जया एकादशी 2021 (Jaya Ekadashi 2021) व्रत इस साल माघ माह में मंगलवार के दिन यानि पाश्चात्य कैलेंडर के अनुसार, 23 फरवरी को है। माघ महीने के शुक्ल पक्ष पर पड़ने वाली एकादशी को जया एकादशी कहा जाता है। साल के 12 महीनों में हर माह में दो एकादशी तिथियां पड़ती है, जिनका हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। जया एकादशी का व्रत बेहद फलदाई है, इस व्रत को रखने से व्यक्ति को भूत, पिसाच जैसी नीच योनि से मुक्ती मिल जाती है । जया एकादशी के दिन सृष्टि रचियता भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। हिन्दू धर्म में जया एकादशी व्रत का विशेष महत्व है, पौराणिक मान्यता के मुताबिक भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को जया एकादशी व्रत का महत्व बताया था, और जया एकादशी व्रत का महत्व जानने के बाद स्वंय युधिष्ठिर ने इस व्रत को करके भगवान विष्णु की उपासना किया। आइए आपको बताते है जया एकादशी व्रत के महत्व, पूजा मुहूर्त और व्रत कथा के बारे में ।
जया एकादशी व्रत का महत्व (Jaya Ekadashi Vrat)
पौराणिक कथा के अनुसार जया एकादशी व्रत (Jaya Ekadashi Vrat) बेहद शुभ फल देने वाला है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-पाठ कर दिन भर उपवास रखने से भक्तगण पर सृष्टि रचियता भगवान विष्णु की विशेष कृपा बनी रहती है। व्यक्ति यदि जया एकादशी का व्रत रखता है, तो उसके सभी पाप धुल जाते है। ऐसी भी मान्यता है, कि जया एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को भूत, प्रेत, पिसाच जैसी नीच योनियों में जाने का डर नहीं होता है । इसलिए माघ माह के शुक्ल पक्ष में होने वाली जया एकादशी तिथि का महत्व हिन्दू धर्म में बाकी सभी एकादशी तिथियों से ज्यादा माना जाता है।
जया एकादशी 2021 तिथि और समय (Jaya Ekadashi 2021 Date & Time)
23 फरवरी, 2021, मंगलवार
व्रत पारणा मुहूर्त- 06:51:55 से 09:09:00 तक ,24 फरवरी, बुधवार
अवधी- 2 घंटे, 17 मिनट
जया एकादशी व्रत पूजा विधि
जया एकादशी के दिन कमलनयन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है
- जया एकादशी व्रत से एक दिन पहले उपवासक रात्रि में सात्विक भोजन ग्रहण करें।
- प्रात: काल उठकर स्नान कर पीले रंग के साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें।
- स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प कर विष्णु जी की आराधना करें।
- भगवान विष्णु को पीला रंग बेहद प्रिय है, इसलिए विष्णु जी को पीले रंग के पुष्प अर्पित करें ।
- भगवान विष्णु के सामने घी का दीपक जलाएं, और घी-हल्दी का तिलक लगाएं।
- भोग में दुध और केसर से मिठाई का भोग लगाएं।
- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजन करें।
- जया एकादशी के दिन शाम को तुलसी जी के सामने भी दीप जलाएं।
जया एकादशी व्रत की रोचक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार की बात है, भगवान इन्द्र की सभा में एक गंधर्व गाना गा रहा था। गाते वक्त उसे अपनी पत्नी का ध्यान आ गया और उसकी लय बिगड़ गई। यह सब देख भगवान इंद्र को क्रोध आ गया और उन्होंने क्रोधित होकर गंधर्व और उनकी पत्नी को पिशाच योनि में जन्म लेने का श्राप दे दिया। दोनों पिशाच योनि में जन्म लेने के बाद अनेक तरह के कष्टों को भोग रहे था, तभी एक दिन संयोगवश माघ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन उन दोनों भूखे रह गए। रात भर सो भी नहीं पाए। और इस तरह जया एकादशी के दिन उपवास करने के कारण दोनों पति-पत्नी श्राप मुक्त होकर वापस स्वर्ग पहुंच गए। देव इंद्र ने जब गंधर्व और उनकी पत्नी को देखा तो हैरान रह गए। तब उन्होंन देव इंद्र को जया एकादशी के दिन उपवास करने से पिशाच योनि से मुक्त होने वाले प्रभाव के बारे में बताया ।
जया एकादशी व्रत के दिन इन बातों का रखें ध्यान
- एकादशी व्रत के दिन पवित्र मन से विष्णु जी और माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए ।
- व्यक्ति को छल, कपट, काम और वासना की भावना अपने मन में नहीं रखनी चाहिए ।
- नारायण स्तोत्र और विष्णु सहस्रनाम का पाठ अवश्य करना चाहिए ।
- किसी कारण वश यदि आप जया एकादशी के दिन व्रत नहीं सकते हैं, तो इस दिन ज़रूरतमंदों की मदद जरूर करें, और विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें ।