कैसे मनायें कजरी तीज का त्योहार? जानें तिथि, मुहूर्त एवं पूजा विधि

कजरी तीज 2022 का सनातन धर्म में विशेष महत्व बताया गया है जिसे विवाहित महिलाएं बहुत ही उत्साह से मनाती हैं। जैसा कि हम जानते हैं कि कजरी तीज का पर्व आने वाला है इसलिए एस्ट्रोसेज लेकर आया है आपके लिए यह ब्लॉग जिसके माध्यम से आपको आपके सभी सवालों के जवाब मिलेंगे जैसे कजरी तीज 2022 में कब है?

इस दिन का व्रत और पूजा कब और किस मुहूर्त में करें? अगर आप भी जानना चाहते हैं इन सवालों के जवाब तो जरूर पढ़ें हमारे विशेषज्ञ ज्योतिषियों द्वारा पाठकों के लिए तैयार किया गया यह ब्लॉग।    

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हिन्दू धर्म में हर साल मुख्य रूप से तीन तरह की तीज मनाई जाती हैं जिसमे हरियाली तीज, हरतालिका तीज और कजरी तीज शामिल हैं और अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, यह जुलाई से अगस्त के महीने में आती हैं। इन तीनों तीजों का अपना-अपना धार्मिक महत्व है लेकिन जो बात इस पर्व को सबसे ख़ास बनाती है, वह यह है कि एक वर्ष में पड़ने वाली सभी तीजों में विवाहित महिलाओं द्वारा व्रत किया जाता है। 

साल में सबसे पहले आने वाली तीज, हरियाली तीज है जो सावन माह में मनाई जाती है, हरियाली तीज के 15 दिन बाद कजरी तीज और सबसे आखिरी में हरतालिका तीज को मनाया जाता है जो भाद्रपद माह में आती है।  

आइये अब नज़र डालते हैं 2022 में आने वाली सभी तीजों की तिथियों पर 

हरियाली तीज 2022: 31 जुलाई, रविवार

कजरी तीज 2022: 14 अगस्त, रविवार

हरतालिका तीज 2022: 30 अगस्त, मंगलवार

पंचांग के अनुसार, कजरी तीज को प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद ख़ास होता है क्योंकि इस दिन शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और समृद्धि के लिए पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। 

भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा पाने के लिए कजरी तीज को शुभ माना जाता है इसलिए इस दिन इनकी पूजा करना भक्तों के लिए फलदायी साबित होता है। मान्यता है कि इस दिन अविवाहित कन्याएं शिव जी और माँ पार्वती का पूजन विधिपूर्वक करती हैं तो भोलेनाथ और माँ पार्वती प्रसन्न होकर उन्हें मनचाहे वर की प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं। 

आइये अब जानते हैं कजरी तीज 2022 के शुभ मुहूर्त के बारे में 

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कजरी तीज 2022: तिथि एवं मुहूर्त

कजरी तीज 2022 तिथि: 14 अगस्त  2022 (रविवार)

तृतीया तिथि आरंभ: 14 अगस्त 2022 को 00:55:17 बजे

तृतीया तिथि समाप्त: 14 अगस्त 2022 को 22:37:32 बजे 

नोट: ऊपर दिया गया मुहूर्त नई दिल्ली के लिए मान्य है। अपने शहर के अनुसार इस दिन का मुहूर्त जानने के लिए यहाँ क्लिक करें। 

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कजरी तीज व्रत की पूजा विधि

  • कजरी तीज का व्रत कुंवारी कन्याओं और विवाहित महिलाओं दोनों के लिए शुभ माना जाता है और इस दिन व्रती को प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। 
  • पूजन के लिए गाय के गोबर से भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति का अपने हाथों से निर्माण करें। यदि ऐसा संभव न हो, तो आप इन मूर्तियों को बाजार से भी खरीद सकती हैं। 
  • इसके पश्चात अब पूजास्थल पर भगवान शंकर और माँ पार्वती की मूर्ति की स्थापना करें और इन्हें स्वच्छ वस्त्र से ढक दें। 
  • व्रती पूरी श्रद्धाभाव से माँ गौरी को 16 श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें और भगवान शिव को बेलपत्र, गंगा जल, दूध, भांग, मदारक का फूल आदि चीज़ें चढ़ाएं। 
  • इसके पश्चात कजरी तीज का व्रत करने वाली महिलाओं को माँ गौरी की कथा को सुनना और सुनाना चाहिए।  
  • कथा को पढ़ने के बाद व्रती धुप और दीपक से शिव जी और माँ पार्वती की आरती करें और संध्या के समय चंद्र दर्शन के बाद अपना व्रत खोलें। 
  • पति की लंबी आयु के लिए व्रत करने वाली विवाहित स्त्रियाँ कजरी तीज पर नवविवाहिता की तरह 16 श्रृंगार करती हैं और माँ पार्वती को बिंदी, मेहँदी, चूड़ियां, आभूषण, फल,सत्तू, मौली, अक्षत और मिठाई आदि अर्पित करती हैं। 

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कजरी तीज से जुड़ी कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता पार्वती भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करना चाहती थी इसलिए देवी सदैव भगवान शंकर की भक्ति में लीन रहती थी। एक बार जब शिव जी ने माता पार्वती से उनके प्रति अपना समर्पण साबित करने के लिए कहा, तब देवी ने महादेव को पति के रूप में पाने और अपने समर्पण को सिद्ध करने के लिए निरंतर 108 सालों तक कठिन तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने देवी पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। ऐसा मत है कि उस दिन से ही कजरी तीज का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। 

कजरी तीज पर गाय का पूजन होगा फलदायी  

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कजरी तीज के दिन गौ माता की पूजा करना शुभ माना जाता है और इसका अपना विशेष महत्व है। इस दिन गायों को चारा खिलाने और उनकी सेवा करने से लोगों को सुखी और समृद्धशाली जीवन की प्राप्ति होती है इसलिए कजरी तीज पर गाय की पूजा अवश्य करें।   

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