निःसंतान दंपत्ति के लिए वरदान है काल भैरव का ये मंदिर, यहाँ इस अनोखे दो रूप में विराजते हैं भैरव बाबा

भैरव शब्द का मतलब होता है भय से रक्षा करनेवाला. (भय+रव)

हिन्दू धर्म के एक देवता हैं भैरव, जिन्हे लोग भैरव बाबा के नाम से भी जानते हैं।  भैरव को भगवान शिव का अंश माना जाता है। कहा जाता है कि भैरव बाबा की उत्पत्ति भगवान शिव के पसीने से हुई थी। भैरव बाबा की समूचे देश में काफी मान्यता है।  भारत के अलावा नेपाल में भी लोग इनकी पूजा करते हैं। भैरव बाबा की कुल संख्या 64 बतायी जाती है। इन 64 भैरव बाबा को 8 भागों में बाँटा गया है। आमतौर पर भैरव बाबा की पूजा-अर्चना तंत्र बाधा के निवारण के लिए की जाती है।  भारत की अलग-अलग जगहों पर भैरव बाबा को अलग-अलग नामों से जाना जाता है।  

मध्यप्रदेश के उज्जैन में अष्ट भैरव हैं। इनके नाम इस प्रकार हैं,  56 भैरव, काल भैरव, कोतवाल, तोपतोड़ भैरव, बलवट भैरव, आताल-पाताल, दानी भैरव और विक्रांत भैरव। हिन्दू धर्म में भैरव आराधना का स्वरूप विविध है लेकिन यहाँ हम आपको राजस्थान के जोधपुर के मंदिर में विराजते एक ऐसे भैरव के बारे में बताने जा रहे हैं जो इस मंदिर में दो रूपों में विराजते हैं। इस मंदिर में भैरव जी की दोनों प्रतिमाएं आमने-सामने स्थित है।  अपने अलग स्वरुप की ही तरह इनके नाम भी काफी अनोखे हैं। कई परिवारों के कुल देवता, माने जाने वाले भैरव को इस मंदिर में काले भैरव और गोरे भैरव के नाम से जाना जाता है।   

यहां दूर-दूर से आते हैं निःसंतान दंपत्ति 

इस मंदिर की काफी मान्यता है।  दूर-दूर से लोग यहाँ संतान प्राप्ति की कामना करने के लिए दर्शन करने आते हैं। यहाँ दिन-रात भक्तों का ताँता लगा रहता है।  बावड़ी में आने वाले परिवारों की कुल देवता की पूजा कराने वाले पंडित दिनेश सास्‍वत बताते हैं कि मंदिर में मौजूद दोनों भैरव बाबा की पूजा-अर्चना, भोग-चढ़ावा इत्यादि सब अलग होता है।  जहाँ एक तरफ काले भैरव को शराब का भोग और चढ़ावा चढ़ाया जाता है वहीँ गोरे भैरव को मीठे पकवान का भोग लगता है। यहाँ ये भी बात दिलचस्प है कि अगर किसी को बेटे की कामना करनी होती है तो वो काले भैरव की आराधना करते हैं और बेटी की इच्छा रखने वाले लोग गोरे भैरव की आराधना करते हैं।  

कहाँ है ये मंदिर?

इस मंदिर में स्थित यह भैरव प्रतिमाएं यहाँ काफी समय से स्‍थापित हैं। ये खूबसूरत मंदिर एक प्राचीन बावड़ी में स्थित है। यह स्‍थान जोधपुर के पास एक गांव रजलानी में है। बावड़ी के ठीक बाहर ऊपर की तरफ भगवान शिव का मंदिर है और इसके पास में एक और भैरव का मंदिर है. यानी कि यहां एक ही जगह पर तीन भैरव प्रतिमाएं एक साथ मौजूद हैं।

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