हिंदू धर्म का तीसरा महीना यानी कि ज्येष्ठ का महीना 27 मई से प्रारंभ हो चुका है और यह 25 जून तक रहने वाला है। सनातन धर्म में ज्येष्ठ के इस महीने का विशेष महत्व बताया गया है। इस महीने में सूर्य देव, हनुमान भगवान और वरुण देव की पूजा का विधान बताया जाता है। अपने इस विशेष आर्टिकल में आज जानते हैं कि ज्येष्ठ माह से संबंधित क्या कुछ विशेष नियम बताए गए हैं और साथ ही इस महीने में क्या करना शुभ फलदाई होता है और क्या काम व्यक्ति को भूल से भी नहीं करना चाहिए।
जीवन की दुविधा दूर करने के लिए विद्वान ज्योतिषियों से करें फोन पर बात और चैट
ज्येष्ठ माह में क्या करें क्या ना करें
- ज्येष्ठ के महीने में दोपहर में चावल खाना वर्जित माना गया है। इसके पीछे तर्क दिया जाता है कि, क्योंकि इस महीने में गर्मी बहुत ज्यादा होती है और साथ ही ऐसा करना स्वास्थ्य के लिहाज से भी हानिकारक होता है। ऐसे में चावल जितना हो सके खाने से बचें और साथ ही ज्यादा से ज्यादा पानी पियें और विश्राम करें।
- ज्येष्ठ महीने में बेल के फल का सेवन नहीं करना चाहिए।
- इसके अलावा जिन भी सब्जियों से गर्मी पैदा होती है जैसे लहसुन, राई इत्यादि ज्येष्ठ महीने में खाने से बचना चाहिए।
- ज्येष्ठ के महीने में ज्यादा से ज्यादा ठंडी वस्तुएं और फल खाना अच्छा रहता है।
- ज्येष्ठ के महीने में जल की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है।
- ज्येष्ठ महीने में बैंगन खाना वर्जित माना गया है।
- ज्येष्ठ महीने में प्रभु राम से हनुमान भगवान की मुलाकात हुई थी। ऐसे में इस महीने बजरंगबली की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है।
ज्येष्ठ माह/जेठ महीना नियम
- ज्येष्ठ महीने में जल दान का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसे में आप अपने घर के पास या कहीं भी प्याऊ लगवा सकते हैं तो अवश्य लगवाएं और साथ ही प्यासे को पानी अवश्य पिलाएं।
- ज्येष्ठ महीने में कम से कम सोने की सलाह दी जाती है। कहा जाता है जो लोग इस दौरान दोपहर में ज्यादा सोते हैं वह आगे जाकर बीमारियों से घिर जाते हैं। इससे संबंधित एक कहावत भी प्रचलित है जिसके अनुसार कहा जाता है कि, “ज्येष्ठ मास जो दिन में सोए, ओकर जर असाढ़ में रोए”, जिसका सरल भाषा में अर्थ हुआ कि, जो लोग ज्येष्ठ के महीने में दिन में सोते हैं वह रोगी हो जाते हैं।
- इसके अलावा इस महीने में ज्येष्ठ पुत्र और ज्येष्ठ पुत्र यानी बड़े बेटे बड़ी बेटी का विवाह कराना भी शुभ नहीं माना गया है।
- ज्येष्ठ के महीने में एक समय भोजन करने की बात को विशेष तवज्जो दी जाती है। कहा जाता है कि ज्येष्ठ के महीने में जो व्यक्ति दिन में केवल एक समय में भोजन करता है वह धनवान बनता है। इससे जुड़ी एक कहावत के अनुसार कहा जाता है कि, “ज्येष्ठामूलं तु यो मासमेकभक्तेन संक्षिपेत्। ऐश्वर्यमतुलं श्रेष्ठं पुमान्स्त्री वा प्रपद्यते।।”
- इसके अलावा ज्येष्ठ के महीने में तिल का दान करना बेहद ही फलदाई रहता है। कहते हैं जो व्यक्ति इस दौरान तिल का दान करते हैं उनका स्वास्थ्य उत्तम बना रहता है और साथ ही उन्हें अकाल मृत्यु का डर भी नहीं रहता।
सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।