कन्या संक्रांति ग्रहों के जनक “सूर्य देव” को समर्पित होती है और यह दिन इनकी पूजा-पाठ करने के लिए श्रेष्ठ होता है। हालांकि, सनातन धर्म में संक्रांति के दिन को बहुत पुण्यकारी माना जाता है और इस तिथि पर दान, धर्म, स्नान और पितृ तर्पण आदि कार्य किये जाते हैं। एक वर्ष में आने वाली सभी संक्रांति तिथियों पर दान-पुण्य शुभ माना गया है और इन्हीं में से एक है कन्या संक्रांति। भारतीय हिंदू कैलेंडर के अनुसार, कन्या संक्रांति को आमतौर पर हिन्दू वर्ष का छठा माह शुरू होने पर मनाया जाता है। यह दिन धार्मिक एवं ज्योतिषीय दृष्टि से बहुत ख़ास होता है और शास्त्रों में कन्या संक्रांति को एक पर्व के रूप में मनाया जाता है।
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जैसे कि हम सभी जानते हैं कि हिंदू धर्म में जहां सूर्य को देवता स्वरूप में पूजा जाता है, तो वहीं, ज्योतिष में इन्हें नवग्रहों के राजा कहा जाता है। ऐसे में, सूर्य ग्रह के राशि परिवर्तन को एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में देखा जाता है जो अब जल्द ही कन्या राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं। एस्ट्रोसेज का यह विशेष ब्लॉग आपको कन्या संक्रांति 2024 से संबंधित समस्त जानकारी प्रदान करेगा जैसे कि तिथि, मुहूर्त और समय आदि। सिर्फ इतना ही नहीं, आपको अवगत करवाएंगे कि क्यों मनाई जाती है कन्या संक्रांति, क्या है इसका महत्व और किन कार्यों को इस दिन करना चाहिए। साथ ही बताएंगे, कन्या संक्रांति के दिन सूर्य देव का आशीर्वाद पाने के लिए किन उपायों को करना चाहिए। तो आइए शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की और जानते हैं सबसे पहले कन्या संक्रांति 2024 की तिथि एवं मुहूर्त।
कन्या संक्रांति 2024: तिथि और मुहूर्त
सूर्य देव पूरे संसार को अपने प्रकाश से जीवन देते हैं और यह एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनके दर्शन मनुष्य साक्षात कर सकता है इसलिए इनकी चाल-दशा में होने वाला बदलाव महत्वपूर्ण होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य देव वर्तमान समय में अपनी स्वयं की राशि सिंह में उपस्थित हैं और इसके बाद, यह बुध ग्रह की राशि कन्या में 16 सितंबर की शाम 07 बजकर 29 मिनट पर प्रवेश कर जाएंगे। सूर्य ग्रह अपने गोचरकाल में 26 सितंबर को हस्त नक्षत्र में और 10 अक्टूबर को चित्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। इसके पश्चात, 17 अक्टूबर की सुबह 07 बजकर 27 मिनट पर सूर्य देव तुला राशि में चले जाएंगे। चलिए अब आएगी बढ़ते हैं और नज़र डालते हैं कन्या संक्रांति के पूजा मुहूर्त पर।
कन्या संक्रांति पर सूर्य पूजा का शुभ मुहूर्त
कन्या संक्रांति की तिथि: 16 सितंबर 2024, सोमवार
कन्या संक्रांति का पुण्यकाल: दोपहर 12 बजकर 15 मिनट से शाम 06 बजकर 25 मिनट तक
अवधि: 06 घंटे 10 मिनट
कन्या संक्रांति का महापुण्य काल: शाम 04 बजकर 22 मिनट से शाम 06 बजकर 25 मिनट तक
अवधि: 02 घंटे 03 मिनट
कन्या संक्रांति का क्षण: शाम 07 बजकर 53 मिनट पर।
नोट: कन्या संक्रांति पर आप पुण्यकाल और महापुण्य काल के दौरान दान-पुण्य कर सकते हैं।
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कन्या संक्रांति पर बन रहा है ये शुभ योग
साल 2024 की कन्या संक्रांति बेहद खास होगी क्योंकि इस दिन अत्यंत शुभ सुकर्मा योग का निर्माण होने जा रहा है। इस योग की समाप्ति 16 सितंबर 2024 की सुबह 11 बजकर 41 मिनट पर होगी और वहीं, शाम को रवि योग बन रहा है। साथ ही, कन्या संक्रांति पर बहुत शुभ शिववास योग भी निर्मित होने जा रहा है और ऐसे में, इस तिथि पर भगवान शिव अपने वाहन नंदी पर दोपहर 03 बजकर 10 मिनट तक विराजमान रहेंगे।
क्या है सूर्य का संक्रांति तिथि से संबंध?
कन्या संक्रांति के धार्मिक महत्व को जानने से पहले आपको बता दें कि ज्योतिष शास्त्र में सूर्य देव को अपना राशि चक्र पूरा करने में एक वर्ष का समय लगता है। सामान्य शब्दों में कहें, तो भगवान सूर्य हर माह अपनी राशि बदलते हैं और इसके फलस्वरूप, वह मेष से लेकर मीन राशि तक, सभी राशियों में बारी-बारी से गोचर करते हैं और इनके गोचर को ही संक्रांति कहा जाता है। सूर्य ग्रह जब-जब जिस राशि में गोचर करते हैं, उस संक्रांति को राशि के नाम से जाना जाता है जैसे कि मेष संक्रांति, वृषभ संक्रांति या मकर संक्रांति।
ज्योतिष में सूर्य देव का महत्व
कन्या संक्रांति का पर्व भगवान सूर्य को समर्पित होता है। नवग्रहों के जनक कहे जाने वाले सूर्य को राशि चक्र में सिंह राशि का स्वामित्व प्राप्त है। यम देव, शनि देव और यमुना भगवान सूर्य की संताने हैं और यह हनुमान जी के गुरु हैं। बजरंगबली ने सूर्य देव से ही सभी वेदों का ज्ञान प्राप्त किया था। बता दें कि सूर्य महाराज को पंचदेवों में से एक स्थान हासिल हैं और इसमें श्री गणेश, भगवान शिव, श्रीहरि विष्णु,देवी दुर्गा और सूर्य देव शामिल हैं।
कन्या संक्रांति का धार्मिक महत्व
सूर्य देव का राशि परिवर्तन प्रत्येक माह होता है इसलिए एक वर्ष में आने वाली सभी 12 संक्रांति तिथियों का अपना धार्मिक महत्व होता है। हिंदू धर्म में संक्रांति को बहुत पुण्यकारी एवं कल्याणकारी माना जाता है। यह दिन दान, धर्म, स्नान और पितृ तर्पण के लिए उत्तम होता है। मान्यता है कि कन्या संक्रांति से हिंदू कैलेंडर के छठे महीने का आरंभ हो जाता है। साथ ही, कन्या संक्रांति के दिन भगवान विश्वकर्मा की भी पूजा की जाती है क्योंकि इस दिन इनकी जयंती मनाई जाती है। सूर्य महाराज इस तिथि पर सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में गोचर कर जाते हैं इसलिए इसे कन्या संक्रांति कहा जाता है। आइए अब हम आपको रूबरू करवाते हैं कन्या संक्रांति के दिन किये जाने वाले धार्मिक अनुष्ठानों के महत्व से।
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कन्या संक्रांति पर किये जाने वाले अनुष्ठानों का धार्मिक महत्व
सूर्य उपासना से मिलेगी भगवान सूर्य की कृपा
प्रत्येक संक्रांति की तरह कन्या संक्रांति पर सूर्य देव की पूजा-अर्चना की जाती है जो सृष्टि के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस अवसर पर सूर्य देव की कृपा पाने के लिए विशेष पूजा आयोजित की जाती है और ऐसा करने से जातक को आरोग्यता, वैभव और सफलता का आशीर्वाद मिलता है।
कन्या संक्रांति पर करें विश्वकर्मा पूजा
कन्या संक्रांति को देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है इसलिए इस दिन बंगाल और उड़ीसा के औद्योगिक शहरों में विशेष तौर पर विश्वकर्मा पूजा की जाती है। कन्या संक्रांति पर भगवान विश्वकर्मा की पूजा से भक्तों को उत्कृष्टता और अच्छी गुणवत्ता के साथ काम करने का आशीर्वाद मिलता हैं। इस अवसर पर विश्वकर्मा पूजा के लिए महाराष्ट्र, बिहार और गुजरात समेत भारत के अन्य हिस्सों में भगवान विश्वकर्मा के मंदिरों को सजाया जाता है।
सूर्य भगवान को अर्घ्य
कन्या संक्रांति पर किये जाने वाले धार्मिक कार्यों में सबसे शुभ एवं महत्वपूर्ण सूर्य देव को अर्घ्य देना है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद तांबे के लोटे से ‘ऊँ सूर्याय नम:’ मंत्र का जाप करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए।
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पितृ शांति एवं तर्पण
कन्या संक्रांति पितरों के तर्पण एवं शांति कर्म करने के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है और इस दिन पिंडदान या पितृ तर्पण करने से जातक को पितरों की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही, इस तिथि पर पितरों की आत्मा की शांति कराने से सभी तरह के कष्ट एवं संकट दूर होते हैं।
स्नान का महत्व
सूर्य देव को समर्पित कन्या संक्रांति को धार्मिक दृष्टि से विशेष माना जाता है। यह दिन दान-स्नान के लिए सर्वोत्तम होता है इसलिए कन्या संक्रांति पर आत्मा की शुद्धि और शरीर को पापों से मुक्ति दिलाने के लिए व्यक्ति को पवित्र नदियों के जल में स्नान करना चाहिए। अगर नदी में स्नान करना संभव न हो, तो नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
दान का महत्व
प्रत्येक संक्रांति के दिन दान-पुण्य करना शुभ रहता है इसलिए इस तिथि पर अनेक प्रकार के दान-पुण्य किए जाते हैं। कन्या संक्रांति पर गरीबों को अपने सामर्थ्य के अनुसार दान करना चाहिए। मान्यता के अनुसार, इस दिन जरूरतमंदों को दान देने से जातक के जीवन से सभी तरह की आर्थिक समस्याओं का अंत हो जाता है। इस दिन सबसे पहले नदी स्नान करें और इसके बाद, सूर्य को अर्घ्य दें फिर दान-पुण्य करें।
कन्या संक्रांति से होती है पितृपक्ष की शुरुआत
सामान्य तौर पर पितृ पक्ष का आरंभ कन्या संक्रांति से माना जाता है जो कि 16 दिनों तक निरंतर चलते हैं। इस दौरान पूर्वजों का तर्पण एवं श्राद्ध कर्म किया जाता है। इस साल पितृ पक्ष 17 सितंबर से शुरू होंगे और इसका अंत 02 अक्टूबर 2024 को सर्वपितृ अमावस्या के साथ हो जाएगा। जब सूर्य देव कन्या में होते हैं, तब पितरों के लिए श्राद्ध कार्य करना चाहिए।
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कन्या संक्रांति पर इस विधि से करें सूर्य देव की पूजा
- कन्या संक्रांति पर सूर्योदय से पूर्व उठें और पवित्र नदी में स्नान करें। ऐसा करना संभव न हो, तो नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर नहाएं।
- इस दिन सूर्य देव के लिए व्रत का संकल्प करें।
- इसके बाद, एक तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें चंदन, लाल फूल, और गुड़ मिलाकर सूर्य देव को अर्पित करें।
- सूर्य देव को अर्घ्य देते हुए सूर्य मंत्र का जाप करें।
- इसके पश्चात, जातक अपने सामर्थ्य के अनुसार दाल, चावल, आटा और खिचड़ी का दान करें।
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कन्या संक्रांति पर सूर्य देव की कृपा पाने के लिए राशि अनुसार करें ये सरल उपाय
मेष राशि
मेष राशि के जातक कन्या संक्रांति के दिन गायत्री मंत्र का जाप करते हुए जल में लाल गुलाब की पंखुड़ियां और थोड़ा गुड़ मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
वृषभ राशि
वृषभ राशि वाले कन्या संक्रांति पर किसी ब्राह्मण को या फिर गरीबों को गुड़ और गेहूं का दान करें।
मिथुन राशि
मिथुन राशि वालों के लिए कन्या संक्रांति पर आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना शुभ रहेगा।
कर्क राशि
कर्क राशि के जातक इस दिन लाल या नारंगी रंग के वस्त्र धारण करें। साथ ही, देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा को नारंगी रंग के फूल अर्पित करें।
सिंह राशि
सिंह राशि के जातक कन्या संक्रांति के अवसर पर गरीबों एवं जरूरतमंदों को तिल और उड़द की दाल का दान करें।
कन्या राशि
कन्या राशि वाले इस दिन सूर्य देव के मंत्र “ ॐ सूर्याय नमः” का 108 बार जाप करें।
तुला राशि
तुला राशि के जातक कन्या संक्रांति पर भगवान सूर्य देव की पूजा-अर्चना करें। साथ ही, गरीबों को सफेद या पीली मिठाई का दान करें।
वृश्चिक राशि
कन्या संक्रांति के दिन वृश्चिक राशि वाले अपने घर या ऑफिस में सूर्य यंत्र की स्थापना करके उसकी पूजा करें।
धनु राशि
धनु राशि के जातक कन्या संक्रांति पर भगवान सूर्य की पूजा करने के बाद शंख बजाएं। साथ ही, पितरों की शांति के लिए भी इस दिन पूजा करें।
मकर राशि
मकर राशि वाले इस दिन सूर्य देव की कृपा के लिए बने हुए भोजन या फिर गेहूं और चावल का दान करें।
कुंभ राशि
अगर संभव हो, तो कुंभ राशि वाले किसी तीर्थ स्थल की यात्रा पर जाएं और सूर्य देव से अपनी जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमायाचना करें। इसके बाद, बुजुर्गों एवं गरीबों का आशीर्वाद लें।
मीन राशि
मीन राशि वाले कन्या संक्रांति पर कुछ मीठा या हलवा बनाकर गरीबों को दान करें।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
कन्या संक्रांति 16 सितंबर 2024, सोमवार के दिन मनाई जाएगी।
सूर्य देव सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में प्रवेश करेंगे।
कन्या संक्रांति के दिन सूर्य पूजा, स्नान, दान, पितृ शांति और सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए।