कन्या पूजन में इन चीज़ों की पड़ेगी आवश्यकता, साथ ही जान लें इस दिन का महत्व

चैत्र नवरात्रि के 9 दिनों में मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी देवी, चंद्रघंटा माता, कुष्मांडा माता, मां स्कंदमाता, कात्यायनी देवी, कालरात्रि देवी, मां महागौरी और सिद्धिदात्री देवी की पूजा की जाती है। इसके बाद नवरात्रि के नौवें दिन बहुत से लोग कन्या पूजन करवाते हैं और फिर अपने व्रत का पारण करते हैं। इस वर्ष 21 अप्रैल बुधवार के दिन कन्या पूजन किया जाएगा। तो आइए इस विशेष आर्टिकल में जानते हैं कन्या पूजन का महत्व क्या होता है? इस दौरान आपको किन चीजों की आवश्यकता पड़ेगी और साथ ही जानते हैं कन्या पूजन की संपूर्ण विधि।

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कन्या पूजन के लिए आवश्यक सामग्री 

  • कन्या पूजन के लिए आपको कन्याओं का पैर धुलवाने के लिए साफ जल की आवश्यकता पड़ेगी। 
  • पैर पोछने के लिए एक साफ कपड़े की आवश्यकता पड़ेगी। 
  • कन्याओं को तिलक करने के लिए रोली की आवश्यकता पड़ेगी। 
  • कन्याओं के हाथ में कलावा बांधने की ज़रूरत पड़ेगी।
  • इसके अलावा अक्षत। 
  • फूल। 
  • चुन्नी। 
  • फल। 
  • मिठाई और भोजन सामग्री के साथ आपको लकड़ी के पटरों की आवश्यकता पड़ेगी। जिस पर आप कन्याओं को बैठा कर उन्हें भोजन करा सके।

कन्या पूजन विधि 

  • नवरात्रि के अष्टमी और नवमी तिथि के दिन स्नान करने के बाद भगवान गणेश और मां महागौरी की पूजा करें। 
  • इसके बाद अपने घर में 2 से लेकर 10 वर्ष की कन्याओं को भोजन के लिए आमंत्रित करें। इसके साथ ही आप एक बालक को भी अवश्य आमंत्रित करें। 
  • इसके बाद कन्याओं को स-सम्मान घर में बुलाकर उनका पैर स्वयं धोए और पोछें। 
  • इसके बाद लकड़ी के पटरी पर उन्हें बिठाएं और फिर उनके माथे पर कुमकुम और अक्षत का टीका लगाएं। 
  • इसके बाद कन्याओं और बालक के हाथ में कलावा बांधें। 
  • आरती की थाली सजाएं और कन्याओं की आरती उतारें। 
  • इसके बाद कन्याओं के खाने के लिए थाली सजाएं और उसमें खाने की सभी सामग्री विशेष तौर पर पूड़ी, चना और हलवा शामिल करें। 
  • पूरे सम्मान से कन्याओं को भोजन कराएं और इसके बाद उन्हें अपने यथाशक्ति के अनुसार कोई ना कोई उपहार दें। 
  • इस सबके बाद जब कन्याएं घर से जाने लगे तो उनका पैर छूकर उनसे उनका आशीर्वाद अवश्य लें। 

अधिक जानकारी: नौ कन्याओं को जहां मां दुर्गा के नौ स्वरूप स्वरूप माना जाता है वहीं बालक को बटुक भैरव का स्वरूप मानकर पूजा किए जाने का विधान बताया गया है।

कन्या पूजन महत्व 

कन्या पूजन में दो से लेकर 10 वर्ष तक की कन्याओं को शामिल किया जाता है। यहां जानते हैं किस आयु की कन्या के बारे में ज्योतिषीय महत्व या धार्मिक महत्व क्या कहता है। दरअसल 10 वर्ष की कन्या को सुभद्रा माना जाता है, 9 वर्ष की कन्या को दुर्गा माता का स्वरूप माना जाता है, 8 वर्ष की कन्या को शांभवी माना जाता है, तो वहीं 7 वर्ष की कन्या को चंडिका स्वरूप माना जाता है, 6 वर्ष की कन्याओं को कालिका का स्वरूप माना जाता है, 5 वर्ष की कन्याओं को रोहिणी का स्वरूप, 4 वर्षीय कन्याओं को कल्याणी का स्वरूप, 3 वर्ष की कन्याओं को त्रिमूर्ति और 2 वर्ष की कन्याओं को कुमारी माना जाता है।

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