भगवान बृहस्पति को सभी ग्रहों के बीच गुरु का दर्जा प्राप्त है। वे देवताओं के गुरु हैं इस वजह से मनुष्यों के साथ-साथ देवताओं में भी पूजनीय हैं। भगवान बृहस्पति को सनातन धर्म में भगवान श्री हरि विष्णु के समतुल्य माना गया है। सनातन धर्म के साथ-साथ बृहस्पति का वैदिक ज्योतिष में भी काफी महत्व है। वे नौ ग्रहों के बीच भी गुरु का दर्जा रखते हैं। सभी बारह राशियों के बीच उनका आधिपत्य धनु और मीन राशि पर है जबकि 27 नक्षत्रों के बीच बृहस्पति पुनर्वसु, विशाखा और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के स्वामी माने जाते हैं।
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अब बृहस्पति देवता जल्द ही वक्री होने जा रहे हैं। जाहिर है कि इसका प्रभाव सभी बारह राशियों पर पड़ेगा लेकिन चूंकि बृहस्पति इस समय कुंभ राशि में गोचर कर रहे हैं, ऐसे में यह देखना बड़ा ही रोचक रहेगा कि वक्री बृहस्पति का कुंभ राशि पर क्या प्रभाव पड़ने वाला है लेकिन उससे पहले वक्री बृहस्पति से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी आपके साथ साझा कर देते हैं।
कब वक्री हो रहे हैं बृहस्पति?
साल 2021 में 20 जून को रविवार के दिन बृहस्पति ग्रह कुंभ राशि में वक्री होने जा रहा है। बृहस्पति ग्रह कुंभ राशि में इसी अवस्था में 14 सितंबर 2021 को मंगलवार के दिन तक रहने वाले हैं। इसके बाद वे पुनः मार्गी हो जाएंगे। यहाँ आपको यह भी बताना जरूरी है कि वक्री होना एक ज्योतिषीय घटना है जिसमें कोई भी ग्रह पीछे चलता हुआ प्रतीत होता है। बृहस्पति ग्रह की गोचर अवधि लगभग 13 महीने की होती है जिसमें से 04 महीने बृहस्पति वक्री अवस्था में रहते हैं।
आइये अब आपको बता देते हैं कि वक्री बृहस्पति का प्रभाव कुंभ राशि पर क्या पड़ने वाला है।
कुंभ राशि
कुंभ राशि के जातकों के लिए गुरु उनके एकादश और द्वितीय भाव का स्वामी है। वैदिक ज्योतिष में एकादश भाव लाभ का स्वामी माना गया है और द्वितीय भाव धन व कुटुंब भाव का स्वामी माना जाता है। वहीं वर्तमान स्थिति में बृहस्पति कुंभ राशि के जातकों के प्रथम भाव यानी कि लग्न भाव में वक्री होने जा रहे हैं। ऐसे में कुंभ राशि के जातकों को बृहस्पति वक्री के दौरान स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। ज्योतिष में बृहस्पति को पेट का कारक माना जाता है। ऐसे में संभव है कि आपको पेट संबंधी समस्या परेशान करे। आपको सलाह दी जाती है कि आप इस दौरान थोड़ी सी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्या महसूस करें तो चिकित्सीय परामर्श अवश्य लें।
कुंभ राशि के जातक इस अवधि में अपने आसपास के लोगों को समझने में स्वयं को असमर्थ महसूस कर सकते हैं जिसकी वजह से उन्हें खुद पर ही संदेह होने की आशंका है। भाग्य में कमी आने की आशंका है जिसकी वजह से आपको थोड़े से फल को पाने के लिए भी अत्यधिक मेहनत करने की जरूरत पड़ सकती है। हालांकि प्रथम भाव में गुरु के मौजूद होने की वजह से आप इस अवधि में स्वयं के अंदर सद्गुण विकसित होते हुए देख सकते हैं जिससे आपके परिवार और समाज में आपका मान-सम्मान बढ़ने की संभावना है। इस दौरान आप बौद्धिक रूप से भी मजबूत रह सकते हैं।
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उपाय : कुंभ राशि के जातकों को बृहस्पति के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए गुरुवार के दिन छात्रों को पढ़ाई की सामग्री जैसे कि पुस्तक, कलम इत्यादि का दान करना चाहिए।
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