गुरु वक्री 2024: एस्ट्रोसेज की हमेशा से यही पहल रही है कि किसी भी महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना की नवीनतम अपडेट हम अपने रीडर्स को समय से पहले दे पाएँ और इसी कड़ी में हम आपके लिए लेकर आए हैं जल्द ही वक्री होने वाले गुरु से संबंधित यह खास ब्लॉग।
दरअसल इस ब्लॉग के माध्यम से हम जानेंगे मिथुन राशि में गुरु वक्री होने के बारे में जो की 9 अक्टूबर 2024 को 10:01 पर होने वाला है। साथ ही जानेंगे कि इसका राशियों पर, देश पर, विश्व की घटनाओं पर और शेयर बाजार पर कैसा प्रभाव पड़ेगा।
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हिंदू पंचांग के अनुसार शनि के अलावा बृहस्पति एकमात्र ऐसा ग्रह माना गया है जिसे एक पूर्ण चक्र पूरा करने में लंबा समय लगता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बृहस्पति का गोचर 13 महीना तक चलता है जिसका अर्थ होता है कि बृहस्पति को एक राशि का चक्र पूरा करने में अर्थात एक राशि में अपना गोचर करने में तकरीबन 13 महीने का समय लगता है। इसी तरह बृहस्पति के वक्री होने की घटना को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। औसतन बृहस्पति हर साल कम से कम एक बार वक्री आवश्यक होता है।
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गुरु गोचर का अर्थ होता है कि जब भी गुरु अर्थात बृहस्पति या अंग्रेजी में जिसे जुपिटर कहते हैं वह एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है। वहीं वक्री की बात करें तो जब कोई भी ग्रह आगे बढ़ने की जगह पीछे की तरफ बढ़ने लगता है तो इसे वक्री होना कहते हैं। पृथ्वी से देखने पर वक्री स्थिति में ग्रह आगे की ओर चलते हुए नजर आते हैं। हालांकि जब यह पीछे की ओर जाने लगते हैं तो इससे वक्री घटना के नाम से जाना जाता है।
मिथुन राशि में गुरु वक्री- विशेषताएं
बृहस्पति की वक्री गति विशेष रूप से मिथुन राशि में व्यस्तता और समझ तक पहुंचने में देरी लेकर आ सकती है। बुनियादी शिक्षा और उच्च शिक्षा के बीच चयन से भ्रम और बाधाएँ पैदा हो सकती हैं। बृहस्पति की वक्री गति के चलते आपको दूसरों के साथ बातचीत करने अपने विचार व्यक्त करने और जरूरत पड़ने पर सहायता प्राप्त करने में महत्वपूर्ण कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।
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इसके अलावा इस अवधि में बातचीत में कठिनाइयां और असहमति नजर आ सकती है जिससे वित्तीय प्रबंधन, कर्तव्यों को पूरा करना आपके लिए मुश्किल हो सकता है। यदि आपके और आपके बच्चों के बीच बेवजह और अप्रत्याशित बहस होती है तो आपका पारिवारिक रिश्ते खराब हो सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ गुरु आपको धर्म और धार्मिक ग्रंथो के बारे में ज्यादा जानकारी और जिज्ञासु भी बना सकता है।
मिथुन राशि में गुरु वक्री से इन राशियों पर पड़ेगा नकारात्मक प्रभाव
मेष राशि
गुरु की वक्री स्थिति किसी व्यक्ति के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है। खासकर जब वह मेष राशि के तीसरे घर में स्थित हो। तृतीय भाव में बृहस्पति शत्रु राशि में स्थित माना जाता है। इसका अर्थ हुआ कि बृहस्पति का प्रभाव काफी हद तक हानिकारक हो सकता है। ऐसे में जीवन में मिलने वाले लाभ को पूरी तरह से साकार करने में आपको कुछ कठिनाइयां या बाधाएँ दूर करने की आवश्यकता पड़ेगी।
बृहस्पति नवम और 12वें घर पर शासन करता है इसलिए तीसरे घर में बृहस्पति की स्थिति का मूल्यांकन करते समय इन संबंधों पर विचार करना महत्वपूर्ण रहेगा। यह दोनों ही भाव ज्ञान, आध्यात्मिकता नई जगह की खोज और खुद को भौतिक संबंधों से मुक्त करने से जुड़े माने जाते हैं। इस अवधि में मेष राशि के जातक कुछ ऐसे उत्तर खोजते नजर आएंगे जो आपको आध्यात्मिक मार्ग पर ले जाएंगे। बृहस्पति के वक्री होने पर आपका वैवाहिक जीवन कष्ट भी उठाने पड़ सकते हैं।
वृषभ राशि
वृषभ राशि के जातकों के लिए बृहस्पति आठवें घर का स्वामी है और साथ ही 11वें घर का भी स्वामी है। क्योंकि बृहस्पति की मूल त्रिकोण राशि अष्टम भाव में आती है और बृहस्पति दूसरे घर में वक्री हो रहा है ऐसे में बृहस्पति वृषभ राशि के जातकों के लिए विशेष रूप से हानिकारक माना जा सकता है इसलिए दूसरे घर में स्थित होने पर बृहस्पति आर्थिक मुद्दों या व्यक्तिगत संपत्ति से संबंधित कुछ समस्याएं आपके जीवन में लेकर आ सकता है। वक्री बृहस्पति अल्प लाभ के लिए भी आपसे अतिरिक्त प्रयास कर सकता है अर्थात थोड़े से लाभ के लिए भी आपको ज्यादा प्रयास करने की आवश्यकता पड़ेगी।
इस अवधि के दौरान वित्त क्षेत्र में काम करने वाले या बड़े निवेश करने वाले लोगों को नुकसान हो सकता है और उन्हें इस अवधि के दौरान धन संचय करने के लिए अधिक संघर्ष करना पड़ेगा। इसका स्पष्ट अर्थ यह हुआ की वृषभ राशि के जातकों को विभिन्न निवेश विकल्पों के बारे में सीखने या अपने संचार कौशल में सुधार करने से लाभ हो सकता है जो व्यापारिक सौदों में सहायता करेगा जिसके परिणाम स्वरुप धन संचय में आप वृद्धि कर सकेंगे।
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कर्क राशि
तीसरी जिस राशि के लिए गुरु वक्री की ये अवधि हानिकारक रहने वाली है वह है कर्क राशि। कर्क राशि के जातकों के लिए बृहस्पति छठे और नवम भाव पर शासन करता है और अब आपके 12वें घर में वक्री होने जा रहा है। हालांकि इस राशि के जातकों को निवेश या वित्तीय सुरक्षा के रास्ते में कुछ चुनौतियों का सामना अवश्य करना पड़ेगा लेकिन आपके मजबूत आध्यात्मिक संबंध आपको इन चुनौती पूर्ण परिस्थितियों को शालीनता से संभालने के काबिल बनेंगे।
बढ़ी हुई अस्थिरता के इस दौर में निर्णय लेते समय सावधानी बरतना आपके लिए महत्वपूर्ण रहेगा क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति का चार्ट अद्वितीय होता है और ग्रहों की स्थिति इसका केवल एक घटक माना जाता है। ऐसे में निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले ग्रहों की स्थिति के समग्र परिणाम पर हमेशा विचार किया जाना चाहिए। इस अवधि के दौरान विदेश यात्रा या स्थानांतरण बाधाओं और देरी से भरा रहने वाला है। आपकी किस्मत अच्छे से बुरे और इसके विपरीत भी बदल सकती है।
मकर राशि
आखिरी जिस राशि के लिए गुरु वक्री परेशानी जनक साबित हो सकते हैं वह है मकर राशि। मकर राशि के जातकों के लिए बृहस्पति तीसरे और 12वें घर का स्वामी है और अब अपनी वक्री अवस्था में आपके छठे घर में स्थित होगा। ऐसे में बृहस्पति जातकों के लिए अधिक नकारात्मक संकेत दे रहा है। पारस्परिक रिश्ते, तनाव पूर्ण हो सकते हैं और सहकर्मियों के साथ टकराव होने की भी प्रबल आशंका है जो आपको अजीब परिस्थितियों में डाल सकता है और आपको अनुचित लाभ उठा सकता है।
तीसरे और छठे घर का स्वामी होने के बाद छठे घर में बृहस्पति का वक्री होना आपको त्वचा की एलर्जी, अन्य पर्यावरणीय एलर्जी, गले या स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं आने के संकेत भी दे रहा है। अगर बृहस्पति बहुत अच्छी स्थिति में नहीं है तो कुछ लोगों के लिए घातक दुर्घटनाएं भी हो सकती है। हालांकि यह व्यक्तिगत राशिफल पर निर्भर करता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से यह स्थिति बहुत खराब मानी जाती है। इस राशि के जातकों को मोटापे से संबंधित परेशानियां भी हो सकती है।
मिथुन राशि में गुरु का वक्री- राहत दिलाएंगे ये उपाय
मिथुन राशि में वक्री बृहस्पति के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए आप बृहस्पति से संबंधित कुछ सटीक और अचूक उपाय भी कर सकते हैं जैसे कि,
- रोजाना नहाने के पानी में एक चुटकी हल्दी डाल लें।
- गरीब लोगों और गायों को केले खिलाएँ।
- मंदिर में गुड़ और चने की दाल का दान करें।
- विष्णु सहस्त्रनाम कर नियमित रूप से पाठ करें।
- गरीबों को पीली मिठाई या फिर पीले रंग के कपड़ों का दान करें।
- अपने दाहिने हाथ की तर्जनी में पीला नीलम रत्न धारण करें।
- माथे पर केसर का तिलक लगाएँ।
- प्रत्येक गुरुवार को भगवान विष्णु की पूजा करें।
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मिथुन राशि में बृहस्पति वक्री- विश्वव्यापी प्रभाव
आध्यात्मिक एवं धार्मिक गतिविधियां
- मिथुन राशि में बृहस्पति का वक्री होना लोगों को ऐसी स्थिति में डाल सकता है जो उन्हें आध्यात्मिक मार्गदर्शन के लिए प्रेरित करेगी और भारत में आध्यात्मिक प्रथाओं में शामिल लोगों की संख्या में इजाफा देखने को मिलेगा।
- इस समय के आसपास भारत आने वाले अंतरराष्ट्रीय आगंतुकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिलेगी जो स्वयं को प्रबुद्ध करने के लिए आध्यात्मिकता की तलाश कर रहे हैं।
- तेल, घी, दूध और अन्य डेयरी उत्पादों सहित खाद्य पदार्थों की कीमत में थोड़ी वृद्धि देखी जाएगी।
- आध्यात्मिक उद्देश्यों के लिए उपयोग किए जाने वाले उत्पादों के निर्यात में अचानक और अस्पष्ट रूप से गिरावट नजर आ सकती है।
सरकार एवं प्राधिकारी
- सरकार में मंत्री और उच्च पदों पर आसीन लोग देश और दुनिया की मौजूदा जरूरत के अनुरूप विभिन्न नीतियों में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव करते नजर आएंगे।
- मंत्री और सरकारी अधिकारी अगर सोच विचार नहीं करेंगे और सार्वजनिक रूप से नहीं बात करेंगे तो मुसीबत में फंस सकते हैं। उनके बयान पर निगाहें और सवाल खड़े हो सकते हैं।
- देश और दुनिया में हेल्थ केयर सेक्टर महत्वपूर्ण कर्मियों को बताया और उनसे निपटने की तैयारी करेगा।
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शिक्षा एवं अन्य संबंधित क्षेत्र
- विशेष रूप से संचार से संबंधित नौकरियां या व्यवसाय, वित्तीय प्रबंधन, बैंकिंग और वित्तीय संस्थानों से जुड़े लोगों को कुछ असफलताओं और तनाव का अनुभव हो सकता है।
- परामर्शदाता, शिक्षक, प्रशिक्षक, प्रोफेसर जैसे शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों को इस गोचर से लाभ होगा लेकिन कार्य स्थल पर कुछ अनिश्चित या प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना भी आपको करना पड़ सकता है।
- इस गोचर के दौरान लेखन और दार्शनिकों को अपनी शोध थीसिस या कहानियां और अन्य प्रकाशन कार्यों का पुनर्गठन करते हुए देखा जा सकता है। यह परिवर्तन आपके लिए निराशा और मानसिक रुकावट का कारण बन सकते हैं।
- शोधकर्ताओं, सरकार के सलाहकारों, वैज्ञानिकों को इस गोचर से दुनिया भर में इस तरह से लाभ होगा कि वह विभिन्न समस्याओं का पता लगाने या नए समाधान ढूंढने में कामयाब होंगे और चीजों को पूरी अलग तरह से अलग दृष्टिकोण से देख पाएंगे।
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मिथुन राशि में बृहस्पति वक्री- क्या पड़ेगा शेयर बाजार पर असर?
9 अक्टूबर 2024 को बृहस्पति ग्रह मिथुन राशि में वक्री हो जाएंगे और अन्य सभी ग्रहों की तरह इस घटना का भी शेयर बाजार पर निश्चित रूप से प्रभाव पड़ेगा। एस्ट्रोसेज आपको 9 अक्टूबर के लिए शेयर बाजार के लिए अपनी भविष्यवाणी यहां प्रदान करने जा रहा है। यहां आप जान पाएंगे कि बृहस्पति जब मिथुन राशि में वक्री होंगे तो बृहस्पति से संबंधित हर उद्योग या क्षेत्र में क्या कुछ बदलाव नजर आ सकते हैं।
- हालांकि अचानक और अप्रत्याशित गिरावट के साथ पूरे शेयर बाजार में तेजी देखने को मिलेगी।
- बैंकिंग, सार्वजनिक क्षेत्र, भारी इंजीनियरिंग, कपड़ा उद्योग, हीरा व्यवसाय, चाय, कॉफी उद्योग, ऊनी उद्योग, सौंदर्य प्रसाधन, तंबाकू, रिलायंस इंडस्ट्रीज, रिलायंस कैपिटल, रिलायंस पावर, टाटा पावर, और अदानी पावर मजबूती से आगे बढ़ेंगे लेकिन अचानक से नुकसान की भी आशंका बन रही है।
- हालांकि 18 तारीख के बाद गति धीमी होने लगेगी। मुनाफा वसूली से बाजार की हालत खराब होती नजर आएगी और सार्वजनिक क्षेत्र की वजह से बाजार खास तौर पर कमजोर हो सकता है।
- इलेक्ट्रिक उपकरण व्यवसाय, सूचना प्रौद्योगिकी, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर, पेपर प्रिंटिंग, विज्ञापन, फार्मास्यूटिकल उद्योग और शिपिंग में महत्वपूर्ण कमजोरी नजर आ सकती है।
- अक्टूबर के अंत में यहां पर मंदी संभव है।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
कर्क राशि में बृहस्पति उच्च के माने जाते हैं।
मिथुन राशि में बृहस्पति किसी व्यक्ति को कुछ पहलुओं में लाभ दिला सकता है। खासकर अगर वह संचार क्षेत्र, बैंकिंग या विद्युत क्षेत्र में काम कर रहे हैं तो।
बृहस्पति सभी ग्रहों में सबसे अधिक लाभकारी और सकारात्मक ग्रह माना जाता है क्योंकि यह देवगुरु है।