इस मंदिर में ताला-चाबी चढ़ाने से खुल जाते हैं बंद किस्मत के दरवाजे।
इंसान अपनी बिगड़ी किस्मत को बदलना चाहता है। बिगड़ी किस्मत को बदलने के लिये लोगों के द्वारा कई काम किये जाते हैं। कोई भगवान से मन्नतें मांगता है, कोई ज्योतिषियों को अपनी कुंडली दिखाता है। लेकिन कई बार बहुत कुछ करने के बावजूद भी उसे कोई सफलता नहीं मिल पाती। ऐसे में यदि हम आपको बताएं कि आपको अपने किस्मत के दरवाजों को खोलने के लिये एक मंदिर में जाकर ताला-चाबी चढ़ाने हैं और आपकी बिगड़ी किस्मत सुधर जाएगी तो आपको यकीन नहीं होगा। लेकिन यह बात सत्य है भारत में काली माता का एक ऐसा मंदिर है जहां ताला-चाबी चढ़ाने से शुभ फल मिलते हैं।
कहां स्थित है यह मंदिर
काली माता का यह मंदिर उत्तर प्रदेश के कानपुर में बंगाली मोहाल मोहल्ले में स्थित है। इस मंदिर में जो भी भक्त आता है वो अपने साथ ताला-चाबी भी लाता है, और श्रद्धा से इस मंदिर में ताला-चाबी अर्पित करता है। जब भक्तों की मुराद पूरी हो जाती है तो वह इस मंदिर में दोबारा लौटता है और फिर वह ताला खोल देता है। स्थानीय लोगों के अनुसार काली माता मंदिर में ताला-चॉबी चढ़ाने की यह प्रथा वर्षों पुरानी है। बताया जाता है कि यह काली मंदिर 300 साल से भी पुराना है। ज्यादातर लोग यहां लोहे के ताले-चॉबी चढ़ाते हैं लेकिन कुछ भक्तों द्वारा सोने और चांदी के ताले-चाबी भी यहां लगाए जाते हैं। इस मंदिर में ताला लगाने से पहले विधि पूर्वक उसका पूजन भी किया जाता है।
इस मंदिर से जड़ी पौराणिक किंवदंति
ऐसा माना जाता है कि बहुत समय पहले एक महिला रोज माता काली के दर्शन के लिये इस मंदिर मेें आती थी। उस महिला की स्थित बहुत अच्छी नहीं थी। एक दिन महिला मंदिर के प्रांगण में ताला लगाने लगी तो मंदिर में उपस्थित पुजारी ने उससे सवाल पूछा कि वह ऐसा क्यों कर रही है ? तो महिला ने जवाब दिया कि माता काली ने सपने में आकर उसे ऐसा करने को कहा है। साथ ही उसने पुजारी को यह भी बताया कि इससे उसकी मनोकामना पूरी होगी। इसके बाद कुछ ही दिनों के बाद लोगों ने उस मंदिर की दीवार पर ‘तुम्हारी कामना पूरी हूई’ यह लिखा पाया। कहा जाता है कि इसके बाद न वो महिला दिखी और न वहां लगा हुआ ताला। तबसे लोग अपनी मन्नतों को पूरा करने के लिये यहां ताला लगाने लगे। आज भी यहां जाकर कई लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
नवरात्रि के मौके पर माता काली के इस मंदिर में सैकड़ों की संख्या में भक्त आते हैं और माता के दर्शन करते हैं। विशेष मौकों पर यहां माता के भक्तों के द्वारा कीर्तन भजन किये जाते हैं।