अपने रीडर्स को किसी भी ज्योतिषीय घटना की जानकारी समय से पहले देने की अपनी पहल में एस्ट्रोसेज एक बार फिर आपके सामने हाजिर है। हमारे विद्वान ज्योतिषी आपको हर महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना की जानकारी प्रदान करते हैं ताकि आप उनके बारे में पहले से अवगत रहें और उन ज्योतिषीय घटनाओं का अपने जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में खुद को पहले से तैयार रख सके।
ऐसी ही एक ज्योतिषीय घटना जल्द होने वाली है जब बृहस्पति भरणी नक्षत्र में गोचर कर जाएगा। बृहस्पति 21 जून, 2023 को भरणी नक्षत्र में गोचर करने जा रहा है। तो आइए इस विशेष ब्लॉग के माध्यम से जानें की भरणी नक्षत्र में बृहस्पति का जातकों के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा और यह भी जानते हैं कि आखिर भरणी नक्षत्र क्या होता है और कैसे यह गोचर सभी बारह राशियों को प्रभावित कर सकता है।
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किसी भी ग्रह के फल की भविष्यवाणी करने में नक्षत्र बेहद ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वैदिक ज्योतिष में नक्षत्रों की संख्या कुल 27 बताई गई है। प्रत्येक नक्षत्र को 4 पदों में विभाजित किया गया है। इन 27 नक्षत्रों को ज्योतिषीय क्षेत्र की 12 राशियों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक नक्षत्र 13 डिग्री 20′ डिग्री की लंबाई तक फैला हुआ है। जहां प्रत्येक पद लगभग 3 डिग्री 20′ लंबा होता है।
बृहस्पति ने 22 अप्रैल, 2023 को मेष राशि में गोचर किया था और उसी दिन और उसी समय अश्विनी नक्षत्र के प्रथम चरण में भी प्रवेश किया था। अब 21 जून 2023 को दोपहर 1 बजकर 19 मिनट पर भरणी नक्षत्र के दूसरे चरण में गुरु गोचर करने जा रहे हैं। इसके बाद 27 नवंबर 2023 को यह अश्विनी नक्षत्र के पहले चरण में गोचर करेंगे। अब इस गोचर के बारे में और अधिक जानकारी के लिए आगे बढ़ते हैं।
ज्योतिष में भरणी नक्षत्र
भरणी नक्षत्र ज्योतिष में 27 नक्षत्रों में दूसरा नक्षत्र माना गया है। यह शुक्र ग्रह द्वारा शासित होता है और मंगल ग्रह द्वारा शासित मेष राशि में 13 डिग्री 20′ से 26 डिग्री 40′ तक होता है। भरणी नक्षत्र भगवान यम का सूचक माना गया है। भगवान यम गलत और सही में अंतर करने वाले और न्याय प्रदान करने वाले देव हैं। यह नक्षत्र जीवन का वाहक भी कहा जाता है क्योंकि यह महिला प्रजनन प्रणाली का प्रतीक होता है।
इसे इच्छा, त्याग, ईर्ष्या का नक्षत्र भी कहा जाता है। भरणी नक्षत्र को आमतौर पर महिलाओं या स्त्रियों के तरह पालन पोषण और कोमल स्पर्श वाला भी माना जाता है। उनकी आंखों में चमक होती है और उनकी मुस्कान भी बेहद आकर्षक होती है। इसी वजह के चलते भरणी नक्षत्र शुभ शुक्र ग्रह द्वारा शासित होता है। ऐसे में यह जातकों को जीवन में वित्तीय बहुतायत प्रदान करने के लिए जाना जाता है। यह नक्षत्र जीवन और मृत्यु का प्रतिनिधित्व करता है। तो आइए अब आगे बढ़ते हैं और सुख सुविधा और विलासिता के देव द्वारा शासित इस नक्षत्र के बारे में और जानकारी हासिल करते हैं।
भरणी नक्षत्र के पद
- पहला पद: भरणी नक्षत्र का पहला पद सिंह नवमांश में पड़ता है और यह सूर्य द्वारा शासित माना जाता है। यह पद व्यक्ति को उत्कृष्ट रचनात्मकता प्रदान करता है और साथ ही यह जातकों को कलात्मक भी बनाता है।
- दूसरा पद: भरणी नक्षत्र का दूसरा पद कन्या नवमांश में पड़ता है और बुध ग्रह द्वारा शासित होता है। इस पद को आत्म बलिदान करने वाला माना गया है और चारों ओर अस्त-व्यस्त होने पर भी यह महत्वपूर्ण कार्यों पर ध्यान केंद्रित कर सकता है।
- तीसरा पद: भरणी नक्षत्र का तीसरा पद तुला नवमांश में आता है और यह शुक्र ग्रह द्वारा शासित होता है। यह पद जातकों को ज्यादा घूमने फिरने वाला और तनावपूर्ण स्थितियों में भी धैर्य के साथ काम लेने वाला बनाता है।
- चौथा पद: भरणी नक्षत्र का चौथा पद वृश्चिक नवमांश में आता है और यह मंगल द्वारा शासित होता है। यह पद जातकों को जीवन में बेहद ऊर्जावान, उत्पादक बनाता है। साथ ही ऐसे जातक उत्कृष्ट अनुसंधान क्षमता भी प्राप्त करते हैं।
ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह
बृहस्पति ग्रह या गुरु ग्रह को अक्सर ‘जैंटल जायंट’ भी कहा जाता है क्योंकि यह हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह होता है। इसके साथ ही ज्योतिष में भी इसे बेहद महत्वपूर्ण ग्रह माना गया है। गुरु ग्रह ज्ञान और विद्या पर शासन करता है और यही वजह है कि इसे देवगुरु की उपाधि भी मिली है। बृहस्पति या गुरु ग्रह स्त्री की कुंडली में पति का कारक होता है। इसे भाग्य का ग्रह कारक भी कहा जाता है क्योंकि इसकी मूल त्रिकोण राशि यानी धनु राशि भाग्य के नौवें भाव में और अलगाव के बारहवें भाव में पड़ती है। काल पुरुष कुंडली की एक अन्य राशि मीन विदेश भूमि के बारहवें में भाव में भी पड़ती है।
ऐसे में अक्सर कहा जाता है कि जब गुरु किसी भी व्यक्ति की कुंडली के बारहवें भाव में स्थित होता है तो ऐसे व्यक्तियों का झुकाव अध्यात्म और धर्म के कामों में ज्यादा रहता है। बृहस्पति के गोचर की बात करें तो एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करने के लिए बृहस्पति को लगभग 13 महीनों का समय लगता है और इसी क्रम में 12 राशियों का गोचर पूरा करने में तकरीबन 12 वर्षों का समय लग जाता है। अन्य सभी ग्रहों की तुलना में बृहस्पति एक ऐसा ग्रह है जो व्यक्ति को उच्च प्रशासनिक नौकरियां और पद प्रदान करता है। साथ ही यह मजबूत अवस्था में हो तो व्यक्ति को अपार धन का आशीर्वाद भी दे सकता है।
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ज्योतिष में शुक्र ग्रह
शुक्र ग्रह को धन, विलासिता, प्रेम, खूबसूरती, कला, इन तरह की चीजों का कारक माना गया है। शुक्र अन्य ग्रहों के बीच सौरमंडल में सबसे चमकीले तारे के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि एक घने गैसिए वातावरण के साथ यह ग्रह स्थित सूर्य से आने वाले प्रकाश का 70% परावर्तित करता है। शुक्र या शुक्राचार्य को दैत्य गुरु के रूप में भी जाना जाता है और शुक्र सूर्य की परिक्रमा पूरी करने में 225 दिनों का समय लगाता है।
शुक्र को भगवान विष्णु की पत्नी माँ लक्ष्मी का एक रूप माना गया है। यही वजह है कि इसे धन की देवी के रूप में भी जाना जाता है। सभी 12 राशियों में 2 राशियों वृषभ और तुला राशि का स्वामित्व शुक्र ग्रह को प्राप्त है। शुक्र ग्रह मीन राशि में 27 अंश पर उच्च का होता है। इसकी मूल त्रिकोण तुला राशि में है। शुक्र वीर्य (शक्ति) को नियंत्रित करता है। इसके अलावा ग्रह मंडल में गुरु (बृहस्पति) के साथ-साथ शुक्र को भी मंत्री का पद दिया गया है।
भरणी नक्षत्र में जन्मे लोगों का व्यक्तित्व
- भरणी नक्षत्र में जन्मे लोगों में स्वाभाविक नेतृत्व क्षमता देखने को मिलती है। यही वजह है कि विश्व के कई बड़े और प्रसिद्ध नेता इस नक्षत्र में जन्मे हैं।
- भरणी नक्षत्र के लोग बेहद रचनात्मक होते हैं और स्वभाव से कलात्मक होते हैं।
- इस नक्षत्र में जन्मे लोगों का व्यापार करने का कौशल बेहद शानदार होता है और उनकी यह खूबी अन्य लोग भी उनसे सीख सकते हैं।
- ऐसे जातकों में जोखिम लेने की क्षमता होती है।
- भरणी नक्षत्र शक्ति और धीरज दर्शाता है और यही वजह है कि दुनिया के कुछ बड़े दिग्गज खिलाड़ी इस नक्षत्र में पैदा हुए हैं।
- इस नक्षत्र में पैदा हुए जातक मजबूत और गतिशील व्यक्तित्व के लिए जाने जाते हैं।
- स्वभाव में निडर, आत्मविश्वासी और जोखिम लेने की अद्भुत क्षमता वाले होते हैं भरणी नक्षत्र में जन्मे लोग।
- हालांकि इस नक्षत्र के तहत जन्मे लोग कभी-कभी स्वभाव में जिद्दी, हठी और असभ्य भी हो सकते हैं।
- इस नक्षत्र में जन्मे लोग जो कुछ भी करते हैं उसमें दृढ़ता और विश्वास के साथ आगे बढ़ते हैं और किसी भी परिस्थिति में अपने मूल्यों या नैतिकता से समझौता नहीं करते हैं।
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भरणी नक्षत्र में बृहस्पति का गोचर – राशि अनुसार प्रभाव
मेष राशि: मेष राशि के जो जातक अपने व्यवसाय और निजी क्षेत्र में अपने करियर को बढ़ाने का प्रयत्न कर रहे हैं उन्हें अपने सभी प्रयासों में सफलता मिलेगी क्योंकि बृहस्पति मंगल की मूल त्रिकोण राशि में और साथ ही शुक्र के नक्षत्र में मौजूद होगा। बृहस्पति मेष राशि के जातकों को आर्थिक लाभ भी कराएगा साथ ही प्रेम संबंधी मामलों के लिए भी भाग्य आपके पक्ष में रहेगा क्योंकि पांचवें भाव पर बृहस्पति की दृष्टि रहने वाली है। इस राशि के वैवाहिक जातकों का जीवन और शानदार होने वाला है और आपके जीवन में प्रेम वापस आएगा क्योंकि बृहस्पति शुक्र के नक्षत्र में होगा। ऐसे में आपके और आपके पार्टनर के बीच प्यार फिर से नजर आने वाला है।
वृषभ राशि: बारहवें भाव में बृहस्पति विदेश और संबंधों को दर्शाता है। शुक्र के नक्षत्र में बृहस्पति निश्चित रूप से उन जातकों के लिए शुभ रहने वाला है जो आयात-निर्यात के व्यवसाय में जुड़े हुए हैं। इन जातकों को व्यापार में शुभ परिणाम मिलेंगे साथ ही आप विदेशी भूमि से भी लाभ प्राप्त करने में कामयाब रहेंगे। हालांकि गुरु का यह गोचर आपका झुकाव आध्यात्मिकता और मोक्ष की तरफ भी ले जा सकता है। इसके साथ ही इस गोचर अवधि के दौरान आपके खर्चों में वृद्धि की भी संभावना है क्योंकि ग्यारहवें भाव का स्वामी बारहवें भाव में जाने वाला है। आठवें भाव के स्वामी के रूप में यह आपके जीवन में छोटी-मोटी स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों की वजह भी बन सकता है। हालांकि आपको कोई गंभीर बीमारी नहीं होने वाली है। इस राशि के कुछ जातकों को विवाह में कुछ छोटी-मोटी परेशानियां भी उठानी पड़ सकती है क्योंकि बृहस्पति 12वें भाव में गोचर करेगा। इस गोचर के दौरान आपके शत्रु आप पर हावी होने की कोशिश कर सकते हैं।
मिथुन राशि: गुरु सातवें और दशम भाव का स्वामी होकर शुक्र के नक्षत्र में ग्यारहवें भाव में पहुंचेगा। बृहस्पति सातवें भाव को दृष्टि देगा इसलिए इस राशि के जातक इस समय विवाह कर सकते हैं क्योंकि भरणी नक्षत्र में बृहस्पति और शुक्र दोनों ही विवाह के कारक हैं। जो लोग पहले से शादीशुदा हैं उनके रिश्ते इस दौरान और मजबूत बनेंगे, आपका प्यार परवान चढ़ेगा। इस राशि के कुछ जातक धार्मिक कार्यों में भी शामिल हो सकते हैं या कोई एनजीओ चला सकते हैं या फिर किसी भी तरह के सामाजिक कार्यों में शामिल हो सकते हैं। व्यापार करने वाले जातकों के लिए भी यह समय शानदार रहेगा। इसके अलावा डिजाइनिंग, मूर्तिकला, आर्किटेक्चर जैसे रचनात्मक व्यवसाय में शामिल इस राशि के जातकों को भी इस समय अधिक लाभ मिलने की संभावना बन रही है।
कर्क राशि: गुरु कर्क राशि के जातकों के दसवें भाव में विराजमान है। ऐसे में इस राशि के जो जातक निजी क्षेत्र में कार्यरत हैं उन्हें वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए अधिक मेहनत करने की आवश्यकता पड़ेगी। जो जातक सरकारी नौकरी के क्षेत्र से जुड़े हैं उन्हें इस गोचर का लाभ मिलेगा लेकिन अगर बृहस्पति आपकी कुंडली में पहले से ही नकारात्मक स्थिति या कमजोर अवस्था में मौजूद है तो कुछ जातकों की नौकरी पर बात बन सकती है या फिर उन्हें अपने कार्यस्थल पर राजनीति का सामना करना पड़ सकता है या नौकरी भी गंवानी पड़ सकती है इसीलिए अपने काम में सावधानी बरतें। व्यवसाई जातकों के लिए यह समय कुछ खास अच्छा नहीं रहने वाला है। कर्क राशि के व्यवसाई जातकों को अपने जीवन में सुस्ती का अनुभव हो सकता है क्योंकि चीजें आपके मुताबिक नहीं बढ़ती नजर आएंगे।
सिंह राशि: सिंह राशि के जातकों के लिए बृहस्पति नौवें भाव में स्थित है। ऐसे में बृहस्पति का गोचर सिंह राशि के जातकों के करियर पक्ष पर चीजें आसान करेगा क्योंकि इस दौरान भाग्य आपके पक्ष में रहने वाला है। जो लोग निजी क्षेत्र में काम करते हैं उन्हें वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए अधिक मेहनत करने की आवश्यकता पड़ेगी। सरकारी नौकरी वाले जातकों को अपार लाभ मिलेगा लेकिन अगर बृहस्पति आपकी कुंडली में पहले से ही नकारात्मक स्थिति में है तो इस दौरान कुछ जातकों की नौकरी जा सकती है या फिर उन्हें कार्यस्थल पर राजनीति का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में अपने काम के प्रति बेहद सावधान रहें। व्यवसायी जातकों के लिए यह समय कुछ खास नहीं रहने वाला है।
कन्या राशि: कन्या राशि के जातकों के लिए बृहस्पति अष्टम भाव में गोचर करेगा। शुक्र के नक्षत्र में गोचर करने से कन्या राशि के जातकों के लिए चीजें आसान होंगी क्योंकि यह नवम भाव का स्वामी के नक्षत्र में गोचर करेगा। यह निश्चित रूप से कन्या राशि के जातकों के जीवन से उन बाधाओं और रुकवटों को दूर करेगा जो अबतक आपको परेशान कर रही थी। क्योंकि आठवां भाव परिवर्तन का भाव माना गया है ऐसे में जिन जातकों को करियर में उतार-चढ़ाव की स्थिति का सामना करना पड़ रहा था उनके लिए चीजें अब सही होने वाली है। व्यापारी जातकों के लिए भी समय अनुकूल रहेगा। आपको अपने व्यवसाय में लाभ देखने को मिलेगा।
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तुला राशि: तुला राशि के जातकों का प्रदर्शन इस समय बेहद ही शानदार होने वाला है। आपको नए अवसर मिल सकते हैं। नौकरीपेशा जातकों को पदोन्नति मिलने के योग बनेंगे। जो लोग पहले से व्यापार के क्षेत्र में जुड़े हैं उनके सामने भी नए अवसर आएंगे। अपने कंपनी को या अपने काम को आगे बढ़ाने के लिए यह समय बेहद ही शानदार रहेगा। इसके अलावा आप इस समय शॉर्टकट से या फिर सट्टा आदि के माध्यम से भी कमाई करने में कामयाब रहेंगे। यहां केवल इस बात पर ध्यान रखें कि आप जिस भी तरीके से पैसा कमा रहे हैं वह साधन नैतिक और निष्पक्ष होना चाहिए।
वृश्चिक राशि: वृश्चिक राशि के जातकों को गुरु के इस गोचर के दौरान नौकरी में कुछ बदलाव, व्यापार में उतार-चढ़ाव, देखने को मिल सकता है। इस राशि के जो जातक सरकारी सेवा या न्यायपालिका से जुड़े हुए हैं उनके लिए यह समय शानदार रहेगा। वकीलों और जजों के लिए भी यह समय अनुकूल रहेगा। यदि आपका कोई मामला अब तक कोर्ट में फंसा हुआ था तो यह आपके पक्ष में आ सकता है। जो लोग व्यापार में जुड़े हुए हैं उन्हें सावधान रहने की सलाह दी जाती है। इस दौरान कोई भी नया प्रोजेक्ट शुरू करने से बचें। जो लोग विदेश में काम कर रहे हैं या विदेश जाने का विचार कर रहे हैं उनके लिए यह गोचर सबसे ज्यादा अनुकूल साबित होगा।
धनु राशि: धनु राशि के जातकों के लिए गुरु का यह नक्षत्र गोत्र जीवन के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर शुभ रहेगा। निजी क्षेत्र में काम करने वाले जातकों को वेतन वृद्धि या पदोन्नति मिलने की प्रबल संभावना है। जो लोग नई नौकरी की तलाश कर रहे हैं उन्हें भी शुभ समाचार मिलेगा। इस राशि के जो जातक व्यवसाय के क्षेत्र से जुड़े हैं उन्हें अपना व्यवसाय बढ़ाने का मौका प्राप्त होगा। इसके साथ ही इस राशि के जो जातक स्टार्टअप की शुरुआत करना चाहते हैं उनके लिए यह समय बेहद ही शुभ साबित होगा। इस राशि के छात्र जातकों के लिए भी यह अवधि शानदार रहेगी।
मकर राशि: बृहस्पति का यह नक्षत्र गोचर मकर राशि के चतुर्थ भाव में होने जा रहा है। ऐसे में यह समय मकर राशि के जातकों के पेशेवर जीवन के लिए अनुकूल साबित होगा। आपको करियर में सफलता मिलेगी क्योंकि बृहस्पति सीधे तौर पर आपके दशम भाव को देख रहा है। इस राशि के जिन जातकों को पदोन्नति की उम्मीद है उनके लिए भी समय अनुकूल रहने वाला है। आपको तरक्की के नए अवसर मिलेंगे और आपके बॉस आपके काम पर ध्यान देंगे। कार्यस्थल पर आपको मान सम्मान और प्रतिष्ठा मिलेगी। इस राशि के जो जातक शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े हैं उन्हें भी शुभ परिणाम प्राप्त होगा। सरकारी क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों को पदोन्नति और लाभ मिलेगा और आपके अधिकारी भी आपके काम पर ध्यान देंगे और आप उन्हें प्रभावित करने में कामयाब रहने वाले हैं।
कुंभ राशि: कुंभ राशि के जातकों को इस समय अपने काम में दबाव महसूस हो सकता है क्योंकि इस गोचर के दौरान बृहस्पति आपके तीसरे भाव में प्रवेश कर जाएंगे। इस राशि के जिन जातकों की नौकरी पिछले कुछ समय में चली गई थी उन्हें इस दौरान शुभ समाचार मिल सकता है। ऐसे जातकों को अपने सहकर्मियों का भी भरपूर साथ प्राप्त होगा। सलाह केवल इतनी दी जाती है कि कुछ समय के लिए अपनी वर्तमान स्थिति में ही बने रहें। लेकिन अगर आप काम छोड़ना चाहते हैं या नौकरी बदलना चाहते हैं तो अपनी गति स्थिर रखें। कंपनी में कोई भी नया निवेश करते समय बुद्धिमानी और सतर्कता के साथ आगे बढ़ें। बृहस्पति के इस भरणी नक्षत्र में गोचर से कुंभ राशि के व्यवसाय से जुड़े जातकों को उनके तनाव में कमी देखने को मिल सकती है।
मीन राशि: मीन राशि के जातक जो अब तक अपने कार्यस्थल पर किसी तरह के दबाव महसूस कर रहे थे उनके लिए भरणी नक्षत्र में गुरु का यह गोचर अनुकूल रहेगा। आप नौकरी बदलने या किसी नए स्थान पर जाने में कामयाब रहेंगे। काम के सिलसिले में आपको देश-विदेश में ढेरों यात्राएं करनी पड़ सकती हैं। नए व्यवसाय को शुरू करना चाहते हैं तो भी रुकने की सलाह दी जाती है। बृहस्पति के दूसरे भाव में स्थित होने से वर्ष के अधिकांश भाव में आपके लिए आर्थिक पक्ष शानदार रहेगा।
अधिक जानकारी: हम अपने रीडर्स की जानकारी के लिए बता दें कि मेष राशि में बृहस्पति और राहु की युति 30 अक्टूबर 2023 तक गुरु-चांडाल योग का निर्माण कर रहे हैं। ऐसे में ऐसी स्थिति में राहु की शांति और भरणी नक्षत्र में बृहस्पति के गोचर से लाभ प्राप्त करने के लिए कुछ ज्योतिषीय उपाय करने की सलाह दी जाती है। नीचे हम आपको उन उपायों की जानकारी दे रहे हैं।
गुरु चांडाल योग- ये ज्योतिषीय उपाय करेंगे मदद
- गेहूं, गुड़ और तांबे का जरूरतमंदों को दान करें।
- अपने जीवन में ज़्यादा से ज़्यादा पीले वस्त्र शामिल करें।
- अपने गले में चांदी की चेन धारण करें।
- बहते हुये जल में नारियल प्रवाहित करें।
- विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
- अपने घर या काम करने वाली जगह पर राहु यंत्र की स्थापना करें और नियम से उनकी पूजा करें।
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