12 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा का त्यौहार पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। हिंदू मान्यता के अनुसार आज के दिन दान-पुण्य और स्नान का काफी ज़्यादा महत्व बताया गया है। अपनी कुंडली में मौजूद किसी भी दोष के निवारण की चाह रखने वाले व्यक्ति भी अगर आज के दिन पूरी निष्ठा के साथ पूजा-पाठ करते हैं तो भगवान उनकी सभी समस्या दूर कर देते हैं। इतनी ही नहीं एक मान्यता के अनुसार तो यहाँ तक कहा जाता है कि अगर आज के दिन कोई भी संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाला दंपत्ति गठजोड़ स्नान करता है तो भगवान उन्हें भी संतान का सुख अवश्य देते हैं।
क्या है गठजोड़ स्नान?
कार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके भगवान विष्णु के सामने दीपक जलाने से कार्तिक स्नान का
पुण्य प्राप्त होता है। यूँ तो इस दिन देश के कोने-कोने में मेला लगता है लेकिन यहां सबसे अलग और अनोखा माना जाता है बिहार के दरभंगा जिले में आयोजित होने वाला एक ऐसा मेला जहाँ संतान प्राप्ति के लिए पति-पत्नी साथ में नदी में स्नान करते हैं। ये अनोखा मेला कमला नदी के तट पर लगता है इसे जीवछ घाट का मेला के नाम से जानते हैं. दरभंगा रेलवे स्टेशन से तकरीबन 13 किलोमीटर दूर सकरी मार्ग पर कमला नदी का ये घाट पड़ता है।
इस घाट पर आयोजित मेले की ख़ासियत और मान्यता है कि जो भी पति-पत्नी साथ में गठबंधन कर के इस नदी में डुबकी लगाते हैं उनके संतान के जीवन में ख़ुशियाँ आती हैं और निःसंतान पति-पत्नी को संतान सुख भी मिलता है। इसके अलावा इस मेले में वो दंपत्ति भी आते हैं जिनकी संतान अल्पायु में ही मृत्यु को प्राप्त हो जाती हैं. कहा जाता है कि जो पति-पत्नी जीवछ घाट पर साथ में डुबकी लगाते हैं उनकी संतान की फिर अल्पायु में मृत्यु नहीं होती। हालाँकि इस नदी और इस घाट के साथ ये मान्यताएं कब और कैसे जुड़ी इसका कोई ठोस सबूत नहीं है।
इस नदी में स्नान के लिए नेपाल से भी आते हैं लोग
लोगों के बीच कमला नदी और जीवछ घाट को लेकर जो मान्यताएं हैं उस पर लोगों को विश्वास इस कदर है कि सिर्फ बिहार से ही नहीं बल्कि नेपाल तक से लोग यहाँ कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान के लिए आते हैं। उनका विश्वास है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन कमला मैय्या से मांगी गयी हर मुराद ज़रूर पूरी होती है।
इस मेले की ख़ास बात ये भी है कि यहाँ सिर्फ वही लोग नहीं आते हैं जिन्हे भगवान से मुरादें मांगनी होती है, यहाँ वो लोग भी भारी संख्या में आते हैं जिनकी मुराद कमला मैय्या के आशीर्वाद से पूरी हो जाती है। निःसंतान दंपत्ति जिन्हे संतान प्राप्ति हो चुकी होती है वो भी इस मेले में आकर अपने बच्चों का मुंडन करवाते हैं और कमला मैय्या को धन्यवाद देते हैं।