ज्येष्ठ माह का हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया गया है। कहते हैं यह महीना दान, पुण्य, नियम अपने जीवन में लागू करने, आदि के लिए बेहद ही शुभ होता है। इस महीने के नियमों का यदि सही ढंग से पालन किया जाए तो इससे व्यक्ति के जीवन में शुभता आती है और समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
आज अपने इस विशेष ब्लॉग में हम जानेंगे वर्ष 2023 में ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत किस दिन किया जाएगा, इस दिन का महत्व क्या होता है, और साथ ही इस दिन से जुड़ी हर महत्वपूर्ण और जानने वाली बातों की जानकारी आपको इस ब्लॉग के माध्यम से प्रदान की जाएगी।
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ज्येष्ठ पूर्णिमा 2023
ईस वर्ष ज्येष्ठ पूर्णिमा का व्रत 04 जून, 2023 को किया जाएगा। हिन्दू धर्म के शास्त्रों में ज्येष्ठ पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन कलश को शहद से भारकर उसका दान करने का विधान भी बताया गया है। कहते हैं ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में खुशियां आती हैं और प्रेम बना रहता है।
जून 3, 2023 को 11:18:24 से पूर्णिमा आरम्भ
जून 4, 2023 को 09:12:41 पर पूर्णिमा समाप्त
नोट: यहां दिया गया मुहूर्त नई दिल्ली के लिए मान्य है। यदि आप अपने शहर के अनुसार ज्येष्ठ पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त जानना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें।
ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत का महत्व
अन्य सभी पूर्णिमा तिथि के मुकाबले ज्येष्ठ पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया जाता है। कहते हैं इस दिन दान, ध्यान और पुण्य कर्म करने से व्यक्ति को कभी ना खत्म होने वाले फल की प्राप्ति होती है। इसके अलावा यदि किसी व्यक्ति का विवाह होते होते रुक जाता है या बनते बनते बात बिगड़ जाती है या वैवाहिक जीवन में कोई परेशानी आ रही हैं तो ऐसे लोगों के लिए भी यह दिन विशेष महत्वपूर्ण होता है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन ऐसे जातकों को सफेद वस्त्र धारण करके भगवान शिव की पूजा करने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से विवाह संबंधित परेशानियां दूर होती हैं।
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ज्येष्ठ पूर्णिमा उपाय
- रुका हुआ धन प्राप्त करने के लिए ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ पर लोटे में पानी कच्चा, दूध और बताशा डालकर अर्पित करें।
- वैवाहिक जीवन की समस्याएं दूर करने के लिए इस दिन चंद्रदेव को दूध का अर्घ्य दें।
- जीवन की कोई भी परेशानी या बाधा दूर करने के लिए ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन एक चम्मच दूध कुएँ में डालें। ऐसा करने से व्यक्ति का भाग्य चमकते देर नहीं लगती है।
- ग्रह दोष दूर करने के लिए ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन पीपल और नीम की त्रिवेदी के नीचे विष्णुसहस्त्रनाम या शिव अष्टक का पाठ करें।
- आर्थिक स्थिति बेहतर करने के लिए ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन माँ लक्ष्मी की तस्वीर पर 11 कौड़ियाँ चढ़ाएं, उन पर हल्दी का तिलक लगाएं, और उसके बाद इसे अपनी तिजोरी में रख लें।
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ज्येष्ठ पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
जैसा कि हमने पहले भी बताया कि धार्मिक ग्रन्थों में ज्येष्ठ पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है। कहते हैं इस दिन ही गंगाजल लेकर जातक अमरनाथ यात्रा के लिए निकलते हैं। यह वह समय होता है जब धरती पर भीषण गर्मी पड़ती है और नदी तालाब आदि सूखने लगते हैं और जल का स्तर कम होने लगता है इसीलिए, अन्य महीनों की तुलना में इस महीने जल का महत्व बढ़ जाता है।
साथ ही जल से संबंधित कुछ विशेष पर्व और त्योहार भी इस महीने में मनाए जाते हैं। जैसे, गंगा दशहरा, निर्जला एकादशी, आदि। इन सभी व्रत और त्योहारों से व्यक्तियों को जल का महत्व समझने और संरक्षण करने का संदेश दिया जाता है।
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ज्येष्ठ पूर्णिमा पर सत्यनारायण कथा का महत्व
कहते हैं ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण की कथा यदि पढ़ी या सुनी जाए तो इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति के सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इस दिन अगर आप भी सत्यनारायण की कथा कहना या सुनना चाहते हैं तो इस दिन सुबह या शाम के समय भगवान के समक्ष घी का दीपक जलाएं, आटे का चूरमा बनाएँ, भगवान को अर्पित करें, सत्यनारायण भगवान को फल का भोग लगाएं और कथा पढ़ें या सुनें।
ज्येष्ठ पूर्णिमा और वट सावित्री व्रत
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन व्रत वट सावित्री व्रत किया जाता है। इस व्रत से इस दिन का महत्व और बढ़ने लगता है। कहते हैं जो कोई भी महिला वट सावित्री का व्रत और पूजा करती है उनके जीवन में सौभाग्य प्राप्त होता है और संतान प्राप्ति होती है। वट वृक्ष पूजा वाले दिन वट वृक्ष की पूजा की जाती है, उसकी परिक्रमा की जाती है ,और त्रिदेवों का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। यह व्रत महिलाएं और कुंवारी कन्या दोनों ही रख सकती हैं।
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ज्येष्ठ पूर्णिमा हेतु नियम
जैसा कि हमनें पहले भी बताया कि ज्येष्ठ मास के कई नियम बताए गए हैं और जो कोई भी व्यक्ति इन नियमों का पालन करता है उसके जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है। तो आइए जानते हैं ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन किन नियमों का पालन करना होता है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन स्नान का महत्व होता है। कहते हैं इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन अपनी यथाशक्ति के अनुसार जरूरतमंदों को दान करें।
इस दिन मंत्रों का जप अवश्य करें।
अगर आप चाहें तो इस दिन ‘गायत्री मंत्र’ ‘ॐ नमः शिवाय मंत्र’, ‘हरे कृष्ण मंत्र’ का जाप भी कर सकते हैं।
इस दिन भगवान विष्णु और सत्यनारायन देव की पूजा अवश्य करें। ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन देवी देवताओं की पूजा करना बेहद ही शुभ रहता है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा के राशि अनुसार उपाय
- मेष राशि: इस दिन रुद्राक्ष की माला धारण करें।
- वृषभ राशि: बाबा भैरव की पूजा करें।
- मिथुन राशि; माँ लक्ष्मी की पूजा करें।
- कर्क राशि: अच्छे स्वास्थ्य के लिए शांति पूजा करें।
- सिंह राशि: धन प्राप्ति के लिए श्री यंत्र की पूजा करें।
- कन्या राशि: अच्छे स्वास्थ्य के लिए माँ दुर्गा की पूजा करें।
- तुला राशि: मनचाही नौकरी और उत्तम स्वास्थ्य के लिए सूर्य देव की पूजा करें।
- वृश्चिक राशि: हर काम में सफलता के लिए भगवान गणेश की पूजा करें।
- धनु राशि: जीवन में सफलता के लिए सूर्यदेव की पूजा करें।
- मकर राशि: इस दिन भगवान कुबेर की पूजा करें।
- कुंभ राशि: धन प्राप्ति के लिए श्री यंत्र की पूजा करें।
- मीन राशि: आर्थिक संपन्नता के लिए माँ लक्ष्मी की पूजा करें।
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन बरगद के पेड़ की पूजा का महत्व
कहते हैं जो कोई भी महिलाएं इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करके बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं, फिर व्रत शुरु करती हैं उन्हें अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है। इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है क्योंकि ब्रह्मा, विष्णु, महेश, का प्रतीक इस पेड़ को माना गया है। अगर आप बरगद के पेड़ की पूजा करने के बाद बरगद के पेड़ पर हल्दी का लेप लगाएं और प्रसाद के रूप में दाल और फल का सेवन करके व्रत का पारण करें तो इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
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