंदिर में जो भी भक्त पवनपुत्र के दर्शन करने आता है, भगवान हनुमान उसके सारे कष्टों का नाश कर देते हैं। खास कर के शनि के प्रकोप से पीड़ित जातकों को तो एक बार जरूर कष्टभंजक हनुमान मंदिर जाना चाहिए। मंदिर के स्थापना को लेकर कहा जाता है कि लगभग 200 साल पहले भगवान स्वामी नारायण यहां हनुमान जी की भक्ति में इतने लीन हो गए कि उन्हें हनुमान जी के इस दिव्य रूप के दर्शन हुए थे। बाद में उनके भक्त गोपालानंद स्वामी ने यहां इस प्रतिमा को स्थापित करवाया। मान्यता है कि उन्हें भी स्वप्न में हनुमान जी के दर्शन हुए थे।

मंदिर की खास बात यहां मौजूद हनुमान जी की प्रतिमा भी है। यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां शनि देवता स्त्री के रूप में हनुमान जी के चरणों में विराजमान हैं। भगवान शनि के यहां स्त्री रूप में मौजूद होने के पीछे एक कथा भी बताई जाती है। आइये जानते हैं क्या है वो कथा।

भगवान शनि का स्त्री रूप

कहते हैं कि बहुत पहले इस इलाके पर शनि देवता का आधिपत्य था और उनकी कुदृष्टि से इस इलाके के लोग त्राहि त्राहि कर रहे थे। ऐसे में इन सभी लोगों ने हनुमान जी को याद किया और उनसे शनि देवता की शिकायत की। 

भक्तों का कष्ट देखकर हनुमान जी इतने क्रोधित हो गए कि उन्होंने शनि देवता को मारने का निश्चय कर लिया। यह जानकर शनि देवता चिंता में पड़ गए। कोई और उपाय न नज़र आने की स्थिति में शनि देवता ने स्त्री का रूप धारण कर लिया। चूंकि हनुमान जी ब्रह्मचारी थे ऐसे में शनि देवता इस बात को जानते थे कि चाहे कुछ भी हो जाये लेकिन हनुमान जी किसी स्त्री पर हाथ नहीं उठाएंगे। शनि देवता की यह युक्ति कामयाब हो गयी और हनुमान जी ने उनके प्राण बख्श दिये लेकिन शनि देवता को सजा देने के लिए अपने पैरों से दबा दिया। 

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हनुमान जी और शनि देवता का यही रूप अब कष्टभंजन हनुमान मंदिर में प्रतिमा के रूप में स्थापित है। चूंकि भगवान हनुमान के इसी रूप ने समस्त इलाके को शनि देवता के प्रकोप से मुक्त कराया था इसलिए ऐसी मान्यता है कि किसी भी जातक द्वारा हनुमान जी के इस रूप के दर्शन करने से शनि के प्रकोप से शांति मिलती है।

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