कालाष्टमी : जानें इस दिन का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और काल-भैरव को प्रसन्न करने के उपाय

कालाष्टमी के दिन भगवान शिव के विग्रह रूप काल भैरव की पूजा का विधान बताया गया है। कालाष्टमी का व्रत प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन रखा जाता है। काल भैरव तंत्र-मंत्र के देवता माने गए हैं। अगर आप भी कालाष्टमी का व्रत रखना चाहते हैं तो नीचे हम आपके साथ इस साल पड़ने वाली सभी कालाष्टमी की एक लिस्ट शेयर कर रहे हैं।

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कालाष्टमी शुभ मुहूर्त 

आश्विन, कृष्ण अष्टमी- 10 सितंबर 2020-गुरुवार

प्रारम्भ – सुबह 02 बजकर 05 मिनट, सितम्बर 10

समाप्त – सुबह 03 बजकर 34 मिनट, सितम्बर 11

10 सिंतबर 2020कालाष्टमी प्रारम्भ – रात 2 बजकर 05 मिनट से अगले दिनकालाष्टमी समाप्त – सुबह 3 बजकर 34 मिनट तक
9 अक्टूबर 2020कालाष्टमी प्रारम्भ – शाम 5 बजकर 49 मिनट से अगले दिनकालाष्टमी समाप्त – शाम 6 बजकर 16 मिनट तक
8 नवंबर 2020कालाष्टमी प्रारंभ – सुबह 7 बजकर 29 मिनट से अगले दिनकालाष्टमी समाप्त – सुबह 6 बजकर 50 मिनट तक
7 दिसंबर 2020कालाष्टमी प्रारम्भ – शाम 6 बजकर 47 मिनट से अगले दिनकालाष्टमी समाप्त – सुबह 5 बजकर 17 मिनट तक

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काशी नगर के कोतवाल हैं काल भैरव 

शिव पुराण में बताया गया है कि काल भैरव भगवान शिव के ही रूप हैं। सिर्फ इतना ही नहीं काल भैराव को भगवान शिव की नगरी काशी का कोतवाल भी कहा जाता है। कालाष्टमी के दिन ज़रूर करें इस मन्त्र का उच्चारण, “ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम:”

कालाष्टमी पूजन विधि 

हर पूजा को करने की एक विधि निर्धारित की गयी है। ठीक वैसे ही कालाष्टमी पूजा की भी एक निर्धारित विधि है। अगर आप भी इस पूजन विधि से काल भैरव की पूजा करते हैं तो आपको मनोवांछित फल अवश्य प्राप्त होंगे।

  • कालाष्टमी के दिन शिवजी के स्वरूप काल भैरव की पूजा करनी चाहिए। 
  • इस दिन सबसे पहले सुबह उठकर स्नानादि करके व्रत का संकल्प लें और फिर किसी शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव या भैरव के मंदिर में जा कर पूजा अर्चना करें। 
  • शाम के समय शिव और पार्वती और भैरव जी की पूजा करें। 
  • क्योंकि भैरव को तांत्रिकों का देवता माना जाता है इसलिए इनकी पूजा रात में भी की जाती है। 
  • काल भैरव की पूजा में दीपक, काले तिल, उड़द, और सरसों के तेल को अवश्य शामिल करें। व्रत पूरा करने के बाद काले कुत्ते को मीठी रोटियां खिलाएं। 

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काल अष्टमी के दिन पूजा के समय नीचे दिए गए मंत्र का जाप करना चाहिए।

अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्,

भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि।

किस कामना के लिए कैसे करें पूजा?

  • इसके अलावा कालाष्टमी के दिन के बारे में लोगों के बीच ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव को पंचामृत से अभिषेक कराने पर रोग और संभावित दुर्घटनाओं से मुक्ति मिलती है। 
  • जीवन में धन-धान्य की कामना करनी हो तो इस दिन भगवान शिव को सफेद साफा अवश्य पहनाइए और उन्हें सफेद मिठाई का भोग लगाईये। 
  • शत्रुओं पर विजय हासिल करनी हो तो काल अष्टमी के दिन भगवान शिव को 108 बिल्व पत्र, 21 धतूरे और भांग अर्पित करें। 
  • किसी भी काम में सफलता के लिए कालाष्टमी के दिन भैरव जी को जलेबी और नारियल का भोग लगाएं। 
  • बता दें कि काल भैरव की पूजा से मंगल दोष जैसे दोष का भी निवारण होता है।

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कालाष्टमी मान्यता 

इस दिन के बारे में लोगों के बीच ऐसी मान्यता है कि जो कोई भी इंसान भगवान शिव के भैरव रूप की पूजा करता है वह भूत, पिशाच, और काल से हमेशा दूर रहता है। अगर सच्चे मन से पूजा की जाए तो इससे आपके रुके हुए कार्य अपने आप पूरे होते चले जाते हैं। इस दिन के बारे में ऐसी भी मान्यता है कि जो कोई भी काल भैरव की पूजा करता है उसके जीवन से सभी तरह के ग्रह नक्षत्रों और क्रूर ग्रहों का प्रभाव खत्म हो जाता है। 

काल भैरव, भगवान शिव के अवतार माने जाते हैं, इसलिए कहा जाता है कि जो भी भक्त काल भैरव की पूजा करता है वह अपने जीवन में आने वाली हर तरह की नकारात्मक शक्तियों से दूर रहता है। मान्यता के अनुसार कलयुग में काल भैरव की उपासना करने से बहुत जल्दी मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

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जाने काल भैरव को कैसे करें प्रसन्न

मान्यता के अनुसार बताया जाता है कि भगवान शिव इसी दिन (काल अष्टमी के दिन) काल भैरव रूप में प्रकट हुए थे। कालाष्टमी के दिन मां दुर्गा की भी पूजा का विधान बताया गया है। इसके अलावा कुछ ऐसे भी काम बताए गए हैं जिन्हें कालाष्टमी के दिन करने से बचना चाहिए वरना आपको नुकसान भुगतना पड़ सकता है।

इस दिन भूल से भी ना करें ये काम 

  • काल भैरव जयंती या कालाष्टमी के दिन जितना हो सके झूठ बोलने से बचें। 
  • इस दिन झूठ बोलने से आपको भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है। 
  • काल भैरव की पूजा कभी भी किसी के नुकसान के मकसद से ना करें। 
  • अपने माता-पिता और गुरुओं को अपमानित ना करें। 
  • काल भैरव की पूजा कभी भी अकेले नहीं करनी चाहिए इस दिन पूजा में भगवान शिव और माता पार्वती को अवश्य शामिल करें। 
  • गृहस्थ लोगों को भगवान भैरव के तामसिक पूजा नहीं करनी चाहिए। 
  • कुत्तों को मारें नहीं बल्कि जितना हो सके उन्हें भोजन कराएं।

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आशा है कि यह लेख आपको पसंद आया होगा। एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!

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