जया पार्वती 2024: सतयुग, द्वापरयुग से लेकर वर्तमान समय तक सनातन धर्म में अनेक प्रकार के व्रतों को करने की परंपरा चली आ रही है और हर व्रत की अपनी विशेषता एवं महत्व होता है। इन्हीं व्रतों में से एक है जया पार्वती व्रत जो कि महिलाओं और कन्याओं द्वारा श्रद्धापूर्वक रखा जाता है। जया पार्वती व्रत आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी से शुरू होकर अगले 5 पांच दिनों तक चलता है। एस्ट्रोसेज का यह विशेष ब्लॉग आपको जया पार्वती व्रत से संबंधित समस्त जानकारी प्रदान करेगा। साथ ही, हम आपको इस व्रत की तिथि एवं महत्व के साथ-साथ पूजा के शुभ मुहूर्त से भी रूबरू करवाएंगे। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं इस व्रत के बारे में सब कुछ।
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बता दें कि प्रत्येक वर्ष जया पार्वती व्रत आषाढ़ मास में पड़ता है इसलिए इस व्रत के महत्व में वृद्धि हो जाती है। यह व्रत भगवान शंकर एवं माता पार्वती को समर्पित होता है और यही वजह है कि इस व्रत में इनकी पूजा की जाती है। जया पार्वती व्रत मुख्य रूप से गुजरात समेत भारत के पश्चिमी क्षेत्रों में किया जाता है। महिलाएं घर-परिवार की सुख-शांति, समृद्धि और कल्याण के लिए यह व्रत पूरी श्रद्धाभाव से रखती हैं। साथ ही, कुंवारी कन्याएं इस व्रत को मनचाहा वर पाने की कामना से रखती हैं। जया पार्वती व्रत पूरे 5 दिनों का होता है। इस साल यह व्रत 19 जुलाई 2024 से शुरू हो रहा है। आइए अब जानते हैं जया पार्वती व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि।
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जया पार्वती व्रत 2024: शुभ मुहूर्त एवं तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रतिवर्ष आषाढ़ मास में पांच दिनों तक जया पार्वती व्रत किया जाता है जो कि आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन रखा जाता है जबकि इसका समापन सावन मास माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर होता है। इस साल जया पार्वती व्रत 19 जुलाई 2024 को रखा जाएगा जबकि इसका अंत 24 जुलाई 2024, बुधवार के दिन होगा। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, यह व्रत हर साल जुलाई-अगस्त के महीने में आता है। इस व्रत की पूजा हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत एवं त्योहार की पूजा की तरह ही शुभ मुहूर्त में की जाती है जो कि इस प्रकार है:
जया पार्वती व्रत तिथि एवं मुहूर्त
जया पार्वती व्रत की तिथि: 19 जुलाई 2024, शुक्रवार
जया पार्वती प्रदोष पूजा का मूहूर्त: शाम 07 बजकर 23 मिनट से रात 09 बजकर 25 मिनट तक
त्रयोदशी तिथि का आरंभ: 18 जुलाई 2024 की रात 08 बजकर 44 मिनट से,
त्रयोदशी तिथि की समाप्ति: 19 जुलाई 2024 की शाम 07 बजकर 41 मिनट तक
जया पार्वती व्रत का प्रारंभ: 19 जुलाई 2024, शुक्रवार से,
जया पार्वती व्रत का समापन: 24 जुलाई 2024, बुधवार
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जया पार्वती व्रत का धार्मिक महत्व
जया पार्वती व्रत को महत्वपूर्ण माना जाता है और यह हिंदू धर्म की महिलाओं और कन्याओं द्वारा पूरी आस्था के साथ रखा जाता है। जया पार्वती व्रत भक्त देवी जया की कृपा पाने के लिए करते हैं जो देवी पार्वती के विभिन्न स्वरूपों में से एक हैं इसलिए धार्मिक दृष्टि से इस व्रत का महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। जया पार्वती व्रत को विजय पार्वती व्रत भी कहा जाता है। यह व्रत मालवा क्षेत्र (गुजरात) का एक लोकप्रिय व्रत है, वहां इस पर्व की एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है। जया पार्वती व्रत के जुड़ी मान्यता है कि अगर कोई इस व्रत को रखता है, तो यह व्रत 5, 7, 9, 11 या 20 वर्षों तक रखना चाहिए।
हालांकि, इस व्रत का वर्णन पौराणिक कथाओं में भी मिलता है। जया पार्वती व्रत को सुहागिन स्त्रियां और अविवाहित कन्याओं द्वारा रखा जाता है। कुंवारी कन्याएं जया पार्वती व्रत को एक अच्छे पति की कामना और सुख-शांति एवं प्रेम से पूर्ण वैवाहिक जीवन की प्राप्ति के लिए करती हैं। ऐसा कहते हैं कि जो भक्त इस व्रत को पूरी आस्था और श्रद्धा से रखता है, उन्हें भगवान शिव और माता पार्वती के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।
इस व्रत को परिवार में खुशहाली बनाए रखने और सुख-समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए भी किया जाता है। भक्त से प्रसन्न होकर देवी उनकी सभी इच्छाओं और कामनाओं को पूरा करती हैं। लेकिन, ऐसा तब ही होता है जब यह व्रत पूरी नीति-नियमों के साथ संपन्न किया जाता है।
अब हम आपको जया पार्वती व्रत की पूजा विधि के बारे में बताने जा रहे हैं।
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जया पार्वती व्रत 2024 की पूजा विधि
प्रत्येक व्रत एवं पूजा से मनचाहे फल की प्राप्ति के लिए पूजा को विधि पूर्वक करना बेहद आवश्यक होता है इसलिए यहाँ हम आपको जया पार्वती व्रत की सही पूजा-विधि प्रदान कर रहे हैं।
- आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी तिथि यानी कि जया पार्वती व्रत के दिन सुबह-सवेरे ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सर्वप्रथम स्नान आदि कार्यों से निवृत होकर पूजा स्थान की साफ-सफाई करें।
- अब जया पार्वती एवं भगवान शिव का ध्यान करें और घर के मंदिर में शिव-पार्वती की मूर्ति या चित्र की स्थापना करें।
- इसके पश्चात, भगवान शिव और देवी पार्वती को कुमकुम, शतपत्र, कस्तूरी, अष्टगंध और फूल आदि अर्पित करके पूजा की शुरुआत करें।
- फिर, नारियल, अनार व पूजा की अन्य सामग्री चढ़ाएं और विधिपूर्वक षोडशोपचार पूजा करें।
- भोले शंकर और पार्वती जी का ध्यान करते हुए मंत्रों का उच्चारण करें।
- इसके बाद, शिव-पार्वती की मंगल स्तुति करें और फिर, जया पार्वती व्रत की कथा पढ़ें।
- पूजा संपन्न होने के बाद व्रत का संकल्प करें।
- जया पार्वती व्रत का पारण करते हुए सबसे पहले ब्राह्मण को भोजन कराएं और उन्हें अपने सामर्थ्य के अनुसार वस्त्र और दान-दक्षिणा दें।
- आप सात्विक और दूध से बने हुए खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
- व्रत के अंतिम दिन व्रत का उद्यापन गेहूं की रोटी एवं अन्य पकवान के साथ कर सकते हैं।
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जया पार्वती व्रत के नियम
- जया पार्वती व्रत निरंतर 5 दिनों तक जारी रहता है और इस दौरान नमक का इस्तेमाल करना पूर्ण रूप से वर्जित होता है।
- पौरणिक मान्यताओं के मुताबिक, जया पार्वती व्रत के 5 दिन की अवधि में कुछ लोग अनाज समेत सभी तरह की सब्जियों का प्रयोग करने से परहेज़ करते हैं।
- एक बार जया पार्वती व्रत करने पर इस व्रत को लगातार पांच, सात, नौ, ग्यारह या अधिकतम बीस वर्षों तक करने का विधान है।
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जया पार्वती व्रत की पौराणिक कथा
धर्मग्रंथों में वर्णित कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ रहा करते थे। वह ब्राह्मण पति-पत्नी बेहद धार्मिक, दयालु और संस्कारशील थे और इनके जीवन में धन-संपत्ति का अभाव नहीं था, पर इनकी कोई संतान न थी। यह दोनों ब्राह्मण पति-पत्नी अपने मन में संतान प्राप्ति की कामना लिए भगवान शिव की पूजा-पाठ और उनकी भक्ति में लीन रहते थे। एक दिन ब्राह्मण भगवान शिव पति-पत्नी की पूजा से प्रसन्न होकर उनके सामने प्रकट हुए और कहा कि पास के जंगल में मेरी एक मूर्ति स्थित है जिसकी कभी भी कोई पूजा नहीं करता है, तुम दोनों वहां जाकर मेरी उस मूर्ति की पूजा-अर्चना करो।
भगवान शिव के कहे अनुसार ब्राह्मण जंगल में गया और वहाँ उसे शिव की मूर्ति मिल गई। शिव जी की प्रतिमा को साफ करने के बाद वह पानी खोजने लगा, लेकिन रास्ते में ही ब्राह्मण को एक सांप ने काट लिया जिसकी वजह से वह बेहोश होकर ज़मीन पर गिर गया। बहुत समय बीतने के बाद ब्राह्मण के वापस न आने पर पत्नी को चिंता होने लगी और वह अपने पति को तलाश में जंगल में चली गई।
वह मूर्ति के पास बैठकर शिव जी की तपस्या करने लगी और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने ब्राह्मण को जीवनदान दे दिया और उन्हें संतान प्राप्ति का आशीर्वाद दिया। ब्राह्मण पति-पत्नी संतान की प्राप्ति होने के बाद सुख-शांति से अपना जीवन व्यतीत करने लगे। इस कथा के अनुसार, जो भी स्त्री जया पार्वती व्रत को सच्चे मन से रखती है उसे अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर 1. इस व्रत में फल, दूध, दही, जूस और दूध से बनी मिठाइयों का आप सेवन कर सकते हैं।
उत्तर 2. जया पार्वती व्रत 19 जुलाई 2024, शुक्रवार से शुरू हो रहा है।
उत्तर 3. जी हाँ, इस व्रत को कुंवारी कन्याओं द्वारा करने से मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।
उत्तर 4. यह व्रत 5 दिनों तक निरंतर जारी रहता है ।